नई दिल्ली।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को पहलगाम आतंकी हमले को लेकर फिर से तीखी प्रतिक्रिया दी। बिना किसी देश का नाम लिए उन्होंने आतंकवाद पर निशाना साधा और स्पष्ट शब्दों में कहा कि “कुछ लोग हैं जो किसी भी हाल में नहीं बदलेंगे, वे लगातार दुनिया में अशांति फैलाते रहेंगे। ऐसे में, उनका उचित उत्तर देना ज़रूरी है।”
मोहन भागवत ने कहा, “अहिंसा भारतीय संस्कृति का स्वभाव और मूल्य है। हम शांति के मार्ग पर चलते हैं, लेकिन जब सामने वाला नहीं सुधरता, तो प्रजा की रक्षा के लिए राजा को धर्मपूर्वक कर्तव्य निभाना पड़ता है।”
भागवत का यह बयान ऐसे समय आया है जब कुछ दिन पहले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम इलाके में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 26 निर्दोष लोग मारे गए थे, जिनकी याद में कार्यक्रम के दौरान 2 मिनट का मौन भी रखा गया।

स्वामी विज्ञानंद की पुस्तक विमोचन में हुए संबोधन
आरएसएस प्रमुख का यह बयान दिल्ली के प्रधानमंत्री संग्रहालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान आया। वे स्वामी विज्ञानंद की नई पुस्तक ‘हिंदू मेनिफेस्टो’ के विमोचन के अवसर पर उपस्थित थे।
भागवत ने कहा कि आज के दौर में सुरक्षा और रक्षा को लेकर सतर्क रहना जरूरी है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि शांति की कोशिशें तभी सार्थक होती हैं जब उसके पीछे ताकत और संकल्प की शक्ति हो। उन्होंने देशवासियों से आह्वान किया कि वे एकजुट होकर राष्ट्र की रक्षा और प्रगति के संकल्प में सहभागी बनें।

राष्ट्रीय सुरक्षा और नेतृत्व पर संकेत
मोहन भागवत का ‘राजा का धर्म’ वाला बयान साफ तौर पर वर्तमान नेतृत्व और राष्ट्रीय सुरक्षा की अहमियत पर जोर देता है। उन्होंने यह भी कहा कि जब राक्षसी प्रवृत्तियों का सामना हो, तो दृढ़ता और शक्ति के साथ जवाब देना ही नीति होनी चाहिए।
स्वामी विज्ञानंद द्वारा लिखित ‘हिंदू मेनिफेस्टो’ पुस्तक का विमोचन भी इसी विचारधारा को मजबूती देता है — जिसमें धर्म, संस्कृति, राष्ट्रवाद और भारतीय दृष्टिकोण के समन्वय पर बल दिया गया है।
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