तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राज्यसभा सांसद मोहम्मद नदीमुल हक ने नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स को भारत रत्न देने की मांग की है। बुधवार को संसद में बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय मूल की इस प्रसिद्ध अंतरिक्ष यात्री की उपलब्धियों को भारत में हमेशा सराहा जाता है, और उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करना उनकी उपलब्धियों का सबसे बड़ा उत्सव होगा।
संसद में उठी भारत रत्न देने की मांग
हक ने राज्यसभा में अपने संबोधन के दौरान कहा कि सुनीता विलियम्स का योगदान ऐतिहासिक और प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने 18 मार्च को नौ महीने से अधिक समय अंतरिक्ष में बिताने के बाद पृथ्वी पर वापसी की थी। हक ने कहा,
“सुनीता विलियम्स की सफलता का भारत में हमेशा जश्न मनाया जाता रहा है। अगर हम उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करें, तो यह उनके योगदान को सर्वोच्च सम्मान देने के बराबर होगा।”
ममता बनर्जी ने भी की थी मांग
राज्यसभा सांसद ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उस मांग का भी उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने सुनीता विलियम्स को भारत रत्न देने की वकालत की थी। ममता बनर्जी ने कहा था कि विलियम्स की उल्लेखनीय उपलब्धि को देखते हुए उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा जाना चाहिए।
कौन हैं सुनीता विलियम्स?
भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स का जन्म 19 सितंबर 1965 को अमेरिका में हुआ था। उनके पिता दीपक पंड्या भारतीय मूल के हैं। वह पहली बार 2006 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए रवाना हुई थीं और उन्होंने वहां 195 दिन बिताए थे। इसके बाद 2012 में वह दोबारा अंतरिक्ष में गईं।
उनके नाम अंतरिक्ष में सबसे अधिक समय बिताने वाली महिला अंतरिक्ष यात्री होने का रिकॉर्ड भी रह चुका है। वह अब तक कई ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशनों का हिस्सा रही हैं और अंतरिक्ष में छह बार स्पेसवॉक भी कर चुकी हैं।
क्या उन्हें भारत रत्न मिल सकता है?
भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा या खेल के क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया हो। हालांकि, यह आमतौर पर भारतीय नागरिकों को ही दिया जाता है। सुनीता विलियम्स अमेरिकी नागरिक हैं, इसलिए उन्हें यह पुरस्कार दिए जाने को लेकर संवैधानिक और तकनीकी अड़चनें हो सकती हैं।
इसके बावजूद, भारतीय मूल की होने के कारण कई लोग मानते हैं कि उन्हें यह सम्मान मिलना चाहिए। इससे पहले भी प्रवासी भारतीयों को पद्म पुरस्कारों से नवाजा गया है, लेकिन भारत रत्न अब तक किसी विदेशी नागरिक को नहीं मिला है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा।
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