भोपाल।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की जैव विविधता संरक्षण और पर्यावरण संतुलन की दिशा में की गई महत्त्वपूर्ण पहल के फलस्वरूप मध्यप्रदेश को एक और नया वन्यजीव अभयारण्य प्राप्त हुआ है। यह राज्य का 25वां अभयारण्य होगा, जिसे ‘डॉ. भीमराव अंबेडकर अभयारण्य’ के नाम से सागर जिले में अधिसूचित किया गया है। राज्य सरकार ने इस अभयारण्य की अधिसूचना जारी कर दी है, जिससे यह अब औपचारिक रूप से अस्तित्व में आ गया है।
258.64 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला नया अभयारण्य
नया अभयारण्य सागर जिले के उत्तर सागर वनमंडल के बंडा और शाहगढ़ तहसीलों के आरक्षित वन क्षेत्र में बनाया गया है। यह क्षेत्र कुल 25,864 हेक्टेयर यानी 258.64 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह क्षेत्र पहले से ही घने जंगलों, जैव विविधता और कई वन्यजीव प्रजातियों का आश्रय स्थल रहा है, जिसे अब संरक्षित अभयारण्य का दर्जा देकर संरक्षित किया गया है।
पारिस्थितिकी, पर्यटन और रोजगार—तीनों को मिलेगा बल
इस अभयारण्य के गठन से सिर्फ वन्यजीवों को ही नहीं, बल्कि पूरे पारिस्थितिक तंत्र को मजबूती मिलेगी। यह क्षेत्र अब संरक्षण के विशेष प्रयासों के तहत रहेगा, जिससे वहां की खाद्य शृंखला, वन्यजीवों का आवास, और प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर संरक्षण संभव होगा।
इसके साथ ही यह क्षेत्र इको-पर्यटन को भी बढ़ावा देगा, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। राज्य सरकार का उद्देश्य है कि ऐसे संरक्षित क्षेत्रों को न केवल जैव विविधता की दृष्टि से बल्कि सामाजिक-आर्थिक रूप से भी प्रभावी बनाया जाए।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का बयान
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस अभयारण्य की अधिसूचना पर कहा –
“यह अभयारण्य न केवल वन्य जीवों को एक सुरक्षित आश्रय प्रदान करेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, पारिस्थितिक संतुलन और स्थानीय रोजगार सृजन की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। बाबा साहेब के नाम समर्पित यह अभयारण्य संविधान निर्माता के प्रति हमारे सम्मान और प्रकृति के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। यह निर्णय समावेशी विकास एवं हमारे संकल्प की दिशा में एक नया कदम और बाबा साहेब को सच्ची श्रद्धांजलि है।”
बाबा साहेब के नाम पर अभयारण्य—एक नई पहल
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा इस अभयारण्य का नाम डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम पर रखना न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक समरसता, समर्पण और सम्मान की भावना का भी प्रतीक है। यह निर्णय बाबा साहेब के विचारों और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलते हुए समावेशी विकास को बढ़ावा देने का प्रयास माना जा रहा है।
इस ऐलान के साथ मध्यप्रदेश अब देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है, जहां सबसे अधिक संरक्षित वन्यजीव क्षेत्र मौजूद हैं।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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