चंडीगढ़।
पंजाब की प्रमुख राजनीतिक पार्टी शिरोमणि अकाली दल में लंबे समय से चल रही अंतर्कलह और नेतृत्व संकट का शनिवार को औपचारिक पटाक्षेप हो गया। अमृतसर में आयोजित कार्यकारिणी की बैठक में सुखबीर सिंह बादल को चौथी बार पार्टी का प्रधान चुन लिया गया। इस निर्णय के साथ ही पार्टी में मंथन और मतभेद की लंबी प्रक्रिया पर विराम लग गया है।
500 प्रतिनिधियों की एकजुट सहमति
पार्टी की इस महत्वपूर्ण बैठक में राज्यभर से आए लगभग 500 प्रतिनिधि सदस्यों ने एकमत से सुखबीर बादल के नाम पर मुहर लगाई। यह चुनाव पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र को बहाल करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जो पिछले कुछ समय से बगावत और असंतोष के साए में घिरा हुआ था।
2008 से लेकर अब तक—नेतृत्व की जटिल यात्रा
सुखबीर बादल पहली बार वर्ष 2008 में शिरोमणि अकाली दल के प्रधान बने थे। उस वक्त उनके पिता प्रकाश सिंह बादल राज्य के मुख्यमंत्री थे। लेकिन 2015 में पंजाब में हुई बेअदबी की घटनाओं ने पार्टी की छवि को गहरा आघात पहुंचाया। परिणामस्वरूप, 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा और 2022 में तो पार्टी महज़ तीन सीटों तक सिमट गई।
इन घटनाओं के बाद पार्टी के भीतर सुखबीर बादल के नेतृत्व पर लगातार सवाल उठने लगे। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी केवल एक सीट पर जीत हासिल कर पाई, जिससे असंतोष और बढ़ गया।
इस्तीफा और माफी के बाद नई शुरुआत
जनता और पार्टी के बीच भरोसे की बहाली के उद्देश्य से सुखबीर बादल ने 16 नवंबर 2024 को अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और अकाल तख्त साहिब पर पेश होकर माफी भी मांगी थी। इसके बाद वरिष्ठ नेता बलविंद्र सिंह भूंदड़ को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया और पूरे पंजाब में सदस्यता अभियान चलाया गया।
इस अभियान के तहत जिला स्तर पर पार्टी प्रतिनिधियों का चयन किया गया, जिन्होंने शनिवार को सर्वसम्मति से फिर से सुखबीर बादल को प्रधान चुन लिया।
पार्टी में स्थिरता की उम्मीद
सुखबीर बादल के दोबारा अध्यक्ष बनने के बाद अब पार्टी में स्थिरता की उम्मीद की जा रही है। बागी तेवर अपनाए बैठे नेताओं ने भी इस फैसले को स्वीकार कर लिया है। अंदरखाने चल रही कलह को सुलझाने में यह एक निर्णायक मोड़ माना जा रहा है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि सुखबीर बादल अपनी पिछली गलतियों से सबक लेकर पार्टी को दोबारा कैसे मजबूत कर पाते हैं, और आगामी विधानसभा चुनावों के लिए किस रणनीति के तहत काम करेंगे।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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