नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली की राजनीति में शुक्रवार को एक अहम मोड़ आया, जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने महापौर और उपमहापौर पद के चुनाव में एकतरफा जीत दर्ज की। राजा इकबाल सिंह को दिल्ली का नया महापौर चुना गया है, जबकि जय भगवान यादव को निर्विरोध उपमहापौर चुना गया। यह भाजपा के लिए बड़ी जीत मानी जा रही है, क्योंकि अब दिल्ली में केंद्र सरकार, एलजी और एमसीडी – तीनों जगह पार्टी का नियंत्रण हो गया है।
आप और कांग्रेस की गैर-मौजूदगी से आसान हुई राह
इस चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) ने हिस्सा नहीं लिया, जबकि कांग्रेस की उम्मीदवार आरीबा खान ने उपमहापौर पद के लिए नामांकन वापस ले लिया। इससे भाजपा की राह और भी आसान हो गई। चुनाव में कुल 142 पार्षदों ने हिस्सा लिया, जिनमें से भाजपा के उम्मीदवार को 133 और कांग्रेस को केवल 8 मत मिले।
भाजपा की ‘ट्रिपल इंजन’ सरकार का प्रभाव
राजा इकबाल सिंह ने महापौर चुने जाने के बाद कहा कि भाजपा दिल्ली नगर निगम में पारदर्शी और जनहितकारी शासन लाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि एमसीडी में रुके हुए विकास कार्यों में अब तेजी लाई जाएगी और राजधानी की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक प्रदूषण को कम करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
निर्वाचक मंडल में रहे सांसद और विधायक भी
महापौर चुनाव के निर्वाचक मंडल में 238 पार्षदों के अलावा 10 सांसद (7 लोकसभा और 3 राज्यसभा से) और 14 विधायक भी शामिल रहे। यह चुनाव प्रशासनिक रूप से भी महत्वपूर्ण था, क्योंकि निवर्तमान महापौर और उपमहापौर के पद रिक्त होने के कारण उपराज्यपाल ने सत्या शर्मा को पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया था।
राजनीतिक संकेत और भाजपा की मजबूत स्थिति
भाजपा की इस जीत को दिल्ली की राजनीति में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है। ‘ट्रिपल इंजन’ सरकार के रूप में अब केंद्र, एलजी और एमसीडी—तीनों स्तरों पर भाजपा की मौजूदगी एक मजबूत नीति निर्धारण और प्रशासनिक फैसलों की राह आसान कर सकती है।
चुनाव से पहले सभी नेताओं और पार्षदों ने पहलगाम हमले में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि दी, जो इस अवसर को एक भावनात्मक पृष्ठभूमि भी देता है।
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