लंदन निर्वासन के बाद ऐतिहासिक वापसी, बांग्लादेशी राजनीति में बड़ा मोड़
ढाका । बांग्लादेश की राजनीति में एक बड़ा और निर्णायक घटनाक्रम सामने आया है। पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान सत्रह वर्षों के लंबे अंतराल के बाद अपने वतन लौट आए हैं। उनकी वापसी को बांग्लादेशी राजनीति में सत्ता परिवर्तन की आहट के रूप में देखा जा रहा है। ढाका पहुंचते ही एयरपोर्ट और उसके आसपास का इलाका बांग्लादेशी नेशनलिस्ट पार्टी के समर्थकों से भर गया, जहां करीब एक लाख कार्यकर्ता और समर्थक उनका स्वागत करने पहुंचे।
2008 में गिरफ्तारी के डर से छोड़ा था देश
तारिक रहमान वर्ष 2008 में बांग्लादेश छोड़कर लंदन चले गए थे। उस समय देश में तत्कालीन सरकार के दौरान उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग से जुड़े कई मामले दर्ज किए गए थे। गिरफ्तारी और राजनीतिक दबाव से बचने के लिए उन्होंने स्वयं को निर्वासन में रखा। लंदन में रहते हुए भी वे बांग्लादेशी राजनीति से पूरी तरह अलग नहीं हुए और पार्टी के रणनीतिक फैसलों में उनकी भूमिका लगातार बनी रही।
ढाका एयरपोर्ट पर शक्ति प्रदर्शन
तारिक रहमान की वापसी को लेकर बांग्लादेशी नेशनलिस्ट पार्टी ने इसे ऐतिहासिक दिन बताया। ढाका एयरपोर्ट के आसपास पार्टी के झंडे, नारे और बैनर दिखाई दिए। समर्थकों का उत्साह यह संकेत दे रहा था कि पार्टी उन्हें भविष्य के नेता के रूप में स्थापित करने की तैयारी में है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि लंबे समय बाद पार्टी को ऐसा चेहरा मिला है, जो संगठन को एकजुट कर चुनावी मैदान में मजबूती से उतार सकता है।
आगामी चुनाव और बदला हुआ राजनीतिक परिदृश्य
बांग्लादेश में अगले आम चुनाव 12 फरवरी को प्रस्तावित हैं। इस चुनाव से पहले देश की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग पर प्रतिबंध लग चुका है, जिससे राजनीतिक संतुलन पूरी तरह बदल गया है। ऐसे हालात में बीएनपी सबसे मजबूत और प्रमुख चुनावी दावेदार के रूप में उभरकर सामने आई है।
खालिदा जिया की उम्र और स्वास्थ्य बना अहम कारण
बीएनपी अध्यक्ष खालिदा जिया की उम्र अब 80 वर्ष हो चुकी है और वे लंबे समय से गंभीर बीमारियों से जूझ रही हैं। सक्रिय राजनीति में उनकी सीमित भूमिका के चलते पार्टी के भीतर नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा पहले से चल रही थी। तारिक रहमान की वापसी ने इन अटकलों को और मजबूत कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी अब उन्हें औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री पद के चेहरे के तौर पर आगे बढ़ा सकती है।
प्रधानमंत्री पद के संभावित दावेदार
तारिक रहमान को बीएनपी के भीतर पहले से ही संगठनात्मक ताकत का केंद्र माना जाता रहा है। निर्वासन के दौरान भी पार्टी के कई अहम फैसले उनकी सहमति से लिए जाते थे। अब देश लौटने के बाद उनकी भूमिका और प्रभाव दोनों बढ़ने की संभावना है। समर्थकों का दावा है कि वे युवा नेतृत्व, संगठनात्मक पकड़ और राजनीतिक विरासत के कारण प्रधानमंत्री पद के सबसे मजबूत दावेदार बनकर उभरे हैं।
बांग्लादेश की राजनीति में नई दिशा
तारिक रहमान की वापसी को केवल एक नेता की घर वापसी नहीं, बल्कि बांग्लादेश की राजनीति में नई दिशा के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। जहां एक ओर सत्ता संतुलन बदल चुका है, वहीं दूसरी ओर जनता के बीच नेतृत्व को लेकर नई उम्मीदें और चर्चाएं तेज हो गई हैं। आने वाले महीनों में यह साफ होगा कि उनकी यह वापसी बीएनपी को सत्ता तक पहुंचाने में कितनी निर्णायक साबित होती है।
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