सुभाष नगर से एम्स तक दौड़ी ऑरेंज लाइन, मुख्यमंत्री ने दिखाई हरी झंडी, आम जनता के लिए 21 दिसंबर से शुरू सफर
भोपाल आज से औपचारिक रूप से ‘मेट्रो शहर’ बन गया है। शनिवार, 20 दिसंबर 2025 को राजधानी के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ा, जब सुभाष नगर स्टेशन से मुख्यमंत्री मोहन यादव और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भोपाल मेट्रो के पहले चरण का शुभारंभ किया। इस उद्घाटन के साथ ही झीलों की नगरी भोपाल देश का 24वां ऐसा शहर बन गई, जहां मेट्रो रेल सेवा संचालित हो रही है। वर्षों से लंबित इस परियोजना के साकार होने से राजधानी की यातायात व्यवस्था को नई दिशा मिलने की उम्मीद जगी है।
छह साल का इंतजार और एक बड़े सपने की पूर्ति
भोपाल मेट्रो परियोजना को लेकर शहरवासियों ने लंबे समय तक इंतजार किया। कई चरणों में चले निर्माण कार्य, तकनीकी चुनौतियां और समय-समय पर आई प्रशासनिक अड़चनों के बाद आखिरकार यह सपना साकार हुआ। पहले चरण में ऑरेंज लाइन के प्रायोरिटी कॉरिडोर को जनता के लिए खोला गया है, जिसकी लंबाई 7.2 किलोमीटर है। यह मार्ग शहर के उन इलाकों से होकर गुजरता है, जहां रोजाना सबसे अधिक यातायात दबाव देखने को मिलता है।
सुभाष नगर से एम्स तक बदलेगा शहर का सफर
ऑरेंज लाइन का यह प्रायोरिटी कॉरिडोर सुभाष नगर से एम्स तक फैला है। इस मार्ग पर कुल आठ अत्याधुनिक एलिवेटेड स्टेशन बनाए गए हैं, जिनमें सुभाष नगर, केंद्रीय विद्यालय, बोर्ड ऑफिस चौराहा, एमपी नगर, रानी कमलापति स्टेशन, डीआरएम कार्यालय, अलकापुरी और एम्स शामिल हैं। यह पूरा रूट सरकारी कार्यालयों, व्यावसायिक केंद्रों, स्वास्थ्य संस्थानों और शैक्षणिक क्षेत्रों को आपस में जोड़ता है, जिससे हजारों दैनिक यात्रियों को सीधा लाभ मिलेगा।
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समय सारिणी और ट्रिप की पूरी व्यवस्था
भोपाल मेट्रो की सेवाएं आम यात्रियों के लिए रविवार, 21 दिसंबर 2025 की सुबह 9 बजे से शुरू होंगी। एम्स स्टेशन से पहली मेट्रो सुबह 9 बजे और अंतिम मेट्रो शाम 7 बजे चलेगी, जबकि सुभाष नगर स्टेशन से पहली ट्रेन सुबह 9 बजकर 40 मिनट पर और आखिरी ट्रेन शाम 6 बजकर 25 मिनट पर रवाना होगी। दिनभर में मेट्रो कुल 17 ट्रिप लगाएगी। प्रत्येक ट्रेन में तीन कोच होंगे, जिनमें एक साथ लगभग 250 यात्री आरामदायक सफर कर सकेंगे।
किराया संरचना: आम आदमी की जेब का रखा गया ध्यान
भोपाल मेट्रो का किराया दूरी और स्टेशनों की संख्या के आधार पर तय किया गया है। एक से दो स्टेशन की यात्रा के लिए 20 रुपये, तीन से पांच स्टेशन की यात्रा के लिए 30 रुपये और छह से आठ स्टेशन की यात्रा के लिए 40 रुपये किराया निर्धारित किया गया है। फिलहाल टिकटिंग की व्यवस्था मैनुअल रखी गई है, ताकि शुरुआती चरण में यात्रियों को आसानी हो। भविष्य में स्मार्ट कार्ड और मोबाइल आधारित टिकटिंग प्रणाली शुरू की जाएगी, जिससे डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिलेगा।
सुरक्षा और सुविधा का विशेष ध्यान
भोपाल मेट्रो को आधुनिक सुरक्षा मानकों के अनुरूप तैयार किया गया है। सभी स्टेशनों और ट्रेनों में एआई आधारित सीसीटीवी निगरानी प्रणाली लगाई गई है। प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर यात्रियों को पटरियों पर गिरने जैसी दुर्घटनाओं से बचाने में मदद करेंगे। ग्रेड-4 सिग्नलिंग सिस्टम के जरिए ट्रेनों की आवाजाही पूरी तरह स्वचालित और सुरक्षित रहेगी। इसके साथ ही सभी ट्रेनें पूर्णतः वातानुकूलित हैं और अंदर आरामदायक सीटिंग के साथ मोबाइल चार्जिंग की सुविधा भी दी गई है।
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दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष इंतजाम
भोपाल मेट्रो परियोजना में समावेशी परिवहन की अवधारणा को विशेष महत्व दिया गया है। हर स्टेशन पर हाई-स्पीड लिफ्ट और एस्केलेटर लगाए गए हैं। दिव्यांगजनों के लिए व्हीलचेयर की सुविधा, ब्रेल साइनेज और सुगम प्रवेश-निकास व्यवस्था की गई है, ताकि वे बिना किसी बाधा के मेट्रो का उपयोग कर सकें। वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी स्टेशन डिजाइन को सुविधाजनक बनाया गया है।
ऊर्जा संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम
भोपाल मेट्रो को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए विशेष तकनीक अपनाई गई है। ट्रेन के ब्रेक लगने पर उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को दोबारा बिजली में बदला जाएगा, जिससे ऊर्जा की बचत होगी। इसके अलावा सोलर पैनलों के माध्यम से भी बिजली उत्पादन किया जाएगा। यह पहल न केवल परिचालन लागत को कम करेगी, बल्कि राजधानी को हरित परिवहन की दिशा में आगे ले जाएगी।
पूरे प्रोजेक्ट की तस्वीर
भोपाल मेट्रो परियोजना की कुल लंबाई 30.8 किलोमीटर है। इसमें ऑरेंज लाइन की लंबाई 16.74 किलोमीटर और ब्लू लाइन की लंबाई 14.16 किलोमीटर प्रस्तावित है। पूरे प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 10,033 करोड़ रुपये है, जबकि प्रायोरिटी कॉरिडोर पर लगभग 2,225 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। शुरुआती चरण में प्रतिदिन लगभग 3,000 यात्रियों के मेट्रो से सफर करने का अनुमान है, जो आने वाले समय में तेजी से बढ़ सकता है।
राजधानी की पहचान और रफ्तार दोनों बदलेगी
भोपाल मेट्रो के शुरू होने से शहर की यातायात व्यवस्था में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है। सड़क जाम, प्रदूषण और समय की बर्बादी जैसी समस्याओं से राहत मिलने की संभावना है। सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले कर्मचारी, छात्र, मरीज और व्यापारी वर्ग सभी के लिए यह सेवा उपयोगी साबित होगी। मेट्रो के साथ भोपाल अब न केवल प्रशासनिक बल्कि आधुनिक शहरी परिवहन के मानचित्र पर भी अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराएगा।
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