बंगाल की खाड़ी में बने चक्रवात दित्वाह का दबाव कम हुआ, लेकिन तमिलनाडु–पुडुचेरी में भारी वर्षा से जनजीवन प्रभावित; ‘सागर बंधु’ अभियान के तहत 104 भारतीय सुरक्षित स्वदेश लौटे
नई दिल्ली । बंगाल की खाड़ी में बना चक्रवात दित्वाह अब कमजोर होकर गहरे दबाव में बदल गया है, लेकिन इसके असर से दक्षिण भारत के तटीय राज्यों में राहत अभी भी दूर दिखाई दे रही है। भारतीय मौसम विभाग ने रात दो बजे जारी अपने अपडेट में बताया कि यह गहरा दबाव तमिलनाडु और पुडुचेरी के तट से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित था और उत्तर दिशा में करीब 10 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ रहा था। हवा की तीव्रता और समुद्र में तेज लहरों के कारण तटीय क्षेत्रों में खतरा बना हुआ है, जिससे प्रशासन ने कई इलाकों में रेड अलर्ट घोषित कर दिया है।
तटीय क्षेत्रों में तेज वर्षा, जनजीवन प्रभावित
तमिलनाडु, पुडुचेरी और दक्षिण आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में लगातार तेज वर्षा हो रही है, जिसने आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। कई जिलों में सड़कों पर जलभराव, पेड़ों के गिरने, बिजली आपूर्ति बाधित होने और आवागमन रुकने की स्थितियां पैदा हो गई हैं। प्रशासन ने राहत दलों को तैयार रहने के निर्देश दिए हैं और स्कूल–कॉलेज भी बंद रखे गए हैं। तमिलनाडु के आपदा प्रबंधन मंत्री केकेएसएसआर रामचंद्रन ने जानकारी दी कि वर्षा से जुड़ी घटनाओं में अब तक तीन लोगों की मृत्यु हो चुकी है। उन्होंने कहा कि जिले–जिले में टीमों को सक्रिय कर दिया गया है और राहत कार्य लगातार जारी है। समुद्र में ऊँची लहरों के कारण मछुआरों को समुद्र में न उतरने की सख्त चेतावनी दी गई है।
दित्वाह की रफ्तार धीमी, लेकिन खतरा बरकरार
हालाँकि दित्वाह का दबाव कम हुआ है, लेकिन मौसम विभाग का कहना है कि यह प्रणाली अभी भी तटीय क्षेत्रों में भारी वर्षा कराने की क्षमता रखती है। अगले 12 से 18 घंटों तक कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा की आशंका है, खासकर उत्तर तमिलनाडु और दक्षिण आंध्र प्रदेश में। विशेषज्ञों के अनुसार, गहरे दबाव में परिवर्तित हो जाने के बाद भी यह प्रणाली बड़ी मात्रा में नमी लेकर चलती है, जिससे लगातार बारिश होती है। यही कारण है कि प्रशासन अभी पूरी तरह सतर्क है। राहत और बचाव दलों को तैनात रखा गया है और जलभराव वाले इलाकों में निकासी कार्य भी किया जा रहा है।
कोलंबो से फंसे भारतीयों की सुरक्षित वापसी पूरी
चक्रवात के कारण श्रीलंका में कई विमान सेवाएं बाधित हो गई थीं और कोलंबो के बंदरनाइक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बड़ी संख्या में यात्री फंस गए थे। इनमें कई भारतीय भी शामिल थे। ऐसे में भारत सरकार ने ‘सागर बंधु’ अभियान के तहत विशेष अभियान चलाकर फंसे भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने का निर्णय लिया। भारतीय वायु सेना के विशेष विमान के माध्यम से अंतिम समूह के 104 भारतीय यात्रियों को भारत लाया गया। सुबह लगभग 6:30 बजे यह दल त्रिवेंद्रम (तिरुवनंतपुरम) पहुँचा। इससे पहले भी कई उड़ानों के माध्यम से भारतीयों को वापस लाया गया था, लेकिन इस अंतिम बेड़े के आगमन के साथ ही कोलंबो में फंसे सभी भारतीयों की निकासी पूरी हो गई। वापस लौटे यात्रियों ने बताया कि हवाई अड्डे पर स्थिति तनावपूर्ण थी और कई उड़ानें रद्द होने के कारण लोग घंटों इंतजार कर रहे थे। भारतीय दूतावास और वायु सेना के त्वरित समन्वय के कारण उन्हें सुरक्षित निकालना संभव हो सका।
‘सागर बंधु’ अभियान: विदेशों में फंसे भारतीयों के लिए जीवनरेखा
भारत सरकार द्वारा चलाया जा रहा ‘सागर बंधु’ अभियान उन भारतीयों को संकट के समय सुरक्षित निकालने की एक महत्वपूर्ण पहल है, जो विदेशों में प्राकृतिक आपदाओं या आकस्मिक परिस्थिति में फंस जाते हैं। श्रीलंका में फंसे यात्रियों की सुरक्षित वापसी इस अभियान की त्वरित और प्रभावी कार्यप्रणाली का एक और उदाहरण है। समुद्री देशों और दक्षिण एशिया के क्षेत्रों में समय–समय पर आने वाले चक्रवात, तूफान और बाढ़ जैसी परिस्थितियों में यह अभियान भारतीय नागरिकों के लिए बड़ी राहत बनकर सामने आया है।
प्रशासन की चुनौतियाँ और आगे का अनुमान
तमिलनाडु के कई तटीय इलाकों में सड़कें जलमग्न होने के कारण परिवहन व्यवस्था प्रभावित हुई है। कई स्थानों पर पेड़ों के गिरने से मार्ग अवरुद्ध हो गए हैं। बिजली आपूर्ति बाधित होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में परेशानियाँ और बढ़ गई हैं। स्थानीय प्रशासन ने सभी विभागों से समन्वय बनाकर सड़कें खोलने, पेड़ों को हटाने, प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और तेज वर्षा के दौरान लगातार निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। मौसम विभाग ने कहा है कि अगले कुछ घंटों में दित्वाह और अधिक कमजोर होगा, लेकिन इससे जुड़े वर्षा–तूफान के प्रभाव अभी भी बने रहेंगे। इसलिए तटीय जिलों में प्रशासन ने लोगों को घरों से बाहर कम निकलने और जलभराव वाले क्षेत्रों से दूर रहने की सलाह दी है।
क्षेत्रीय सुरक्षा और निगरानी जारी
तट रक्षक बल और नौसेना भी उच्च सतर्कता पर हैं। समुद्र में लगातार उच्च तरंगें और तेज हवाएँ चल रही हैं, जिससे समुद्री सुरक्षा दलों को चौकसी बढ़ानी पड़ी है। बंदरगाहों पर जहाजों को सुरक्षित खड़ा करने और मछुआरों की नौकाओं को तट पर ही रोकने के निर्देश दिए गए हैं। इस बीच, विशेषज्ञों ने बताया है कि बंगाल की खाड़ी में इस मौसम में बनने वाले चक्रवातों की तीव्रता और आवृत्ति के पीछे लगातार बदलती जलवायु स्थितियाँ भी एक प्रमुख कारण हैं। भविष्य में ऐसी परिस्थितियों में और अधिक तैयारी की आवश्यकता होगी।
/swadeshjyoti/media/agency_attachments/2025/11/09/2025-11-09t071157234z-logo-640-swadesh-jyoti-1-2025-11-09-12-41-56.png)
/swadeshjyoti/media/agency_attachments/2025/11/09/2025-11-09t071151025z-logo-640-swadesh-jyoti-1-2025-11-09-12-41-50.png)
/swadeshjyoti/media/media_files/2025/12/01/oiparashana-sagara-bthha-ka-tahata-kalb-sa-fasa-bharataya-ghara-lta-2025-12-01-12-33-42.jpg)