विधानसभा चुनाव 2026 से पहले वोटर लिस्ट संशोधन पर विवाद, CM ममता बनर्जी ने उठाए सवाल
पश्चिम बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं. इससे पहले चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट को संशोधित करने के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर की शुरुआत की है। लाखों मतदाताओं को इस बाबत फॉर्म बांटा गया है, जिसमें बेसिक इंफॉर्मेशन मुहैया कराना है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अभियान का लगातार विरोध कर रही हैं।
इससे पहले 2002 में एसआईआर अभियान चलाया गया था, तब से लेकर अब तक यानी 23
साल में बांग्लादेश की सीमा से लगते पश्चिम बंगाल के 9 जिलों में रजिस्टर्ड वोटर्स की तादाद में बेहिसाब बढ़ोतरी दर्ज की गई है. ये आंकड़े सामने आने के बाद यह सवाल उठना लाजमी है एआईआर से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इतना बेचैन क्यों हैं? 2002 से 2025 के बीच राज्य में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या में 66% बढ़ोतरी हुई है। 2002 में जहां कुल मतदाता 4.58 करोड़ थे, वहीं 2025 में यह संख्या बढ़कर 7.63 करोड़ हो गई है. सबसे अहम तथ्य यह है कि मतदाताओं की संख्या बढ़ने वाले शीर्ष 10 जिलों में से 9 जिले बांग्लादेश की सीमा से लगे हुए हैं, जिसने
राजनीतिक बहस को और तेज्ज कर दिया है. एसआईआर के मौजूदा चक्र की शुरुआत बिहार से उस वक्त प्रारंभ की गई थी, जब वहां विधानसभा चुनाव होने थे। अब चुनाव संपन्न हो चुके हैं और सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर ली है. इन सबके बीच पश्चिम बंगाल से चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. चुनाव की ओर बढ़ते पश्चिम बंगाल में राजनीतिक तापमान चढ़ता जा रहा है. इस बीच, मतदाता सूची का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (सिर) जारी है और इसी दौरान एक महत्वपूर्ण आंकड़ा सामने आया है।
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