गौवंश संरक्षण, नस्ल सुधार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की ऐतिहासिक पहल

भोपाल। मध्यप्रदेश की धरती, जो सदियों से गौमाता की सेवा और सनातन मूल्यों की संवाहक रही है, अब गौसंवर्धन के क्षेत्र में एक नए युग में प्रवेश कर रही है। मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने ‘स्वावलंबी गौशालाएं (कामधेनु निवास) स्थापना नीति 2025’ लागू कर दी है। यह नीति केवल गौवंश संरक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे आत्मनिर्भरता, आर्थिक सशक्तिकरण और नस्ल सुधार से जोड़कर देखा जा रहा है।

मध्यप्रदेश में गौवंश की स्थिति और चुनौती

प्रदेश में वर्तमान में लगभग 1.87 करोड़ गौवंश हैं, जिसके साथ मध्यप्रदेश देश में दूसरे स्थान पर है। इनमें से लगभग 70 प्रतिशत गौवंश अवर्णित नस्ल के हैं, जिनका दूध उत्पादन बेहद कम है। कृषि में बढ़ते यांत्रिकीकरण, रासायनिक उर्वरकों के उपयोग और बैलों की घटती उपयोगिता के कारण निराश्रित गौवंश की संख्या लगातार बढ़ती गई। अब तक राज्य शासन 2500 से अधिक गौशालाओं में करीब 4 लाख 75 हजार निराश्रित गौवंश को आश्रय दे चुका है।

गौशालाओं से आगे: कामधेनु निवास नीति 2025

राज्य सरकार का मानना है कि पारंपरिक गौशालाएं केवल अस्थायी समाधान हैं। इसी सोच के तहत कामधेनु निवास नीति 2025 लाई गई है। इस नीति के अंतर्गत निवेशकों को 5000 गौवंश के पालन हेतु अधिकतम 130 एकड़ भूमि उपलब्ध कराई जाएगी। हर अतिरिक्त 1000 गौवंश पर 25 एकड़ अतिरिक्त भूमि देने का प्रावधान है। इसमें 70 प्रतिशत निराश्रित गौवंश रखना अनिवार्य होगा, जबकि 30 प्रतिशत तक उन्नत देशी दुधारू नस्लों को शामिल किया जा सकेगा। इससे प्रदेश में नस्ल सुधार कार्यक्रम को गति मिलेगी और किसानों को उन्नत नस्ल के गौवंश स्थानीय स्तर पर उपलब्ध होंगे।

आर्थिक सशक्तिकरण का मॉडल

कामधेनु निवास परियोजनाओं से प्रतिदिन कम से कम 10 टन सीएनजी और 50 से 60 टन उन्नत जैविक खाद उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इससे किसानों को उच्च गुणवत्ता की जैविक खाद मिलेगी और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता घटेगी। इसके साथ ही पंचगव्य आधारित आयुर्वेद चिकित्सा, उन्नत चारा उत्पादन और फलोद्यान जैसी गतिविधियां भी विकसित की जाएंगी। इन प्रयासों से निराश्रित गौवंश प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सक्रिय भागीदार बनेंगे।

अनुदान और बजट में बड़ा इजाफा

गौशालाओं के लिए प्रतिदिन प्रति गौवंश अनुदान राशि को 20 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये कर दिया गया है। साथ ही गौसंवर्धन से जुड़े बजट को 250 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 505 करोड़ रुपये किया गया है। यह वृद्धि सरकार की प्राथमिकताओं को दर्शाती है, जिसमें गौवंश संरक्षण को केवल दया का विषय नहीं, बल्कि विकास का आधार माना गया है।

अवैध परिवहन पर सख्ती

गौवंश संरक्षण को और मजबूत करने के लिए मध्यप्रदेश गोवंश वध प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक 2024 पारित किया गया है। इसके तहत गौवंश के अवैध परिवहन में प्रयुक्त वाहनों को राजसात करने जैसे सख्त प्रावधान किए गए हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने स्पष्ट कहा है कि गौ रक्षा केवल संवेदना नहीं, बल्कि सशक्तिकरण का साधन बननी चाहिए और यह नीति उसी सोच का प्रतिबिंब है। यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को ग्रामीण अंचलों तक पहुंचाने का माध्यम भी है।


प्रदेश के बारह शहर बनेंगे भिक्षुक मुक्त

गुलाब उद्यान में सामाजिक न्याय विभाग की उपलब्धियों का प्रस्तुतीकरण

भोपाल के गुलाब उद्यान में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में सामाजिक न्याय विभाग के मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने विभाग के दो वर्षों की उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाना और उन्हें सम्मानजनक जीवन देना विभाग का मुख्य उद्देश्य है।

स्माइल अभियान के तहत बड़ा लक्ष्य

मंत्री कुशवाह ने बताया कि ‘स्माइल’ अभियान के तहत प्रदेश के 12 शहरों को पूरी तरह भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। यह अभियान इंदौर के सफल मॉडल पर आधारित है, जहां जनसहभागिता से भिक्षावृत्ति और नशामुक्ति की दिशा में उल्लेखनीय सफलता मिली है। अब इसी तर्ज पर भोपाल, उज्जैन, ओंकारेश्वर, ओरछा और हमेश्वर जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के शहरों में विशेष अभियान चलाए जाएंगे।

वृद्धजन कल्याण पर विशेष फोकस

प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्री ने वृद्ध आश्रमों की स्थिति पर भी विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि वृद्धजन समाज की धरोहर हैं और उनके सम्मानजनक जीवन के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार, मनोरंजन और परामर्श सुविधाओं तथा आधुनिक संसाधनों के माध्यम से वृद्ध आश्रमों को बेहतर बनाया जा रहा है। आने वाले समय में नशामुक्ति, वृद्धजन कल्याण और अन्य कमजोर वर्गों के लिए नई योजनाएं लागू की जाएंगी।

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