अमेरिका की समुद्र में सख्ती, चीन-ईरान जहाज और वेनेजुएला का तेल टैंकर रोका गया

अमेरिका अब सिर्फ बयान नहीं दे रहा, बल्कि समुद्र में सीधे कार्रवाई कर रहा है। हाल ही में अमेरिका ने दो बड़ी घटनाओं में अपनी ताकत दिखाई है। एक तरफ चीन से ईरान जा रहे जहाज को रोका गया और दूसरी तरफ वेनेजुएला का तेल टैंकर जब्त कर लिया गया। इन दोनों कार्रवाइयों से साफ है कि अमेरिका अब अपने दुश्मनों पर दबाव बढ़ाने के मूड में है।

पहली घटना हिंद महासागर से जुड़ी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका ने नवंबर महीने में एक बेहद गुप्त सैन्य ऑपरेशन चलाया। इस ऑपरेशन में अमेरिकी स्पेशल फोर्स ने श्रीलंका के तट से सैकड़ों किलोमीटर दूर एक जहाज को रोका। यह जहाज चीन से ईरान जा रहा था। अमेरिका का कहना है कि इस जहाज में हथियारों से जुड़ा संवेदनशील सामान था, जिसका इस्तेमाल ईरान अपने सैन्य कार्यक्रम में कर सकता था।

अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि जहाज पर मौजूद उपकरणों को जब्त कर लिया गया और बाद में उन्हें नष्ट कर दिया गया। हालांकि जहाज को आगे जाने की अनुमति दे दी गई। इस पूरी कार्रवाई को बहुत ही गोपनीय रखा गया था। न तो चीन और न ही ईरान की तरफ से इस पर कोई आधिकारिक बयान सामने आया है।

अमेरिका का कहना है कि यह कदम अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और ईरान पर लगे प्रतिबंधों को लागू कराने के लिए उठाया गया है। अमेरिका पहले से ही चीन और ईरान की बढ़ती नजदीकियों को लेकर चिंतित है और दोनों देशों पर कड़ी नजर बनाए हुए है।

इसी कार्रवाई के कुछ हफ्तों बाद अमेरिका ने वेनेजुएला के खिलाफ भी बड़ा कदम उठाया। अमेरिका ने वेनेजुएला का एक विशाल तेल टैंकर जब्त कर लिया। यह टैंकर कच्चा तेल लेकर जा रहा था। अमेरिका ने इसे अपने नियंत्रण में लेकर यूएस भेज दिया।

दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही साफ कर चुके हैं कि वे वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो पर दबाव बनाना चाहते हैं। अमेरिका का मानना है कि प्रतिबंधों के बावजूद वेनेजुएला की सरकार तेल बेचकर पैसा कमा रही है। यही पैसा मादुरो सरकार के लिए सबसे बड़ा सहारा बना हुआ है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक अब वेनेजुएला का ज्यादातर तेल चीन और एशियाई देशों को भेजा जा रहा है। अमेरिका इसी सप्लाई चेन को तोड़ना चाहता है, ताकि मादुरो सरकार की आर्थिक कमर टूट जाए।

विशेषज्ञों का कहना है कि मादुरो के पास अमेरिका के खिलाफ ज्यादा विकल्प नहीं हैं। वेनेजुएला की हालत पहले ही बहुत खराब है। वहां की अर्थव्यवस्था कमजोर है और लोग भी परेशान हैं। ऊपर से अमेरिका की बड़ी तेल कंपनी शेवरॉन अभी भी सीमित लाइसेंस के तहत वहां काम कर रही है, जिससे सरकार को थोड़ी बहुत कमाई हो रही है।

अगर मादुरो अमेरिका के खिलाफ कोई बड़ा कदम उठाते हैं तो उसका सीधा नुकसान खुद वेनेजुएला को ही होगा। सैन्य ताकत के मामले में भी वेनेजुएला अमेरिका के सामने कहीं नहीं टिकता।

ईरान से लेकर वेनेजुएला तक अमेरिका की इन कार्रवाइयों से यह साफ हो गया है कि अमेरिका अब समुद्र में सीधे कार्रवाई करके अपने विरोधियों की आर्थिक और सैन्य ताकत को कमजोर करना चाहता है। आने वाले समय में ऐसे और कदम देखने को मिल सकते हैं।

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