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April 25, 2025 8:37 AM

तमिलनाडु विधानसभा में कच्चातीवु द्वीप वापस लेने का प्रस्ताव पारित

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चेन्नई। तमिलनाडु विधानसभा ने मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के नेतृत्व में कच्चातीवु द्वीप को श्रीलंका से वापस लेने के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया है। इस प्रस्ताव में भारत सरकार से आग्रह किया गया है कि वह इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाए। विधानसभा में यह प्रस्ताव भारतीय मछुआरों, विशेष रूप से तमिलनाडु के मछुआरों, के समक्ष आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए पारित किया गया है।

तमिलनाडु के मछुआरों की समस्याओं पर जोर

मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान जोर देकर कहा कि श्रीलंकाई नौसेना द्वारा भारतीय मछुआरों की लगातार गिरफ्तारी और उन पर हो रहे हमले गंभीर चिंता का विषय हैं। उन्होंने कहा कि कच्चातीवु को वापस लेना ही इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है।

स्टालिन ने इस बात पर भी जोर दिया कि श्रीलंकाई अधिकारियों द्वारा बार-बार की गई गिरफ्तारियां और जब्त की गई मछली पकड़ने वाली नावें भारत के लिए कूटनीतिक चुनौती हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि वह अपनी आगामी श्रीलंका यात्रा के दौरान हिरासत में लिए गए मछुआरों और उनकी नावों की रिहाई की मांग करें।

कच्चातीवु को लेकर तमिलनाडु का रुख स्पष्ट

तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राज्य सरकार ने कभी भी कच्चातीवु को श्रीलंका को सौंपने का समर्थन नहीं किया था। प्रस्ताव में 1974 के भारत-श्रीलंका समझौते का जिक्र किया गया, जिसमें केंद्र सरकार ने यह द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया था। उस समय, तत्कालीन तमिलनाडु सरकार के मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि ने इस फैसले का विरोध किया था।

कच्चातीवु विवाद का ऐतिहासिक संदर्भ

कच्चातीवु द्वीप पाक जलडमरूमध्य में स्थित 285 एकड़ क्षेत्र में फैला एक छोटा द्वीप है, जो ऐतिहासिक रूप से भारतीय मछुआरों के लिए मछली पकड़ने का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। 1974 के भारत-श्रीलंका समझौते के तहत इसे श्रीलंका को सौंप दिया गया था। तब से, भारतीय मछुआरे इस क्षेत्र में मछली पकड़ने जाते रहे हैं, लेकिन श्रीलंकाई नौसेना द्वारा उनकी गिरफ्तारियों और नावों की जब्ती के मामले लगातार बढ़ते रहे हैं।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और आगे की राह

तमिलनाडु विधानसभा के इस प्रस्ताव को राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह सीधे केंद्र सरकार से कच्चातीवु को भारत में शामिल करने की मांग करता है। अब यह देखना होगा कि भारत सरकार इस प्रस्ताव पर क्या कदम उठाती है और श्रीलंका के साथ इस मुद्दे को कैसे हल करती है।

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