भोपाल में आज से अंतरराष्ट्रीय वन मेला, मुख्यमंत्री करेंगे शुभारंभ

भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में आज बुधवार शाम 5 बजे अंतरराष्ट्रीय वन मेले की शुरुआत होगी। इस मेले का शुभारंभ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव करेंगे। यह मेला 17 दिसंबर से 23 दिसंबर तक चलेगा।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस मौके पर “लघु वनोपज हमारी शान” गीत का विमोचन करेंगे। इसके साथ ही एमएफपी पार्क (MFP Park) के लोगो का अनावरण और वेलनेस किट का विमोचन भी किया जाएगा।

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इस कार्यक्रम में कई मंत्री और अधिकारी मौजूद रहेंगे। इनमें खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास कैलाश सारंग, उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार शामिल हैं। इसके अलावा वरिष्ठ वन अधिकारी, लघु वनोपज संघ के अधिकारी और अन्य गणमान्य लोग भी कार्यक्रम में रहेंगे।

यह अंतरराष्ट्रीय वन मेला वन विभाग और मध्य प्रदेश राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ द्वारा मिलकर आयोजित किया जा रहा है। मेले की थीम रखी गई है  “समृद्ध वन, खुशहाल जन”। इसका उद्देश्य जंगल, वन उत्पाद और आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देना है।

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मेले के दौरान हर दिन अलग-अलग सांस्कृतिक और शैक्षणिक कार्यक्रम होंगे। 17 दिसंबर को डिंडोरी जिले का पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा। 18 दिसंबर को स्टार्ट-अप कॉन्क्लेव, पारंपरिक वैद्य कार्यशाला, छात्रों द्वारा गायन, योगा शो, कथक नृत्य और नुक्कड़ नाटक होंगे। इसके साथ ऑर्केस्ट्रा म्यूजिकल ग्रुप की प्रस्तुति भी होगी। 19 दिसंबर को छात्र-छात्राओं की फैंसी ड्रेस और सोलो एक्टिंग, ध्रुपद गायन, कबीर वाणी और सूफी संगीत की प्रस्तुति होगी।

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20 दिसंबर को चित्रकला प्रतियोगिता, बुंदेली गायन, राजस्थानी लोक नृत्य, फ्लैश मॉब और म्यूजिकल कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। 21 दिसंबर को सोलो डांस, ग्रुप डांस, कठपुतली शो, पंजाबी भांगड़ा और ऑर्केस्ट्रा की प्रस्तुति होगी। 22 दिसंबर को वाद्य यंत्रों की प्रस्तुति, लोक कार्यक्रम, पारंपरिक चिकित्सकों और डॉक्टरों के साथ चर्चा, नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता का फाइनल और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।

23 दिसंबर को मेले का समापन होगा। इस दिन पुरस्कार वितरण किया जाएगा। झाबुआ का पारंपरिक नृत्य और म्यूजिकल ग्रुप द्वारा कार्यक्रम पेश किए जाएंगे। यह मेला वन, पर्यावरण, संस्कृति और जनजीवन को जोड़ने का एक बड़ा प्रयास है। आम लोग यहां आकर वन उत्पादों, आदिवासी संस्कृति और पारंपरिक ज्ञान को करीब से देख और समझ सकेंगे।

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