2018 में संपत्ति 3.09 करोड़, 2024 में घटकर रह गई 1.64 करोड़ | नालंदा–पटना की संपत्तियाँ अब नाम पर नहीं
बिहार की राजनीति में लंबे समय से महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले नीतीश कुमार की संपत्ति को लेकर नए आंकड़े सामने आए हैं। पिछले दो दशकों में उनकी कुल परिसंपत्तियों में लगातार उतार–चढ़ाव देखने को मिला है। 2004 से लेकर 2024 तक के हलफनामों के आधार पर यह साफ दिखाई देता है कि जहां एक समय उनकी संपत्ति में तेज़ी से वृद्धि हुई, वहीं बाद के वर्षों में इसमें उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई।
2004 के लोकसभा चुनाव में दाखिल किए गए हलफनामे के अनुसार, नीतीश कुमार के पास उस समय कुल 43.18 लाख रुपये की संपत्ति थी, जबकि 6.72 लाख रुपये का कर्ज भी उन पर दर्ज था। अगले कुछ वर्षों में उनकी आय और संपत्ति में वृद्धि होती दिखाई दी।
2012 आते-आते उनकी संपत्ति बढ़कर 1.71 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
2013 में यह और बढ़कर 2.44 करोड़ रुपये हो गई।
2015 में यह मूल्य बढ़कर 2.73 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान 2018 में उनकी कुल संपत्ति का मूल्य अपने सर्वोच्च स्तर पर दर्ज किया गया, जो 3.09 करोड़ रुपये रहा।
लेकिन इसी रेखा में सबसे बड़ा बदलाव 2024 के विधान परिषद चुनाव में सामने आया। इस हलफनामे में नीतीश कुमार ने अपनी कुल संपत्ति 1.64 करोड़ रुपये बताई है, जो 2018 की तुलना में लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की गिरावट दर्शाती है। यह उनके राजनीतिक करियर में संपत्ति के स्तर पर सबसे बड़ी कमी मानी जा रही है।
2024 के हलफनामे में नीतीश कुमार ने अपनी चल संपत्तियों में 2015 मॉडल की फोर्ड ईको स्पोर्ट्स कार, एयर कंडीशनर, ट्रेडमिल, वॉशिंग मशीन और अन्य घरेलू वस्तुओं को शामिल किया है। स्थायी संपत्तियों में उनके पास अब केवल दिल्ली में 1000 स्क्वायर फीट का एक फ्लैट है, जिसकी कीमत 1.48 करोड़ रुपये दर्ज की गई है।
गौरतलब है कि कभी नालंदा और पटना में नीतीश कुमार के नाम पर संपत्तियाँ थीं, लेकिन अब वे किसी भी रूप में उनके नाम पर दर्ज नहीं हैं। इससे यह स्पष्ट है कि पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने कई संपत्तियाँ अपने नाम से हटाई हैं या किसी कारणवश बदलाव किए गए हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इतनी बड़ी गिरावट के पीछे संपत्तियों के हस्तांतरण, उत्तराधिकार संबंधी बदलाव या परिवार के भीतर redistribution जैसी वजहें हो सकती हैं। वहीं यह भी देखा गया है कि उनके हलफनामों में कभी भी अत्यधिक चल संपत्ति या व्यवसायिक आय दर्ज नहीं रही, जिससे अनुमान लगाया जाता है कि उनकी संपत्ति वृद्धि मुख्य रूप से प्राप्त वेतन और सीमित निजी निवेशों पर आधारित रही।
नीतीश कुमार की संपत्ति में आया यह तेज उतार–चढ़ाव फिर एक बार राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि एक दशक पहले जिन संपत्तियों का मूल्य बढ़ रहा था, अब वे कम हो रही हैं या उनके नाम से हट चुकी हैं।
राजनीतिक पारदर्शिता और हलफनामा नियमों के अनुसार प्रस्तुत किया गया यह नवीनतम विवरण आने वाले समय में राजनीतिक बहस को और तेज कर सकता है।
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