बढ़ती परिचालन लागत और जनशक्ति खर्च की भरपाई के लिए किराया युक्तिकरण, उपनगरीय सेवाएं और मासिक पास पूरी तरह सुरक्षित

नई दिल्ली, 21 दिसंबर (हि.स.)। देश की परिवहन व्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले भारतीय रेलवे ने 26 दिसंबर से यात्री किराए में मामूली बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है। रेलवे मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह वृद्धि सीमित और संतुलित रखी गई है, ताकि आम यात्रियों पर न्यूनतम प्रभाव पड़े। नई व्यवस्था के तहत 500 किलोमीटर तक की नॉन-एसी यात्रा पर यात्रियों को केवल 10 रुपये अतिरिक्त चुकाने होंगे। रेलवे का कहना है कि पिछले एक वर्ष में उसकी परिचालन लागत में भारी इजाफा हुआ है, जिसे देखते हुए यह युक्तिकरण आवश्यक हो गया था।

रेल मंत्रालय के अनुसार, बीते एक साल में रेलवे की ऑपरेशन लागत ढाई लाख करोड़ रुपये से अधिक बढ़ गई है। इस बढ़ी हुई लागत की भरपाई के लिए रेलवे एक ओर माल ढुलाई को लगातार बढ़ा रहा है, वहीं दूसरी ओर यात्री किरायों में बेहद सीमित और चरणबद्ध सुधार कर रहा है। मंत्रालय ने भरोसा दिलाया है कि किराया वृद्धि इस तरह की गई है कि सामान्य और मध्यम वर्ग के यात्रियों पर इसका सीधा बोझ न पड़े।

कितना बढ़ा किराया और किन श्रेणियों पर असर

रेलवे द्वारा जारी जानकारी के अनुसार साधारण श्रेणी में 215 किलोमीटर तक की यात्रा पर कोई किराया वृद्धि नहीं की गई है। वहीं 215 किलोमीटर से अधिक दूरी की साधारण श्रेणी यात्रा पर 1 पैसा प्रति किलोमीटर की बढ़ोतरी लागू होगी। मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों की नॉन-एसी श्रेणी में 2 पैसे प्रति किलोमीटर की वृद्धि की गई है। इसी तरह एसी श्रेणी में भी 2 पैसे प्रति किलोमीटर का इजाफा किया गया है। रेलवे ने यह भी स्पष्ट किया है कि नॉन-एसी कोच में 500 किलोमीटर की यात्रा करने वाले यात्रियों को कुल मिलाकर केवल 10 रुपये अतिरिक्त देने होंगे, जिससे यह साफ होता है कि बढ़ोतरी नाममात्र की है।

उपनगरीय सेवाएं और मासिक सीजन टिकट पूरी तरह सुरक्षित

रेलवे ने यात्रियों को राहत देते हुए यह स्पष्ट किया है कि उपनगरीय सेवाओं और मासिक सीजन टिकट के किराए में किसी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं की गई है। रोज़ाना लोकल ट्रेनों से सफर करने वाले लाखों यात्रियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके अलावा साधारण श्रेणी में 215 किलोमीटर तक की यात्रा करने वालों को भी पहले की तरह ही किराया देना होगा। रेलवे का कहना है कि सामाजिक दायित्वों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है, ताकि दैनिक यात्रियों और निम्न आय वर्ग को अतिरिक्त आर्थिक बोझ न झेलना पड़े।

बढ़ती लागत और जनशक्ति पर बढ़ा खर्च

रेल मंत्रालय के अनुसार पिछले एक दशक में रेलवे नेटवर्क और परिचालन स्तर में उल्लेखनीय विस्तार हुआ है। नए ट्रैक, आधुनिक ट्रेनें, बेहतर सुरक्षा व्यवस्था और यात्रियों की सुविधाओं में सुधार के चलते खर्च में भी तेजी से वृद्धि हुई है। वर्तमान में रेलवे का जनशक्ति पर होने वाला खर्च बढ़कर लगभग 1 लाख 15 हजार करोड़ रुपये हो गया है, जबकि पेंशन पर खर्च 60 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। वर्ष 2024-25 में रेलवे की कुल परिचालन लागत बढ़कर 2 लाख 63 हजार करोड़ रुपये हो गई है, जो अपने आप में एक बड़ा आंकड़ा है।

माल ढुलाई और परिचालन दक्षता पर जोर

मंत्रालय ने बताया कि बढ़ती जनशक्ति और परिचालन लागत की भरपाई के लिए रेलवे अधिक कार्गो लोडिंग पर विशेष ध्यान दे रहा है। इसके साथ ही यात्री किराए में सीमित और संतुलित युक्तिकरण किया गया है। रेलवे का दावा है कि सुरक्षा और परिचालन सुधार के निरंतर प्रयासों के चलते देश में रेल सुरक्षा में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। भारत अब विश्व का दूसरा सबसे बड़ा माल परिवहन करने वाला रेलवे नेटवर्क बन चुका है।

त्योहारी सीजन में रिकॉर्ड संचालन

रेलवे ने हालिया त्योहारी सीजन के दौरान 12,000 से अधिक ट्रेनों का सफल संचालन कर परिचालन दक्षता का उदाहरण भी पेश किया है। मंत्रालय के अनुसार यह दर्शाता है कि रेलवे न केवल यात्रियों की बढ़ती मांग को पूरा करने में सक्षम है, बल्कि सीमित संसाधनों के बावजूद संचालन को बेहतर बना रहा है। रेलवे ने यह भी कहा है कि भविष्य में भी दक्षता बढ़ाने, लागत नियंत्रित करने और यात्रियों को सुरक्षित व किफायती सेवाएं देने के प्रयास जारी रहेंगे।

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