दूरसंचार के नए नियमों में बंधेंगे मैसेजिंग ऐप...
भारत सरकार ने अब देश में चल रहे सभी मैसेजिंग ऐप जैसे व्हाट्सएप, टेलीग्राम, सिग्नल आदि के लिए नए नियम लागू कर दिए हैं। ये नियम दूरसंचार विभाग ने जारी किए हैं और ये तुरंत प्रभाव से लागू हो गए हैं। सरकार ने सभी ऐप कंपनियों को कहा है कि वे 90 दिनों के भीतर नया सिस्टम शुरू करें और 120 दिनों के अंदर इसकी पूरी रिपोर्ट जमा करें।
सरकार का कहना है कि कई मैसेजिंग ऐप ऐसे मोबाइल या डिवाइस पर भी चल रहे थे जिनमें वह सिम कार्ड लगा ही नहीं होता था, जिसके नाम पर ऐप रजिस्टर किया गया था। इस सुविधा का गलत फायदा विदेश में बैठे साइबर फ्रॉड वाले गिरोह उठा रहे थे। वे भारत के मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल करके फ्रॉड और पहचान चोरी (Identity Theft) जैसी घटनाएं कर रहे थे। सरकार को लग रहा था कि यह तरीका टेलीकॉम साइबर सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा बन सकता है। इसलिए यह बदलाव जरूरी था।
नए नियम के मुताबिक अब हर मैसेजिंग ऐप को उसी सक्रिय सिम से लगातार जुड़ा रहना होगा, जिस नंबर पर वह ऐप रजिस्टर किया गया है। मतलब अगर व्हाट्सएप किसी नंबर से रजिस्टर है, तो वह ऐप तभी चलेगा जब उसी फोन में वही सिम लगी हो। अगर सिम निकाल दी या मोबाइल बदल दिया, तो ऐप नहीं चलेगा। इससे साइबर अपराध, फर्जी पहचान और नंबर के गलत इस्तेमाल में कमी आएगी।
इस नियम के बाद एक बड़ा बदलाव यह भी होगा कि अब व्हाट्सएप या टेलीग्राम जैसे ऐप बिना सिम वाले टैबलेट, लैपटॉप, कंप्यूटर या किसी दूसरे फोन में नहीं चल पाएंगे। पहले लोग बिना सिम के भी ऐप चलाने के लिए वेब वर्ज़न का इस्तेमाल कर लेते थे, पर अब इसमें भी बदलाव कर दिया गया है।
सरकार ने वेब वर्ज़न के लिए भी सख्त निर्देश दिए हैं। अब कोई भी मैसेजिंग ऐप का वेब वर्ज़न हर 6 घंटे में अपने आप लॉगआउट हो जाएगा। इसके बाद यूज़र को फिर से क्यूआर कोड स्कैन करके लॉग इन करना पड़ेगा। इससे अकाउंट का गलत या अनधिकृत इस्तेमाल रुक जाएगा, क्योंकि कोई भी बिना अनुमति के किसी का वेब व्हाट्सएप चालू नहीं कर सकेगा।
दूरसंचार विभाग ने निर्देश दिया है कि सभी ऐप कंपनियाँ 90 दिनों में नया सिस्टम लागू करें और 120 दिनों में लिखित रिपोर्ट दें कि उन्होंने नियमों का पालन किया या नहीं। अगर कोई कंपनी नियम नहीं मानती है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सरकार का कहना है कि ये सभी कदम देश की साइबर सुरक्षा बढ़ाने, मोबाइल नंबरों के गलत इस्तेमाल को रोकने और पहचान की चोरी जैसी घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए उठाए गए हैं। हालांकि इससे आम यूज़र्स को ऐप इस्तेमाल में थोड़ी अतिरिक्त प्रक्रिया अपनानी पड़ सकती है, जैसे फिर से लॉगइन करना या उसी सिम वाले फोन में ऐप चलाना, लेकिन सुरक्षा बढ़ाने के लिए ये जरूरी बताया गया है।
नए नियम लागू होने के बाद उम्मीद है कि देश में साइबर फ्रॉड और फर्जी नंबर से होने वाली ठगी की घटनाओं में कमी आएगी और मैसेजिंग ऐप्स का इस्तेमाल पहले से ज्यादा सुरक्षित हो जाएगा।
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