धर्म, सत्य और मधुर व्यवहार से जीवन में स्थिरता और आंतरिक शक्ति का निर्माण: प्रधानमंत्री

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीवन में सद्गुणों की भूमिका को रेखांकित करते हुए एक गहन और प्रेरक संदेश साझा किया है। उन्होंने संस्कृत सुभाषित के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि धर्म, सत्य, न्याय, कार्यकुशलता और मधुर व्यवहार जैसे गुण केवल नैतिक आदर्श नहीं हैं, बल्कि ये व्यक्ति के भीतर ऐसी आत्मिक शक्ति का निर्माण करते हैं, जो कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी उसे निराश होने से बचाती है। प्रधानमंत्री का यह संदेश ऐसे समय आया है, जब समाज में मानसिक तनाव, असंतुलन और तात्कालिक लाभ की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है।

संस्कृत परंपरा से जुड़ा आत्मिक संदेश
प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में संस्कृत सुभाषित का उल्लेख करते हुए यह बताया कि भारतीय संस्कृति में सदियों से जीवन मूल्यों को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। संस्कृत भाषा में निहित सुभाषित केवल शाब्दिक सौंदर्य तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे जीवन के गहरे सत्य को सरल शब्दों में प्रस्तुत करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सुभाषितों का उद्देश्य व्यक्ति के भीतर विवेक, संयम और नैतिक साहस को जाग्रत करना है। उनका मानना है कि आधुनिक जीवन की आपाधापी में भी यदि इन मूल्यों को अपनाया जाए, तो जीवन अधिक संतुलित और उद्देश्यपूर्ण बन सकता है।

कर्तव्यनिष्ठा और नैतिक मूल्यों की शक्ति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जो व्यक्ति अपने कर्तव्यों के प्रति ईमानदार रहता है और नैतिक मूल्यों का पालन करता है, वह बाहरी परिस्थितियों से विचलित नहीं होता। उन्होंने यह भी कहा कि कर्तव्यनिष्ठा केवल व्यक्तिगत सफलता का माध्यम नहीं है, बल्कि यह समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी का भी प्रतीक है। जब व्यक्ति अपने दायित्वों को समझकर उन्हें पूरी निष्ठा से निभाता है, तो उसके भीतर आत्मविश्वास और मानसिक स्थिरता स्वतः विकसित होती है।

कार्यकुशलता से आत्मविश्वास का निर्माण
प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में कार्यकुशलता को भी आत्मिक बल का महत्वपूर्ण आधार बताया। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अपने कार्य में दक्ष होता है, वह अनावश्यक भय और असमंजस से मुक्त रहता है। कार्यकुशलता व्यक्ति को निर्णय लेने की क्षमता देती है और उसे अपने प्रयासों पर विश्वास करना सिखाती है। प्रधानमंत्री के अनुसार, जब व्यक्ति अपने कार्य को पूरी निष्ठा और कौशल के साथ करता है, तो उसे बाहरी प्रशंसा की आवश्यकता नहीं रहती, क्योंकि उसका आत्मसंतोष ही उसकी सबसे बड़ी शक्ति बन जाता है।

मधुर व्यवहार और सामाजिक संतुलन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मधुर व्यवहार को जीवन की सबसे बड़ी पूंजी बताया। उन्होंने कहा कि शिष्ट, विनम्र और संयमित व्यवहार न केवल दूसरों के साथ संबंधों को मजबूत करता है, बल्कि व्यक्ति के भीतर भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। उनका कहना था कि कटु वाणी और अहंकार से भरा व्यवहार व्यक्ति को भीतर से कमजोर करता है, जबकि मधुर व्यवहार उसे मानसिक शांति और सामाजिक सम्मान प्रदान करता है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि कठिन परिस्थितियों में भी यदि व्यवहार संयमित और संतुलित रहे, तो समस्याओं का समाधान सहज रूप से निकल आता है।

आत्मिक बल और मानसिक स्थिरता का संबंध
प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में यह स्पष्ट किया कि आत्मिक बल और मानसिक स्थिरता एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति सत्य और न्याय के मार्ग पर चलता है, तो उसके मन में किसी प्रकार का भय या ग्लानि नहीं रहती। यही निडरता उसे मानसिक रूप से मजबूत बनाती है। प्रधानमंत्री के अनुसार, आत्मिक बल किसी बाहरी संसाधन से नहीं, बल्कि व्यक्ति के अपने आचरण और विचारों से उत्पन्न होता है।

आधुनिक समय में संदेश की प्रासंगिकता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह संदेश आज के समय में विशेष रूप से प्रासंगिक माना जा रहा है। तेजी से बदलती जीवनशैली, प्रतिस्पर्धा और भौतिक उपलब्धियों की दौड़ में लोग अक्सर मानसिक तनाव और असंतोष का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए सद्गुणों के संदेश को जीवन में अपनाने से न केवल व्यक्तिगत संतुलन बन सकता है, बल्कि सामाजिक सौहार्द भी मजबूत हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि नैतिक मूल्यों पर आधारित जीवनशैली मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी होती है।

समाज और युवाओं के लिए प्रेरणा
प्रधानमंत्री का यह संदेश विशेष रूप से युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत माना जा रहा है। उन्होंने यह संकेत दिया कि सफलता केवल आर्थिक उपलब्धियों से नहीं मापी जानी चाहिए, बल्कि चरित्र, व्यवहार और नैतिक दृढ़ता भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं। युवाओं के लिए यह संदेश एक मार्गदर्शन के रूप में देखा जा रहा है, जो उन्हें दीर्घकालिक और संतुलित जीवन की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

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