सिलीगुड़ी में दो दिवसीय प्रवास के दौरान युवाओं, बुद्धिजीवियों और समाज के विशिष्ट वर्ग से संवाद, संगठनात्मक अनुशासन और सामाजिक दायित्व पर जोर
सिलीगुड़ी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए उत्तर बंगाल के सिलीगुड़ी पहुंचे। उनके इस दौरे के तहत दो दिनों तक विभिन्न संगठनात्मक और वैचारिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनका केंद्रबिंदु युवाओं की भूमिका, व्यक्ति निर्माण और वैभवशाली राष्ट्र निर्माण का लक्ष्य रहा। संघ के अनुसार, यह प्रवास शताब्दी वर्ष के तहत समाज के विभिन्न वर्गों से संवाद को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
सिलीगुड़ी आगमन के साथ कार्यक्रमों की शुरुआत
मोहन भागवत बुधवार दोपहर सिलीगुड़ी पहुंचे, जहां से वे सीधे माटीगाड़ा रवाना हुए। इस दौरान उत्तर बंगाल प्रांत के संघ पदाधिकारी उनके साथ मौजूद रहे। संघ से जुड़े पदाधिकारियों ने बताया कि इस दो दिवसीय प्रवास के दौरान सरसंघचालक कई महत्वपूर्ण बैठकों और संवाद कार्यक्रमों में भाग लेंगे, जिनका उद्देश्य संगठनात्मक विस्तार के साथ समाज में वैचारिक संवाद को और व्यापक बनाना है।
युवाओं के साथ विशेष संवाद, संगठनात्मक अनुशासन पर बल
संघ के शताब्दी वर्ष कार्यक्रमों के तहत गुरुवार सुबह सेवक रोड स्थित शारदा स्कूल के शताब्दी सदन में उत्तर बंगाल प्रांत के युवाओं का एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस आयोजन में लगभग पांच से सात हजार युवा स्वयंसेवकों की सक्रिय सहभागिता रही। कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत ने युवाओं को संबोधित करते हुए संगठनात्मक अनुशासन, सामाजिक जिम्मेदारी और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका की आवश्यकता पर विस्तार से विचार रखे। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया व्यक्ति निर्माण से शुरू होती है और इसमें युवाओं की भूमिका सबसे अहम होती है।
बुद्धिजीवियों और समाज के विशिष्ट वर्ग से संवाद
अपने प्रवास के दूसरे दिन सरसंघचालक उत्तर बंगाल के विभिन्न हिस्सों से आमंत्रित लगभग दो सौ विशिष्ट व्यक्तियों से संवाद करेंगे। इनमें शिक्षाविद, चिकित्सक, अधिवक्ता, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता और विभिन्न समुदायों से जुड़े बुद्धिजीवी शामिल हैं। संघ पदाधिकारियों के अनुसार, इस संवाद का उद्देश्य समाज के प्रभावशाली वर्गों के साथ विचार-विमर्श कर सामाजिक चुनौतियों और समाधान के साझा रास्ते तलाशना है।
पद्मश्री नगेंद्रनाथ राय की विशेष उपस्थिति
इस कार्यक्रम में राजबंशी भाषा में रामायण का अनुवाद करने वाले पद्मश्री नगेंद्रनाथ राय की उपस्थिति भी विशेष रूप से उल्लेखनीय रही। संघ से जुड़े लोगों का कहना है कि ऐसे व्यक्तित्वों की सहभागिता से स्थानीय संस्कृति, भाषा और परंपरा को राष्ट्रीय विमर्श से जोड़ने में मदद मिलती है।
व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण की अवधारणा
संघ पदाधिकारियों ने स्पष्ट किया कि शताब्दी वर्ष के अंतर्गत आयोजित ये कार्यक्रम केवल संगठनात्मक गतिविधि तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनका मूल उद्देश्य व्यक्ति निर्माण के माध्यम से राष्ट्र निर्माण की भावना को मजबूत करना है। सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल में आयोजित ये आयोजन सामाजिक संवाद, वैचारिक विस्तार और युवाओं के सक्रिय सहभाग के जरिए संघ की दीर्घकालिक सोच को जमीन पर उतारने का प्रयास हैं।
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