विधानसभा भंग करने की प्रक्रिया शुरू, दलों की बैठकों के बाद नेता का चयन, नई कैबिनेट में 36 मंत्री शामिल होने की संभावना
बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद राज्य में राजनीतिक गतिविधियाँ तेजी से बढ़ गई हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को मिले प्रचंड जनादेश के बाद अब नई सरकार के गठन की दिशा में औपचारिक प्रक्रियाएँ शुरू कर दी गई हैं। इसी क्रम में सोमवार को नीतीश कुमार ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात की और उन्हें पत्र सौंपा, जिसमें मौजूदा विधानसभा को 19 नवंबर को भंग किए जाने की जानकारी दी गई। बैठक के दौरान राज्यपाल ने नीतीश कुमार को भारी बहुमत के साथ मिली जीत पर शुभकामनाएँ भी दीं।
सोमवार को ही मौजूदा मंत्रिमंडल की अंतिम बैठक आयोजित की गई, जिसमें विधानसभा को भंग करने के प्रस्ताव को स्वीकृति मिली। इस प्रस्ताव के पारित होने के साथ अब राज्य में पुनर्गठन की संवैधानिक प्रक्रिया औपचारिक रूप से आगे बढ़ चुकी है। चुनाव आयोग की ओर से विजयी उम्मीदवारों की सूची राजभवन को सौंप दी गई है और आचार संहिता भी समाप्त कर दी गई है, जिससे नई सरकार के गठन का मार्ग और अधिक स्पष्ट होता जा रहा है।
राजनीतिक गतिविधियों की दृष्टि से मंगलवार का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण होने वाला है। इस दिन जनता दल यूनाइटेड की विधायक दल की बैठक आयोजित की जाएगी, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी विधायक दल की बैठक भी होगी। इसके पश्चात एनडीए की संयुक्त बैठक रखी जाएगी, जिसमें विधायक दल के नेता का चयन किया जाएगा और उसी के आधार पर नई सरकार के गठन का दावा पेश किया जाएगा।
राज्य में सत्ता परिवर्तन की तैयारियों के साथ ही मुख्यमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह की रूपरेखा भी तैयार कर ली गई है। जानकारी के अनुसार 20 नवंबर को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में नीतीश कुमार दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। समारोह की भव्य तैयारियाँ जारी हैं और इसमें देश के कई अहम नेताओं के शामिल होने की संभावना है। केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने बताया है कि आगामी मंत्रिमंडल में कुल 36 मंत्री शामिल होंगे, जिसमें 16 भारतीय जनता पार्टी से, 15 जनता दल यूनाइटेड से, 3 लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) से तथा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और रालोमो से एक-एक मंत्री स्थान पाएंगे। इस जानकारी से यह संकेत भी मिलता है कि गठबंधन में संतुलन और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की रणनीति पर विशेष ध्यान दिया गया है।
वर्तमान सरकार का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है, इसलिए उससे पहले नई सरकार का गठन संवैधानिक रूप से आवश्यक है। इस कारण शपथ ग्रहण और कैबिनेट गठन की प्रक्रिया समयबद्ध रूप से पूरी की जानी है। राज्य में मिले जनादेश को देखते हुए एनडीए आत्मविश्वास से भरी हुई है और विकास के नए एजेंडे तथा स्थिर प्रशासन की उम्मीदें एक बार फिर बढ़ गई हैं।
आगामी सरकार के गठन के साथ बिहार के राजनीतिक इतिहास में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ने जा रहा है। जनता द्वारा दिए गए इस निर्णायक जनादेश ने यह संदेश भी स्पष्ट किया है कि विकास, स्थिरता और सुशासन की चाहत राज्य के मतदाताओं की मुख्य प्राथमिकता है।
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