व्यापक परीक्षणों में ईंधन पूरी तरह सुरक्षित, प्रदूषण और विदेशी मुद्रा व्यय में बड़ी कमी
नई दिल्ली, 11 दिसंबर।
लोकसभा में गुरुवार को देशभर में तेजी से बढ़ रहे एथनॉल मिश्रित ईंधन के उपयोग पर उठे सवालों के बीच केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने यह स्पष्ट कर दिया कि ई-20 पेट्रोल (20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण) पूरी तरह सुरक्षित है और इससे वाहनों की कार्यक्षमता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा कराए गए विस्तृत वैज्ञानिक परीक्षणों में यह ईंधन न सिर्फ सुरक्षित पाया गया है, बल्कि इसके उपयोग से देश को कई आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ भी मिल रहे हैं।
व्यापक परीक्षणों में ड्राइविंग, इंजन स्टार्ट और सामग्री संगतता पर कोई दुष्प्रभाव नहीं
गडकरी ने सदन को बताया कि ई-20 पेट्रोल को बड़े स्तर पर विभिन्न श्रेणी के वाहनों में परीक्षण किया गया है। इन परीक्षणों में वाहन चालू होने में लगने वाला समय, चलने की क्षमता, इंजन की स्थिरता, धातु और प्लास्टिक के पुर्ज़ों पर प्रभाव जैसे सभी तकनीकी पहलुओं को परखा गया।
उन्होंने कहा कि इन सभी परीक्षणों में ई-20 पेट्रोल को पूरी तरह सुरक्षित और वाहन-अनुकूल पाया गया है। किसी भी हिस्से में ऐसी कोई समस्या नहीं मिली, जो वाहन की प्रदर्शन क्षमता को प्रभावित करे।
📍नई दिल्ली | लोक सभा
— Office Of Nitin Gadkari (@OfficeOfNG) December 11, 2025
सांसद श्री जगदीश चंद्र बर्मा बसुनिया जी द्वारा ई10 और ई20 ईंधन मानकों के लिए संगत वाहन के संबंध में पूछे गए प्रश्न का केंद्रीय मंत्री श्री @nitin_gadkari जी द्वारा उत्तर। #QuestionHour#लोकसभा#WinterSessionpic.twitter.com/magRL94Jve
एथनॉल मिश्रण से बड़े आर्थिक लाभ: विदेशी मुद्रा की बचत और किसानों को कमाई
गडकरी ने बताया कि एथनॉल मिश्रित पेट्रोल के उपयोग ने देश को विदेशी मुद्रा की भारी बचत कराई है। अब तक 1.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी मुद्रा बचाई जा चुकी है, क्योंकि देश को उतना कच्चा तेल आयात नहीं करना पड़ा।
इसके साथ ही एथनॉल उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले गन्ने और मक्का जैसे कृषि उत्पाद सीधे किसानों से खरीदे जाते हैं। इससे किसानों को भी सीधा लाभ मिला है। अब तक किसानों को 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया जा चुका है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है।
पुराने वाहनों पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं, न रेट्रोफिटिंग की जरूरत
सदन में एक महत्वपूर्ण सवाल यह उठाया गया कि क्या पुराने वाहनों में ई-20 पेट्रोल के कारण कोई विशेष बदलाव या रेट्रोफिटिंग की जरूरत पड़ेगी। इस पर गडकरी ने कहा कि ऐसी कोई आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि:
1 अप्रैल 2023 से पहले बेचे गए वाहन ई-10 ईंधन के अनुकूल हैं।
1 अप्रैल 2023 के बाद बेचे गए वाहन ई-20 सामग्री मानकों के अनुरूप बनाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि सामान्य सर्विसिंग से वाहनों की नियमित घिसावट को आसानी से संभाला जा सकता है। इसके लिए किसी वाहन को चरणबद्ध तरीके से हटाने या बड़े पैमाने पर संशोधन करने की आवश्यकता नहीं है।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम
गडकरी ने बताया कि एथनॉल मिश्रण न सिर्फ आयात निर्भरता कम करता है बल्कि वायु प्रदूषण घटाने में भी अहम भूमिका निभाता है। पेट्रोल में एथनॉल का मिश्रण बढ़ने से कार्बन उत्सर्जन में कमी आती है, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। ई-20 पेट्रोल से शहरों में प्रदूषण का स्तर घटाने में मदद मिल सकती है।
सरकार की मंशा: स्वदेशी ईंधन, मजबूत कृषि अर्थव्यवस्था और स्वच्छ पर्यावरण
सरकार आने वाले वर्षों में और अधिक एथनॉल मिश्रण लागू करने की दिशा में काम कर रही है। इसके पीछे दो प्रमुख उद्देश्य हैं—किसानों को स्थायी आय का स्रोत उपलब्ध कराना और देश को प्रदूषण तथा ईंधन आयात पर निर्भरता से मुक्त करना।
लोकसभा में दिए गए गडकरी के इन स्पष्ट जवाबों ने यह संकेत दिया कि सरकार एथनॉल मिश्रित ईंधन को एक दीर्घकालिक ऊर्जा नीति के रूप में आगे बढ़ा रही है।
ई-20 पेट्रोल के उपयोग पर उठ रही आशंकाओं को दूर करते हुए उन्होंने दोहराया कि यह ईंधन भारतीय वाहनों और भारतीय परिस्थितियों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है।
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