46 किलो गांजे के साथ अनिल बागरी गिरफ्तार, राजनीति में हंगामा
सतना पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 46 किलो गांजा बरामद किया और इसके साथ तस्कर अनिल बागरी को गिरफ्तार कर लिया। यह खबर सामने आते ही पूरे इलाके में चर्चा शुरू हो गई क्योंकि अनिल बागरी कोई सामान्य व्यक्ति नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश की राज्यमंत्री प्रतिमा बागरी का भाई बताया जा रहा है। पुलिस का कहना है कि चेकिंग के दौरान एक वाहन को रोका गया और जब तलाशी ली गई तो उसमें भारी मात्रा में गांजा मिला। गांजे की मात्रा इतनी ज्यादा थी कि पुलिस को तुरंत अंदाजा हो गया कि यह कोई छोटी-मोटी तस्करी नहीं बल्कि एक बड़ा नेटवर्क हो सकता है। पुलिस अब उस नेटवर्क की जांच कर रही है जिसके बारे में शक है कि इसमें और भी लोग शामिल हो सकते हैं।
इस मामले के सामने आते ही राजनीति में हलचल मच गई है। विपक्ष ने सरकार पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। कांग्रेस नेता उमंग सिंघार ने कहा कि अगर मंत्री के परिवार के लोग बार-बार नशे के मामलों में पकड़े जा रहे हैं तो यह बहुत गंभीर बात है। उन्होंने पूछा कि आखिर सरकार ऐसे मामलों में त्वरित और कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं कर रही। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने भी कहा कि यह पहली बार नहीं है जब इस परिवार का नाम नशे के कारोबार से जुड़े मामले में आया हो। इससे पहले अनिल बागरी के जीजा भी नशा तस्करी के मामले में गिरफ्तार किए जा चुके हैं। विपक्ष का कहना है कि जब एक मंत्री का परिवार लगातार ऐसे मामलों में फंस रहा है तो यह संदेह पैदा करता है कि क्या उन्हें राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है, और क्या यही कारण है कि नशे का कारोबार बढ़ रहा है।
वहीं दूसरी तरफ, पुलिस का कहना है कि आरोप कितना भी बड़ा क्यों न हो, वह पूरी तरह जांच करेगी और सभी तथ्यों को सामने लाया जाएगा। पुलिस के मुताबिक बरामद सामान का वजन 46 किलो है और यह काफी बड़ी मात्रा है, जो बताती है कि तस्करी कई दिनों से चल रही थी। पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि यह गांजा कहां से लाया गया, कितने समय से तस्करी हो रही थी और इस नेटवर्क में और कौन लोग शामिल हैं। पुलिस ने बताया कि शुरुआती पूछताछ में अनिल कई बार सवालों के जवाब से बचता नज़र आया, लेकिन जांच टीम उससे लगातार पूछताछ कर रही है।
इस बीच, सरकार और मंत्री प्रतिमा बागरी की तरफ से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। यही चुप्पी विपक्ष के सवालों को और मजबूत कर रही है। आम जनता में भी इस बात को लेकर चर्चा है कि अगर सरकार नशे के खिलाफ इतनी सख्ती दिखाती है तो फिर अपने ही लोगों पर इतनी खामोशी क्यों है। सोशल मीडिया पर भी लोग लगातार प्रतिक्रिया दे रहे हैं और सरकार से इस मामले में पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं।
पूरी घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि नशे का कारोबार आखिर कैसे फल-फूल रहा है और क्या राजनीतिक पहुंच रखने वाले लोग इस तरह के अपराधों में खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। सतना पुलिस की कार्रवाई सराहनीय जरूर है, लेकिन अब लोगों की निगाहें इस बात पर हैं कि इस केस में आगे क्या कदम उठाए जाएंगे और क्या असल दोषियों तक कानून पहुंच पाएगा या नहीं। यह मामला आने वाले समय में राजनीति और कानून व्यवस्था दोनों के लिए एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।
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