26 नवंबर को लिखे पत्र में कहा,संविधान ने साधारण परिवार से निकले व्यक्ति को 24 वर्षों तक सरकार का मुखिया बनने का अवसर दिया

संविधान दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों को संबोधित करते हुए एक विस्तृत और भावनात्मक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने भारतीय संविधान की शक्ति, उसकी मार्गदर्शक भूमिका और नागरिकों के कर्तव्यों पर विशेष जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का संविधान सिर्फ एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि देश की लोकतांत्रिक आत्मा है, जिसने राष्ट्र को निरंतर विकास के मार्ग पर आगे बढ़ाया है।

उन्होंने अपने अनुभवों का उल्लेख करते हुए कहा कि संविधान की वजह से ही एक साधारण और गरीब परिवार से आने वाले व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला। उन्होंने इसे संविधान की जीवंतता तथा समानता और अवसर के सिद्धांतों की जीत बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान ने उन्हें पिछले 24 वर्षों से सरकार का मुखिया बनने का अवसर दिया, जिसका वे पूर्ण निष्ठा से निर्वहन कर रहे हैं।

संविधान की ऐतिहासिक भूमिका का स्मरण

प्रधानमंत्री ने वर्ष 1949 में संविधान को अपनाए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि यह न केवल ऐतिहासिक दिन था, बल्कि देश के भविष्य की दिशा तय करने वाला क्षण भी था। उन्होंने याद दिलाया कि वर्ष 2015 में उनकी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस घोषित किया, ताकि नागरिकों में संविधान के प्रति सम्मान और जागरूकता और गहरी हो सके।

मतदान पर ज़ोर,“मतदान का कोई अवसर छोड़ा न जाए”

प्रधानमंत्री ने अपने पत्र में नागरिकों के सबसे महत्वपूर्ण अधिकार—मतदान—पर विशेष रूप से जोर दिया। उन्होंने कहा कि मतदान का अधिकार हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था की सबसे बड़ी ताकत है। हर नागरिक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह किसी भी चुनाव में वोट डालने के अवसर को न छोड़े।

उन्होंने सुझाव दिया कि देश के सभी स्कूलों में हर वर्ष 26 नवंबर को प्रथम बार मतदान करने वाले युवाओं का सम्मान किया जाए। इससे वोटिंग के प्रति नई पीढ़ी में जागरूकता और जिम्मेदारी की भावना बढ़ेगी।

संविधान दिवस: केवल उत्सव नहीं, आत्ममंथन का भी दिन

प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान दिवस केवल उत्सव का समय नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और आत्ममंथन का अवसर भी है। हर नागरिक को सोचना चाहिए कि वह अपने कर्तव्यों का पालन कितनी निष्ठा और ईमानदारी से कर रहा है।

उन्होंने नागरिकों से कहा कि एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण में नागरिकों की सक्रिय, सकारात्मक और जिम्मेदार भूमिका अनिवार्य है। लोकतंत्र तभी फलता-फूलता है जब हर नागरिक अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों को भी सर्वोपरि रखता है।

मौलिक कर्तव्यों पर महात्मा गांधी की सीख

प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 51A नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों को समर्पित है। उन्होंने महात्मा गांधी की उस शिक्षा का भी उल्लेख किया, जिसमें गांधीजी ने कहा था कि जब नागरिक ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं, तब अधिकार स्वतः उनके पास चले आते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सामाजिक और आर्थिक प्रगति का मार्ग तभी प्रशस्त होता है जब समाज कर्तव्यों के प्रति सजग और उत्तरदायी बनता है।

इस वर्ष का संविधान दिवस कई ऐतिहासिक अवसरों से जुड़ा

प्रधानमंत्री ने बताया कि इस वर्ष का संविधान दिवस इसलिए भी विशेष है क्योंकि यह अनेक ऐतिहासिक अवसरों से जुड़ा हुआ है—

सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती

जनजातीय वीर बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती

राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष

गुरु तेग बहादुर की 350वीं शहादत वर्षगांठ

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में भारतीय संविधान अब पूर्ण रूप से लागू हो चुका है, जो एक बड़ी संवैधानिक उपलब्धि है।

संविधान सभा के सदस्यों को श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री ने संविधान सभा के सदस्यों के योगदान को भावपूर्वक याद किया। उन्होंने डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. भीमराव आम्बेडकर और उन सभी प्रतिष्ठित महिला सदस्यों का उल्लेख किया, जिनकी दूरदर्शिता ने भारतीय संविधान को विश्व का श्रेष्ठतम संविधान बनाया।

उन्होंने गुजरात में आयोजित संविधान गौरव यात्रा, संविधान की 60वीं वर्षगांठ, और 75वीं वर्षगांठ पर संसद के विशेष सत्र जैसे महत्वपूर्ण आयोजनों को याद करते हुए कहा कि इन सभी कार्यक्रमों में अभूतपूर्व जन भागीदारी देखने को मिली, जो जनता की संविधान के प्रति आस्था का प्रमाण है।

2049 की ओर,नया भारत, विकसित भारत

प्रधानमंत्री ने भविष्य की ओर देखते हुए कहा कि आजादी के 100 साल पूरे होने में अब केवल कुछ वर्ष ही शेष हैं। वर्ष 2049 में संविधान को अपनाए 100 वर्ष पूर्ण हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि आज लिए गए निर्णय और नीतियां आने वाली पीढ़ियों के जीवन को आकार देंगी।

प्रधानमंत्री ने नागरिकों से आग्रह किया कि वे "कर्तव्य सर्वोपरि" के सिद्धांत को अपनाएं, क्योंकि विकसित भारत का निर्माण नागरिकों की जिम्मेदारी और राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना से ही संभव है।

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