रेलवे धमाके के बाद तनाव बढ़ा, पोलैंड ने ग्दांस्क स्थित रूस का अंतिम कांसुलेट बंद करने का फैसला लिया
यूरोप में कूटनीतिक तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। पोलैंड और रूस के बीच संबंधों में आई ताज़ा खटास ने दोनों देशों को आमने–सामने खड़ा कर दिया है। पोलैंड सरकार ने गुरुवार को घोषणा की कि ग्दांस्क स्थित रूस का अंतिम कांसुलेट तुरंत प्रभाव से बंद कर दिया जाएगा। यह कदम उस धमाके के बाद उठाया गया, जिसने वारसा–लुब्लिन रेलवे लाइन को झकझोर दिया था। यह रेलवे मार्ग यूक्रेन सीमा तक सैन्य और मानवीय सामग्री पहुँचाने का प्रमुख रास्ता माना जाता है।
धमाके को बताया ‘राज्य प्रायोजित आतंकवाद’, रूस की खुफिया एजेंसी पर आरोप
पोलैंड का दावा है कि इस विस्फोट के पीछे रूस की खुफिया एजेंसी का हाथ है। जांच के दौरान दो यूक्रेनी नागरिकों का नाम सामने आया है, जिन पर आरोप है कि वे कथित रूप से मॉस्को के निर्देश पर काम कर रहे थे। विदेश मंत्री रादोस्लाव सिकॉर्स्की ने इस घटना को “राज्य प्रायोजित आतंकवाद” की श्रेणी में रखा और कहा कि इस मामले को यूरोप हल्के में नहीं ले सकता।
सिकॉर्स्की ने यह भी घोषणा की कि पोलैंड सभी यूरोपीय देशों से आग्रह करेगा कि वे रूसी राजनयिकों की शेंगेन क्षेत्र में आवाजाही पर तत्काल प्रतिबंध लगाएँ। उनके अनुसार यह कदम न केवल पोलैंड बल्कि यूरोप की सामूहिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी है।
संवेदनशील ढाँचों की सुरक्षा के लिए 10,000 सैनिकों की तैनाती
धमाके के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने पूरे देश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया है। रक्षा मंत्री व्लादिस्लाव कोसिनियाक–कामिश ने बताया कि रेलवे लाइनों, ऊर्जा संरचनाओं और अन्य संवेदनशील ढाँचों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए 10,000 सैनिकों की तैनाती की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस हमले को केवल पोलैंड की सुरक्षा तक सीमित नहीं माना जा सकता। यह यूक्रेन तक मानवीय व सैन्य सहायता पहुँचाने वाले मार्गों की सुरक्षा का भी मामला है, जिसे किसी भी हाल में कमजोर नहीं होने दिया जाएगा।
पोलैंड–यूक्रेन का सहयोग हुआ और मजबूत
इस घटना के बाद पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से तत्काल बातचीत की। दोनों नेताओं ने इस हमले को गंभीर खतरा मानते हुए अपने–अपने खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़ाने पर सहमति जताई। टस्क ने कहा कि पोलैंड और यूक्रेन मिलकर ठोस रणनीति बनाएंगे, ताकि भविष्य में ऐसी किसी भी घटना को समय रहते रोका जा सके।
टस्क के अनुसार, यह हमला न केवल पोलैंड की सुरक्षा के लिए चुनौती है, बल्कि यूक्रेन के लिए आवश्यक सैन्य सहायता की आपूर्ति को बाधित करने की कोशिश भी हो सकता है। इसी कारण दोनों देशों का सहयोग अगले चरण में प्रवेश कर रहा है।
रूस ने आरोपों को खारिज किया, पोलैंड पर ‘रूसोफोबिया’ का आरोप
रूस ने इन आरोपों को पूरी तरह निराधार बताते हुए पोलैंड की कार्रवाई को राजनीतिक बदले की मानसिकता बताया है। मॉस्को ने कहा कि पोलैंड जान–बूझकर रूस के साथ तनाव बढ़ा रहा है और उसके कदम तथाकथित “रूसोफोबिया” से प्रेरित हैं।
रूसी विदेश मंत्रालय ने यह भी संकेत दिया कि वह जवाबी कार्रवाई पर विचार कर सकता है, जिसमें पोलैंड के कूटनीतिक दफ्तरों पर प्रतिबंध लगाना शामिल हो सकता है। रूस का कहना है कि पोलैंड का यह कदम क्षेत्रीय स्थिरता को कमजोर कर सकता है।
यूरोपीय राजनीति में बढ़ते तनाव की आहट
इस घटनाक्रम ने यूरोप की सुरक्षा और कूटनीतिक संतुलन को नई चुनौती दे दी है। पोलैंड का कड़ा रुख यूरोपीय संघ में रूस को लेकर नीति को और सख्त करने का दबाव बढ़ा सकता है। रूस–यूक्रेन युद्ध के बाद से यूरोप और रूस के संबंध लगातार तनावपूर्ण बने हुए हैं, और अब यह मामला यूरोपीय नीति–निर्माताओं के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बनता जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कूटनीतिक संवाद जल्द बहाल नहीं हुआ तो यूरोपीय महाद्वीप पर राजनीतिक ध्रुवीकरण और गहरा सकता है। पोलैंड का कांसुलेट बंद करने का फैसला आने वाले दिनों में यूरोप की सामूहिक सुरक्षा रणनीति को नए मोड़ पर ले जा सकता है।
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