राज कपूर की 101वीं जयंती: शोमैन की वो विरासत, जो आज भी दुनिया को भारत से जोड़ती है
हिंदी सिनेमा के इतिहास में अगर किसी एक नाम को “शोमैन” कहा गया, तो वह नाम राज कपूर का है। आज उनकी 101वीं बर्थ एनिवर्सरी है। 14 दिसंबर 1924 को जन्मे राज कपूर ने भारतीय सिनेमा को सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं बनाया, बल्कि उसे भावनाओं, सामाजिक सच्चाइयों और आम आदमी की आवाज से जोड़ दिया।
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राज कपूर का सफर आसान नहीं था, लेकिन उनका सपना बड़ा था। उन्होंने बहुत कम उम्र में आर.के. स्टूडियो की शुरुआत की और अपनी फिल्मों से एक अलग पहचान बनाई। ‘आवारा’, ‘श्री 420’, ‘बरसात’, ‘संगम’ और ‘मेरा नाम जोकर’ जैसी फिल्में आज भी भारतीय सिनेमा की धरोहर मानी जाती हैं।
नरगिस और राज कपूर: जब खामोशी ने सब कुछ कह दिया
राज कपूर की जिंदगी का सबसे चर्चित पहलू उनका और अभिनेत्री नरगिस का रिश्ता रहा। पर्दे पर दोनों की जोड़ी को दर्शकों ने खूब प्यार दिया, लेकिन असल जिंदगी में यह रिश्ता अधूरा रह गया। कहा जाता है कि दोनों के बीच भावनात्मक जुड़ाव बहुत गहरा था, लेकिन हालात और जिम्मेदारियों के कारण यह रिश्ता आगे नहीं बढ़ सका।
एक मशहूर किस्सा यह भी है कि एक दिन शूटिंग के दौरान नरगिस ने अचानक फ्लैट चप्पलों की जगह ऊँची हील्स पहन लीं। राज कपूर ने बिना कुछ कहे समझ लिया कि अब उनके रिश्ते में पहले जैसी नजदीकी नहीं रही। बाद में नरगिस ने सुनील दत्त से शादी कर ली, और राज कपूर ने अपने दर्द को फिल्मों में उतारना शुरू कर दिया।
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‘मेरा नाम जोकर’: जब दिल की फिल्म नहीं समझी गई
राज कपूर की जिंदगी की सबसे निजी फिल्म मानी जाती है ‘मेरा नाम जोकर’। यह फिल्म उनके जीवन, अकेलेपन और अधूरी मोहब्बत की कहानी कही जाती है। हालांकि फिल्म अपने समय में बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हो पाई, लेकिन बाद में इसे क्लासिक का दर्जा मिला।
इस फिल्म की असफलता ने राज कपूर को आर्थिक और मानसिक रूप से तोड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। इसके बाद उन्होंने ‘बॉबी’ जैसी फिल्म बनाई, जिसने उन्हें दोबारा सफलता दिलाई।
चीन में राज कपूर और अटल बिहारी वाजपेयी की हैरानी
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राज कपूर की लोकप्रियता सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रही। उनकी फिल्म ‘आवारा’ चीन और रूस जैसे देशों में बेहद लोकप्रिय रही। कहा जाता है कि जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी चीन दौरे पर गए थे, तो वहां आम लोग ‘आवारा हूं’ गाना गुनगुनाते नजर आए। यह देखकर अटल जी भी हैरान रह गए थे कि भारतीय सिनेमा का असर सीमा पार कितनी गहराई तक है।
आज भी जिंदा है शोमैन की सोच
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राज कपूर आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी सोच, उनका सिनेमा और उनका विजन आज भी जिंदा है। कपूर परिवार ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाया और भारतीय सिनेमा में कई पीढ़ियों तक योगदान दिया।
101वीं जयंती पर राज कपूर को याद करना सिर्फ एक कलाकार को याद करना नहीं है, बल्कि उस दौर को याद करना है, जब सिनेमा दिल से बनाया जाता था।
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