कठिन परिस्थितियों के बावजूद रिकॉर्ड संख्या में पहुंचे भक्त
देहरादून, 25 नवंबर।
उत्तराखंड की चारधाम यात्रा इस वर्ष हर चुनौती को पार करते हुए नए आध्यात्मिक इतिहास की रचना कर गई। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ शीतकाल की यात्रा का औपचारिक समापन हो गया और इसके साथ ही पूरे सीजन का अंतिम आंकड़ा सामने आया। इस वर्ष कुल 51 लाख 4 हजार 975 श्रद्धालुओं ने चारों धामों के दर्शन किए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4 लाख 35 हजार 901 अधिक है। प्राकृतिक आपदाओं, बारिश और मार्ग बाधित होने जैसी परिस्थितियों के बावजूद श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या इस यात्रा की लोकप्रियता और प्रशासनिक तैयारी की सफलता को दर्शाती है।
केदारनाथ और बदरीनाथ में सबसे अधिक आवागमन
चारों धामों में इस वर्ष सबसे अधिक श्रद्धालु केदारनाथ धाम पहुंचे, जहाँ कुल 17 लाख 68 हजार 795 भक्तों ने बाबा केदार के दर्शन किए। बदरीनाथ धाम में भी आस्था का असीम प्रवाह देखने को मिला और यहाँ 16 लाख 60 हजार 224 श्रद्धालु पहुंचे।
गंगोत्री में 7 लाख 57 हजार 010 और यमुनोत्री में 6 लाख 44 हजार 505 यात्रियों ने दर्शन कर आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया।
इस वर्ष हेमकुंट साहिब की यात्रा ने भी नया रिकॉर्ड बनाया। पहली बार श्रद्धालुओं की संख्या 2 लाख 74 हजार 441 पहुंची, जो अब तक का सर्वोच्च आंकड़ा है।
मुख्यमंत्री धामी ने प्रशासनिक प्रबंधन को दी मजबूती
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रतिकूल मौसम और प्राकृतिक बाधाओं के बावजूद यात्रा का सफल संचालन इस बात का प्रमाण है कि राज्य सरकार ने यात्री सुरक्षा, मार्ग सुधार और स्वास्थ्य सेवाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। उन्होंने कहा कि यात्रा मार्गों पर चिकित्सा सुविधाओं, विस्तृत रोग नियंत्रण व्यवस्था, ट्रैफिक प्रबंधन, बेहतर सड़कें, पैदल मार्गों का विस्तार और यात्रा पड़ावों पर सुविधाओं को इस बार तेजी से बढ़ाया गया।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत केदारनाथ में पुनर्निर्माण के बाद यात्रा और सुगम हो गई है। पैदल मार्ग पूर्व की तुलना में सुरक्षित, चौड़ा और व्यवस्थित हुआ है। बदरीनाथ धाम का मास्टर प्लान भी तेजी से आकार ले रहा है, जिससे आने वाले वर्षों में श्रद्धालुओं को और बेहतर अनुभव मिलेगा।
शीतकालीन यात्रा की तैयारियों को मिली गति
चारों धामों के कपाट बंद होने के साथ ही अब शीतकालीन यात्रा की तैयारियाँ तेज कर दी गई हैं। आने वाले छह महीनों तक भगवान बदरीनाथ की पूजा पांडुकेश्वर और ज्योतिर्मठ स्थित नृसिंह मंदिर में होगी।
बाबा केदारनाथ की शीतकालीन पूजा ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में की जाएगी, जबकि
मां गंगा की पूजा मुखबा और
मां यमुना की पूजा खरसाली में संपन्न होगी।
पिछले वर्ष मुख्यमंत्री के अनुरोध पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शीतकालीन पूजा के दौरान उत्तरकाशी पहुंचे थे, जहाँ उन्होंने मुखबा में मां गंगा के शीतकालीन स्वरूप की पूजा-अर्चना की थी। इससे इन स्थलों की आध्यात्मिक पहचान और अधिक मजबूत हुई।
शीतकालीन पर्यटन के लिए विशेष योजना
मुख्यमंत्री धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि शीतकालीन यात्रा स्थलों पर ठहरने, परिवहन और सुरक्षा व्यवस्थाओं को और मजबूत किया जाए। राज्य सरकार शीतकालीन यात्रा और एडवेंचर टूरिज्म को जोड़कर नए पर्यटन सर्किट तैयार कर रही है।
उन्होंने कहा कि पारंपरिक और आधुनिक प्रचार माध्यमों के जरिए उत्तराखंड की आध्यात्मिक और प्राकृतिक संपदा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत किया जाएगा।
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