केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने संसद में दी जानकारी, ईंधन बचत और राजस्व बढ़ोतरी का दावा
नई दिल्ली। देशभर के राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल भुगतान की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को संसद में जानकारी दी कि टोल भुगतान की नई प्रणाली ‘मल्टी लेन फ्री फ्लो’ (एमएलएफएफ) को वर्ष 2026 के अंत तक पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा। इस प्रणाली के लागू होने के बाद टोल नाकों पर वाहनों को रुकने की आवश्यकता नहीं होगी और वे 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से बिना किसी बाधा के गुजर सकेंगे।
कैसे काम करेगी मल्टी लेन फ्री फ्लो प्रणाली
राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान झारखंड से भाजपा सांसद आदित्य प्रसाद के सवाल का जवाब देते हुए नितिन गडकरी ने बताया कि एमएलएफएफ प्रणाली पूरी तरह आधुनिक तकनीक पर आधारित होगी। इसमें टोल नाकों पर किसी कर्मचारी की आवश्यकता नहीं रहेगी। हाईटेक कैमरों के माध्यम से वाहनों के नंबर प्लेट की पहचान की जाएगी। यह जानकारी उपग्रह प्रणाली के जरिये एक केंद्रीकृत सिस्टम तक पहुंचेगी और संबंधित वाहन मालिक के बैंक खाते से स्वतः टोल शुल्क कट जाएगा। इस प्रक्रिया से न केवल समय की बचत होगी, बल्कि टोल प्लाजा पर लगने वाले जाम की समस्या भी समाप्त हो जाएगी।
ईंधन की बचत और एनएचएआई की आय में बढ़ोतरी
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस नई प्रणाली से देश को बड़ा आर्थिक लाभ होगा। अनुमान है कि एमएलएफएफ के लागू होने से करीब 1,500 करोड़ रुपये के ईंधन की बचत होगी। साथ ही, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की आय में कम से कम 6,000 करोड़ रुपये की वृद्धि होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि कुछ स्थानों पर यह प्रणाली पहले ही लागू की जा चुकी है और इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।
ठेके आवंटन की स्थिति
गडकरी ने बताया कि अब तक मल्टी लेन फ्री फ्लो प्रणाली के लिए 10 ठेके आवंटित किए जा चुके हैं, जबकि 10 अन्य ठेकों की प्रक्रिया जारी है। सरकार का लक्ष्य है कि अगले साल के अंत तक इस प्रणाली को देशभर के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर लागू कर दिया जाए, ताकि टोल भुगतान पूरी तरह निर्बाध और पारदर्शी बन सके।
सड़क दुर्घटनाओं पर गंभीर चिंता
संसद में चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री ने देश में सड़क सुरक्षा की स्थिति पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि हर साल देश में लगभग पांच लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें करीब 1.80 लाख लोगों की मौत हो जाती है। मृतकों में 18 से 34 वर्ष आयु वर्ग के युवाओं की संख्या लगभग 66 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि सड़क और ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में सुधार और कानून सख्त किए जाने के बावजूद मानवीय व्यवहार सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है।
नियमों के उल्लंघन से बढ़ रही दुर्घटनाएं
नितिन गडकरी ने कहा कि वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का उपयोग, हेलमेट न पहनना, सीट बेल्ट की अनदेखी और लेन नियमों का उल्लंघन सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण हैं। उन्होंने कहा कि जब तक लोग स्वयं जिम्मेदारी नहीं दिखाएंगे, तब तक केवल तकनीकी सुधार और कानून पर्याप्त नहीं होंगे।
समय पर इलाज के लिए दो नई योजनाएं
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि समय पर इलाज न मिलने के कारण हर साल करीब 50 हजार लोगों की जान चली जाती है। इसे रोकने के लिए सरकार ने दो अहम योजनाएं शुरू की हैं। पहली योजना के तहत सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने वाले नागरिक को ‘राहवीर’ घोषित किया जाएगा और उसे 25 हजार रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा। दूसरी योजना के अंतर्गत घायल व्यक्ति को जिस अस्पताल में ले जाया जाएगा, वहां कम से कम सात दिनों तक डेढ़ लाख रुपये तक का इलाज खर्च एनएचएआई फंड से वहन किया जाएगा।
एकल आपातकालीन नंबर की दिशा में कदम
गडकरी ने यह भी बताया कि राज्यों से कहा गया है कि एम्बुलेंस सेवाओं के लिए अलग-अलग आपातकालीन नंबरों की जगह एकल आपातकालीन नंबर प्रणाली लागू की जाए, ताकि दुर्घटना के समय लोगों को तुरंत मदद मिल सके और कीमती जानें बचाई जा सकें।
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