वियना यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का दावा—कॉन्टैक्ट डिस्कवरी फीचर में खामी, प्रोफाइल फोटो व टेक्स्ट तक आसानी से एक्सपोज़
दुनिया की सबसे बड़ी मैसेजिंग सेवा व्हाट्सएप एक बड़े डेटा संकट का सामना कर रही है। ऑस्ट्रिया की यूनिवर्सिटी ऑफ वियना के शोधकर्ताओं ने गहन अध्ययन के बाद यह चौंकाने वाला खुलासा किया है कि ऐप की सुरक्षा प्रणाली में ऐसी कमजोरी मिली है जिसके कारण करीब 3.5 अरब यूज़र्स की निजी जानकारी खतरे में पड़ सकती है। यह दावा वैश्विक स्तर पर अब तक दर्ज सबसे बड़े डेटा एक्सपोज़र मामलों में से एक माना जा रहा है।
व्हाट्सएप की लोकप्रियता के पीछे उसका आसान संपर्क पहचान फीचर है, जिसमें कोई भी नया नंबर सेव करते ही यह पता चल जाता है कि वह व्यक्ति ऐप का उपयोग करता है या नहीं। साथ ही उसकी प्रोफाइल फोटो और प्रोफाइल टेक्स्ट भी दिख जाते हैं। यही सुविधा जब अरबों नंबरों पर लागू होती है, तो यह एक विशाल डेटा-सोर्स में बदल जाती है—और यही वर्तमान खतरे का मूल कारण है।
कैसे उजागर हुई यह कमज़ोरी
शोधकर्ताओं ने व्हाट्सएप के ‘कॉन्टैक्ट डिस्कवरी’ फीचर का परीक्षण किया और पाया कि फोन नंबर एक-एक कर सिस्टम में डालकर यह जांचना बेहद आसान था कि कौन-सा नंबर व्हाट्सएप पर सक्रिय है। इस प्रयोग के दौरान खुलासा हुआ कि 3.5 अरब से अधिक सक्रिय यूज़र्स के नंबरों की पहचान अत्यंत सहज तरीके से हो सकती है।
चौंकाने वाली बात यह है कि
57 प्रतिशत यूज़र्स की प्रोफाइल फोटो
29 प्रतिशत यूज़र्स के प्रोफाइल टेक्स्ट
तक बिना किसी रुकावट के प्राप्त कर लिए गए।
शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि वे हर घंटे लगभग 10 करोड़ मोबाइल नंबर स्कैन कर पा रहे थे। इसकी वजह ब्राउज़र-आधारित सिस्टम में मौजूद एक और बड़ी खामी थी—जिसमें गति सीमा (रेट लिमिट) बिल्कुल नहीं थी।
साइबर अपराधियों के लिए खुला दरवाज़ा?
शोधकर्ताओं ने चेताया कि अगर वे यह डाटा इतनी आसानी से निकाल सकते हैं, तो यह संभव है कि साइबर अपराधी भी ऐसा कर चुके हों। ऐसे में फोन नंबर, प्रोफाइल फोटो और अन्य जानकारियों का दुरुपयोग पहचान चोरी, फ़िशिंग और विभिन्न साइबर हमलों में किया जा सकता है।
यह खतरा इसलिए भी बड़ा है क्योंकि व्हाट्सएप यूज़र्स की संख्या दुनिया में सबसे अधिक है और यह ऐप निजी बातचीत, बैंकिंग ओटीपी से लेकर पहचान संबंधी कई संवेदनशील गतिविधियों में उपयोग होता है।
मेटा को चेतावनी, लेकिन संकट पूरी तरह खत्म नहीं
शोधकर्ताओं ने अप्रैल 2025 में मेटा को इसकी जानकारी दी थी और बाद में अपने पास मौजूद सभी 3.5 अरब नंबरों का डाटासेट डिलीट कर दिया। अक्टूबर में मेटा ने इस कमी को दूर करने के प्रयास किए, परंतु शोधकर्ताओं का कहना है कि खतरा अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।
मेटा का दावा है कि
केवल वही डेटा एक्सपोज़ हुआ है जो यूज़र्स ने सार्वजनिक रखा था,
जिन लोगों ने प्रोफाइल फोटो व जानकारी को निजी (प्राइवेसी मोड) में रखा था, उनका डाटा सुरक्षित रहा,
और किसी भी प्रकार का चैट, निजी संदेश या एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड डेटा लीक नहीं हुआ।
हालांकि शोधकर्ता अलयोशा जूडमेयर के अनुसार, यह अब तक दर्ज सबसे व्यापक फोन नंबर और प्रोफाइल डेटा एक्सपोज़र का मामला है। उनके सह-शोधकर्ता मैक्स ग्यूनथर का कहना है कि यदि शोधकर्ता यह सब कर सकते हैं, तो निश्चित रूप से कुछ और लोग चुपचाप पहले ही ऐसा कर चुके होंगे।
पहले भी मिली थी चेतावनी, लेकिन सुधार अधूरे
यह पहली बार नहीं है जब व्हाट्सएप की सुरक्षा पर सवाल उठे हैं। 2017 में भी विशेषज्ञों ने इसी तरह की खामी के बारे में चेतावनी दी थी, लेकिन उस समय भी मेटा ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
आज, जब 3.5 अरब लोगों की निजी जानकारी जोखिम में पाई गई है, तो यह सवाल फिर उठता है कि क्या टेक कंपनियां यूज़र्स की सुरक्षा को लेकर पर्याप्त सतर्क हैं?
डिजिटल दुनिया में यह घटना एक गहरा संदेश देती है—हमारे फोन नंबर जैसी छोटी लगने वाली जानकारी भी बड़े खतरों की जड़ बन सकती है। प्राइवेसी सेटिंग्स सख्त न होने पर यह डेटा आसानी से किसी भी गलत हाथों में जा सकता है। इसलिए यह मामला केवल एक तकनीकी गलती नहीं, बल्कि डिजिटल निजता के प्रति उपेक्षा का स्पष्ट उदाहरण है।
अब क्या? सुरक्षा मजबूत करने की आवश्यकता
व्हाट्सएप जैसे बड़े प्लेटफॉर्म के लिए यह घटना एक चेतावनी है। जरूरत है
कॉन्टैक्ट डिस्कवरी सिस्टम को मजबूत करने की,
रेट लिमिट लगाकर स्कैनिंग को नियंत्रित करने की,
और निजी जानकारी को डिफ़ॉल्ट रूप से सुरक्षित बनाने की।
क्योंकि दुनिया की सबसे बड़ी मैसेजिंग सेवा होने के कारण, इसी मंच पर सबसे बड़ा जोखिम भी उत्पन्न होता है।
यूज़र्स की डिजिटल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मेटा को अब पहले से कहीं ज्यादा ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में इस तरह की सेंधमारी दोबारा न हो सके।
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