10 मिनट डिलीवरी मॉडल खत्म करने और भुगतान बढ़ाने की मांग, सड़क पर उतरे हजारों राइडर
नए साल का जश्न इस बार देशभर में फीका पड़ सकता है, क्योंकि गिग वर्कर्स ने अपनी मांगों को लेकर देशव्यापी हड़ताल शुरू कर दी है। यह हड़ताल बुधवार से लागू हो चुकी है और इसका आह्वान Telangana Gig and Platform Workers Union ने किया है। हड़ताल का मुख्य उद्देश्य 10 मिनट में डिलीवरी जैसे त्वरित मॉडल को समाप्त कराना और डिलीवरी के बदले मिलने वाले भुगतान में वास्तविक बढ़ोतरी कराना है। गिग वर्कर्स का कहना है कि मौजूदा व्यवस्था न केवल उनकी आय घटा रही है, बल्कि उनकी सुरक्षा को भी गंभीर खतरे में डाल रही है।
रेट कार्ड, जुर्माना और बीमा को लेकर गहरी नाराजगी
हड़ताल में शामिल फूड डिलीवरी एजेंटों का कहना है कि कंपनियों ने समय के साथ रेट कार्ड में ऐसे बदलाव किए हैं, जिनसे उनकी कमाई लगातार घटती गई है। राइडर्स का आरोप है कि उन्हें पर्याप्त मेहनताना नहीं मिलता, जबकि उनसे दिन-रात सड़क पर 12 से 14 घंटे तक काम कराया जाता है। इसके बावजूद अगर किसी कारण से ऑर्डर रद्द हो जाता है, तो उसका जुर्माना भी राइडर को ही भरना पड़ता है। कई राइडर्स ने बताया कि ग्राहकों के सामने मुस्कुराकर व्यवहार करने और रेटिंग मांगने का दबाव रहता है, लेकिन कंपनी उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं देती।
दिल्ली: एक डिलीवरी पार्टनर ने गिग वर्कर्स की देशव्यापी हड़ताल पर कहा, "मैं स्विगी के साथ काम करता हूं और यहां कोई हड़ताल नहीं है... कुछ दिन पहले ज़ोमैटो वर्कर्स ने हड़ताल की थी। जब हमने पूछा, तो उन्होंने कहा कि रेट नहीं दिए जा रहे हैं... हड़ताल से कोई फ़ायदा नहीं होता। हड़ताल से… pic.twitter.com/7nWumDPlhF
— IANS Hindi (@IANSKhabar) December 31, 2025
दुर्घटना के बाद भी नहीं मिला बीमा क्लेम
हड़ताल के दौरान कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिन्होंने गिग वर्कर्स की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक डिलीवरी एजेंट ने बताया कि हाल ही में दिल्ली के बाराखंबा इलाके में एक राइडर का सड़क हादसा हो गया, लेकिन उसे कोई बीमा क्लेम नहीं मिला। कंपनी के अधिकारियों ने केवल औपचारिक दस्तावेज तैयार करने को कहा, जिन्हें दूसरे शहर भेज दिया गया, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया। मजबूरी में साथी राइडर्स ने आपस में चंदा कर उसकी मदद की। इसके बावजूद वह राइडर आज भी देर रात तक ऑर्डर लेने को मजबूर है, क्योंकि उसके पास आय का कोई दूसरा साधन नहीं है।
आईडी ब्लॉक और प्रबंधन पर मनमानी के आरोप
गिग वर्कर्स का आरोप है कि टीम लीडर और मैनेजमेंट का रवैया बेहद असंवेदनशील है। कई बार फोन करने पर भी कॉल नहीं उठाई जाती और अगर कोई राइडर अपनी समस्या को लेकर सवाल करता है, तो उसकी आईडी ब्लॉक कर दी जाती है। राइडर्स का कहना है कि 14 घंटे काम करने के बाद भी उन्हें महज 700 से 800 रुपये ही मिल पाते हैं, जो मौजूदा महंगाई में परिवार चलाने के लिए नाकाफी हैं।
नए साल पर ऑर्डर प्रभावित होने की आशंका
31 दिसंबर को इसका असर और भी ज्यादा दिखाई देगा। यह हड़ताल Indian Federation of App Based Transport Workers के बैनर तले आयोजित की जा रही है, जो Swiggy, Zomato, Zepto और Amazon जैसी कंपनियों से जुड़े डिलीवरी कर्मचारियों और ड्राइवरों का प्रतिनिधित्व करती है।
सरकार से हस्तक्षेप की मांग
शेख सलाहुद्दीन ने स्पष्ट कहा कि तुरंत डिलीवरी मॉडल से कर्मचारियों की जान जोखिम में पड़ती है और भुगतान व्यवस्था में किए गए बदलावों से उनकी आय में भारी गिरावट आई है। उन्होंने बताया कि 25 दिसंबर को पूरे देश में करीब 40 हजार गिग वर्कर्स ने हड़ताल का समर्थन किया था और अब यह आंदोलन और व्यापक रूप ले रहा है। यूनियन ने प्लेटफॉर्म कंपनियों से पुरानी भुगतान प्रणाली बहाल करने और 10 मिनट डिलीवरी विकल्प हटाने की मांग की है। साथ ही राज्य और केंद्र सरकार से भी इस मुद्दे में हस्तक्षेप कर गिग वर्कर्स को सुरक्षा और सम्मानजनक आय सुनिश्चित करने की अपील की गई है।
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