श्रीराम जन्मभूमि परिसर में आस्था, परंपरा और राष्ट्रीय चेतना का अद्भुत संगम

अयोध्या मंगलवार को उस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनी जिसे देखने के लिए देश ही नहीं, पूरा विश्व व्याकुल था। अभिजीत मुहूर्त के शुभ समय में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर धर्मध्वज की स्थापना की गई, जिसने रामराज्य की प्राचीन परंपरा को आधुनिक भारत के पन्नों में पुनः जीवित कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 161 फीट ऊंचे शिखर पर भगवा ध्वज फहराकर इस सांस्कृतिक पर्व को राष्ट्रीय चेतना के महाआयोजन में बदल दिया।

अयोध्या सुबह से ही राममय थी। गलियों से लेकर घाटों तक जयघोष गूंज रहे थे, मंदिर परिसर में हजारों लोग उपस्थित थे और वातावरण भक्ति, उल्लास और आध्यात्मिक अनुभूति से भरा हुआ था। प्रधानमंत्री मोदी जब अयोध्या पहुंचे, तो साकेत कॉलेज के हेलीपैड पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश नेतृत्व ने उनका स्वागत किया। वहां से प्रधानमंत्री का रोड शो शुरू हुआ, जो राम मंदिर की ओर बढ़ते हुए शहर की भावनाओं को चरम पर ले गया। बच्चे, महिलाएं, वृद्ध और श्रद्धालु सड़क किनारे खड़े होकर उन्हें पुष्पवर्षा के बीच स्वागत कर रहे थे।

मंदिर के शिखर पर धर्मध्वज की स्थापना
मंदिर के शिखर पर धर्मध्वज की स्थापना

सप्त ऋषि, शेषावतार और अन्नपूर्णा मंदिर में दर्शन से शुरू हुई दिव्य यात्रा

प्रधानमंत्री जब मंदिर परिसर पहुंचे, तो सबसे पहले उन्होंने सप्त ऋषि मंदिर के दर्शन किए। इसके बाद शेषावतार मंदिर और माता अन्नपूर्णा मंदिर में उन्होंने पूजा-अर्चना की। परिसर में स्थापित इन मंदिरों को रामायण के अध्यात्म, समरसता और सेवा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरसंघचालक मोहन भागवत एक साथ गर्भगृह पहुंचे, जहां रामलला के दर्शन-पूजन किए गए।

गर्भगृह की दिव्य सजावट और रामलला का पीतांबराभूषित स्वरूप अद्भुत था। पूरे परिसर में मंत्रोच्चार की गूंज और हवा में घुला दीपों का प्रकाश एक अलौकिक वातावरण निर्मित कर रहा था। इसके बाद प्रधानमंत्री सीधे शिखर की ओर बढ़े, जहां ध्वजारोहण की ऐतिहासिक प्रक्रिया शुरू होने वाली थी।

अभिजीत मुहूर्त में इतिहास रचा—शिखर पर फहराया धर्मध्वज

11 बजकर 50 मिनट पर जैसे ही अभिजीत मुहूर्त आरंभ हुआ, प्रधानमंत्री ने बटन दबाया और दो किलो वजनी केसरिया धर्मध्वज सौम्य गति से शिखर की ओर बढ़ने लगा। क्षण भर में वातावरण “जय श्री राम” के जयघोष से गूंज उठा। ध्वज के शीर्ष पर सूर्य का चिन्ह और रघुकुल का प्रतीक कोविदार वृक्ष अंकित था, जो धर्म, कर्तव्य और मर्यादा के मूल भावों को दर्शाता है।

मंदिर का यह भगवा ध्वज केवल धातु और वस्त्र का मिश्रण नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, सदियों की तपस्या और राष्ट्रीय अस्मिता का साक्षात प्रतीक बन गया। शिखर पर इसके फहराते ही पूरी अयोध्या ने मानो सामूहिक सांस ली और प्रतीक्षा की पीड़ाओं का भार हल्का हो गया।

मंदिर के शिखर पर धर्मध्वज की स्थापना
मंदिर के शिखर पर धर्मध्वज की स्थापना

मोहन भागवत बोले—राम राज्य का ध्वज फिर अयोध्या में फहरा गया

ध्वजारोहण समारोह के बाद सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि यह क्षण उन हजारों लोगों की तपस्या का प्रतिफल है जिन्होंने मंदिर आंदोलन के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया। उन्होंने कहा कि आज अशोक सिंघल सहित उन सभी आत्माओं को शांति मिली होगी जिन्होंने मंदिर निर्माण के लिए अपना जीवन लगा दिया।

भागवत ने कहा कि अयोध्या में कभी फहराया जाने वाला रामराज्य का ध्वज आज पुनः उसी गरिमा के साथ शिखर पर स्थापित हुआ है। ध्वज पर अंकित कोविदार वृक्ष रघुकुल की उस परंपरा का प्रतीक है जो समाज के कल्याण के लिए त्याग और सेवा के भाव पर आधारित है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संबोधन की भी प्रशंसा की और कहा कि आज की ऊर्जा नए युग के आरंभ का संकेत देती है।

योगी बोले—500 वर्ष बदल गए, आस्था नहीं बदली

समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 500 वर्षों में साम्राज्य बदले, नेतृत्व बदला, पीढ़ियाँ बदलीं, परंतु भक्तों की आस्था न झुकी, न रुकी। उन्होंने कहा कि जब राम मंदिर आंदोलन की कमान आरएसएस के हाथ में आई, तो केवल एक ही उद्घोष बार-बार गूंजता रहा—“रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे।”

योगी ने कहा कि मंदिर के शिखर पर फहराता यह केसरिया ध्वज नए भारत की आत्मा है और इसके माध्यम से देश एक नए अध्याय की ओर बढ़ रहा है।

मोदी बोले—सत्य की विजय का उद्घोष है यह धर्मध्वज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “सियावर रामचंद्र की जय” के उद्घोष के साथ अपना संबोधन आरंभ किया। उन्होंने कहा कि आज संपूर्ण भारत और संपूर्ण विश्व राममय हो गया है। सदियों के घाव भर रहे हैं और पीढ़ियों की वेदना शांत हो रही है। उन्होंने कहा कि यह ध्वज सत्यमेव जयते का आह्वान है—जीत सत्य की ही होती है, असत्य की नहीं।

मोदी ने कहा कि आज के ध्वजारोहण ने केवल मंदिर के शिखर को नहीं, बल्कि भारतीय चेतना को एक नया प्रकाश दिया है। यह आयोजन धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और राष्ट्रीय चेतना का महापर्व है। राम केवल देवता नहीं—एक मूल्य हैं, एक मर्यादा हैं, एक मार्गदर्शक शक्ति हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह ध्वज आने वाली पीढ़ियों को सत्य, कर्तव्य, सेवा और मर्यादा का संदेश देता रहेगा। यह वह क्षण है जब अयोध्या ने केवल देश ही नहीं, पूरे विश्व को सत्य और आदर्श का संदेश दिया है।

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