सरदार पटेल की विश्वविख्यात प्रतिमा रचने वाले महान शिल्पकार ने 100 वर्ष की आयु में ली अंतिम सांस
नई दिल्ली, 18 दिसंबर (हि.स.)। भारत की कला और सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक पहचान दिलाने वाले महान शिल्पकार राम सुतार का बुधवार देर रात नोएडा स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। वे 100 वर्ष के थे और लंबे समय से उम्रजनित समस्याओं से जूझ रहे थे। उनके निधन के साथ ही भारतीय मूर्तिकला के एक स्वर्णिम अध्याय का पटाक्षेप हो गया है। राम सुतार का नाम उस कृति के साथ सदैव जुड़ा रहेगा, जिसने भारत की एकता और सांस्कृतिक शक्ति को विश्व पटल पर सशक्त रूप से स्थापित किया, गुजरात के केवड़िया में स्थापित सरदार वल्लभभाई पटेल की विशाल प्रतिमा, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी।
परिवार की ओर से निधन की पुष्टि
शिल्पकार राम सुतार के पुत्र अनिल सुतार ने मीडिया को जारी संदेश में बताया कि उनके पिता राम वनजी सुतार का 17 दिसंबर की मध्यरात्रि को अपने निवास पर शांतिपूर्वक निधन हो गया। उन्होंने कहा कि यह परिवार के लिए अत्यंत दुखद क्षण है। कला जगत, देश के सांस्कृतिक क्षेत्र और उनके असंख्य प्रशंसकों के लिए यह अपूरणीय क्षति है। जैसे ही उनके निधन की सूचना सामने आई, देशभर से शोक संदेशों का तांता लग गया।
साधारण परिवार से असाधारण शिखर तक का सफर
राम सुतार का जन्म 19 फरवरी 1925 को महाराष्ट्र के धुले जिले के गोंडूर गांव में एक साधारण परिवार में हुआ था। बचपन से ही उनका झुकाव मिट्टी, पत्थर और आकृतियों की ओर था। ग्रामीण परिवेश में रहते हुए भी उनकी कल्पनाशीलता और कला के प्रति लगाव अलग पहचान बना रहा था। परिवार की सीमित आर्थिक स्थिति के बावजूद उन्होंने अपनी प्रतिभा को कभी दबने नहीं दिया और कठिन परिश्रम के बल पर कला की दुनिया में आगे बढ़ते गए।
जेजे स्कूल ऑफ आर्ट से स्वर्ण पदक तक
राम सुतार ने अपनी औपचारिक कला शिक्षा मुंबई के प्रतिष्ठित जेजे स्कूल ऑफ आर्ट ऐंड आर्किटेक्चर से प्राप्त की। यहां उन्होंने मूर्तिकला में असाधारण कौशल का प्रदर्शन किया और स्वर्ण पदक हासिल किया। यह उपलब्धि उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। इसके बाद उन्होंने भारतीय मूर्तिकला को नई दिशा देने वाला लंबा और गौरवशाली रचनात्मक सफर शुरू किया, जिसमें परंपरा और आधुनिकता का अनूठा समन्वय देखने को मिला।
महापुरुषों को आकार देने वाला शिल्प
राम सुतार की कृतियों में देश के महापुरुषों का व्यक्तित्व जीवंत रूप में उभरकर सामने आता है। नई दिल्ली के संसद परिसर में स्थापित ध्यान मुद्रा में महात्मा गांधी की प्रतिमा उनकी सबसे चर्चित कृतियों में गिनी जाती है। इसी प्रकार घोड़े पर सवार छत्रपति शिवाजी की भव्य मूर्ति भी उनकी अद्वितीय शिल्प दृष्टि का उदाहरण है। उनकी मूर्तियों में केवल आकृति नहीं, बल्कि उस व्यक्तित्व की आत्मा, संघर्ष और विचारधारा भी स्पष्ट रूप से झलकती है।
राम सुतार के निधन पर प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर दी श्रद्धांजलि
नई दिल्ली, 18 दिसंबर (हि.स.)। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के शिल्पकार राम सुतार के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर शोक व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि राम सुतार ने अपनी कृतियों के माध्यम से भारतीय कला को वैश्विक पहचान दिलाई और उनकी रचनाएं राष्ट्रबोध व एकता का प्रतीक हैं। उन्होंने शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि देश इस दुख की घड़ी में उनके साथ है।
Deeply saddened by the passing of Shri Ram Sutar Ji, a remarkable sculptor whose mastery gave India some of its most iconic landmarks, including the Statue of Unity in Kevadia. His works will always be admired as powerful expressions of India’s history, culture and collective… pic.twitter.com/xF9tNkCsp5
— Narendra Modi (@narendramodi) December 18, 2025
`स्टैच्यू ऑफ यूनिटी: विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा
राम सुतार की सबसे कालजयी कृति गुजरात के केवड़िया में नर्मदा नदी के तट पर स्थापित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी है। यह प्रतिमा देश के प्रथम उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित है। 182 मीटर ऊंची यह प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है और भारत की एकता, अखंडता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक मानी जाती है। इस परियोजना ने राम सुतार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई और भारतीय मूर्तिकला की क्षमता को विश्व के सामने रखा।
राष्ट्रीय और राज्य सम्मान से अलंकृत जीवन
राम सुतार को उनके योगदान के लिए अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया। वर्ष 1999 में उन्हें पद्म श्री और 2016 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। हाल ही में उन्हें महाराष्ट्र के सर्वोच्च नागरिक सम्मान महाराष्ट्र भूषण से भी अलंकृत किया गया था। ये सम्मान न केवल उनकी कला प्रतिभा के प्रतीक थे, बल्कि उनके समर्पण, साधना और अनुशासनपूर्ण जीवन की भी पुष्टि करते हैं।
कला के माध्यम से राष्ट्र निर्माण का संदेश
राम सुतार का मानना था कि मूर्तिकला केवल सौंदर्य का माध्यम नहीं, बल्कि समाज को दिशा देने का सशक्त साधन है। उनकी कृतियां राष्ट्र के इतिहास, मूल्यों और आदर्शों को जनमानस तक पहुंचाने का कार्य करती रहीं। उन्होंने अपने पूरे जीवन में यह सिद्ध किया कि कला जब राष्ट्रबोध से जुड़ती है, तो वह पीढ़ियों तक प्रेरणा का स्रोत बन जाती है।
देशभर में शोक की लहर
राम सुतार के निधन से कला, संस्कृति और राजनीति जगत में गहरा शोक व्याप्त है। विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने भारतीय मूर्तिकला को अमर पहचान दी। उनकी कृतियां आने वाली पीढ़ियों को न केवल कला की समझ देंगी, बल्कि देशप्रेम और एकता का संदेश भी देती रहेंगी।
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