पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसीम मुनीर ने एक बार फिर दो राष्ट्रों के सिद्धांत (Two-Nation Theory) की दुहाई देते हुए हिंदुस्तान पर निशाना साधा है। शनिवार को खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के काकुल स्थित पाकिस्तान मिलिट्री अकादमी (PMA) में कैडेट्स की पासिंग आउट परेड को संबोधित करते हुए मुनीर ने कहा कि “मुसलमान और हिंदू धर्म, संस्कृति, सोच और जीवनशैली के हर पहलू में एक-दूसरे से भिन्न हैं।”
अपने भाषण में उन्होंने पाकिस्तान के वजूद को एक “अद्वितीय बलिदान” का परिणाम बताया और कहा कि देश की रक्षा के लिए सेना हर कीमत चुकाने को तैयार है। मुनीर का यह बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान खुद आर्थिक और राजनीतिक संकट से गुजर रहा है।
कश्मीर को बताया पाकिस्तान की ‘गले की नस’
अपने संबोधन में जनरल मुनीर ने जम्मू-कश्मीर का उल्लेख करते हुए तीखे तेवर दिखाए। उन्होंने कहा, “कश्मीर पाकिस्तान की गले की नस था, है और हमेशा रहेगा।”
उन्होंने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान अपने “कश्मीरी भाइयों” की जंग में कभी उन्हें अकेला नहीं छोड़ेगा और उनके “वीरता पूर्ण संघर्ष” को हर मंच पर समर्थन देता रहेगा।
मुनीर ने कश्मीर के हालात की तुलना गाजा पट्टी के संघर्ष से करते हुए कहा, “पाकिस्तान के नागरिकों के दिल गाजा के मुसलमानों के साथ धड़कते हैं।”
इस तुलना के जरिए उन्होंने मुस्लिम समुदाय के वैश्विक मुद्दों से भावनात्मक जुड़ाव दिखाने की कोशिश की।
बयान के पीछे का संदेश
आलोचकों के अनुसार, जनरल आसीम मुनीर का यह आक्रामक बयान पाकिस्तान के अंदरूनी हालात से जनता का ध्यान भटकाने का प्रयास भी हो सकता है।
आर्थिक कंगाली, बढ़ती बेरोजगारी, आतंकी हमलों में इजाफा और राजनीतिक अस्थिरता के बीच सेना और सरकार दोनों ही जनता के गुस्से का सामना कर रहे हैं।
ऐसे माहौल में कश्मीर और धार्मिक पहचान जैसे पुराने मुद्दों को उछालकर एकजुटता का माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि टू-नेशन थ्योरी का बार-बार जिक्र अब पाकिस्तान के लिए एक “राजनीतिक हथियार” बन चुका है, जिसे अपनी विफलताओं पर पर्दा डालने के लिए समय-समय पर इस्तेमाल किया जाता है।
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