चुनावी वादों को पूरा करने की मांग पर अड़ी नर्सें, चेन्नई में आधी रात तक चला विरोध


चुनावी वादों को लेकर सरकार पर बढ़ा दबाव

चेन्नई। तमिलनाडु की द्रमुक सरकार के खिलाफ नर्सों का आंदोलन शुक्रवार को और तेज हो गया। चुनावी वादों को पूरा करने की मांग को लेकर राजधानी चेन्नई में प्रदर्शन कर रही नर्सों को पुलिस ने हिरासत में लिया, हालांकि बाद में सभी को छोड़ दिया गया। इसके बावजूद नर्सों ने स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। नर्सों का कहना है कि सरकार ने चुनाव के दौरान जो आश्वासन दिए थे, वे अब तक कागजों तक ही सीमित हैं।

शिवानंद रोड से कलम्पक्कम बस स्टैंड तक फैला विरोध

तमिलनाडु दादियार विकास संघ के नेतृत्व में नर्सों ने 18 दिसंबर को चेन्नई की शिवानंद रोड पर उपवास सत्याग्रह शुरू किया था। इस सत्याग्रह में बड़ी संख्या में नर्सों ने भाग लिया। सरकार से बातचीत के बावजूद जब कोई ठोस समाधान नहीं निकला, तो आंदोलन और उग्र हो गया। गुरुवार शाम विरोध प्रदर्शन की अनुमति का समय समाप्त होने के बाद पुलिस ने नर्सों से प्रदर्शन स्थल खाली करने को कहा, लेकिन नर्सों ने मना कर दिया। इसके बाद पुलिस ने उन्हें जबरन हटाने की कोशिश की और बसों में बैठाकर कलम्पक्कम बस स्टैंड ले जाया गया।

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हिरासत के बाद भी नहीं टूटा आंदोलन

पुलिस कार्रवाई के बाद भी नर्सों का हौसला कम नहीं हुआ। कलम्पक्कम बस स्टैंड पहुंचने के बाद नर्सों ने वहीं दोबारा धरना शुरू कर दिया। आधी रात से लेकर सुबह तक लगातार विरोध प्रदर्शन चलता रहा। प्रदर्शनकारी नर्सों का कहना है कि यह आंदोलन सिर्फ उनकी नौकरी या वेतन तक सीमित नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था में काम कर रहे हजारों नर्सों के सम्मान और अधिकार से जुड़ा हुआ है।

नर्सों की प्रमुख मांगें

प्रदर्शन कर रही नर्सों ने सरकार के सामने कई अहम मांगें रखी हैं। इनमें नर्स सुपरिंटेंडेंट स्तर-3 के पदों को पुनः सृजित करना, कोरोना काल में सेवाएं देने वाली सभी नर्सों को दोबारा नियुक्त करना और डिग्री तथा स्नातकोत्तर अध्ययन पूरा करने वाली नर्सों के वेतन में वृद्धि शामिल है। नर्सों का कहना है कि महामारी के दौरान उन्होंने जान जोखिम में डालकर सेवा दी, लेकिन आज वही नर्सें अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर बैठने को मजबूर हैं।

सरकार से बातचीत बेनतीजा

पूरे मामले को सुलझाने के लिए गुरुवार को स्वास्थ्य और सार्वजनिक कल्याण विभाग के सचिव सेंथिल कुमार ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की। नर्सों को उम्मीद थी कि इस बैठक में उनकी मांगों पर सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा, लेकिन बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। इसके बाद ही नर्सों ने आंदोलन और तेज करने का निर्णय लिया।

अब भी जारी है उपवास सत्याग्रह

हालात यह हैं कि कुछ नर्सें अब भी चेन्नई की शिवानंद रोड पर उपवास सत्याग्रह के तहत प्रदर्शन कर रही हैं, जबकि बड़ी संख्या में नर्सें कलम्पक्कम बस स्टैंड पर धरने पर बैठी हैं। प्रदर्शनकारियों का साफ कहना है कि जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वे पीछे हटने वाले नहीं हैं।

स्वास्थ्य व्यवस्था पर असर की आशंका

नर्सों के इस आंदोलन से राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर असर पड़ने की आशंका भी जताई जा रही है। नर्सों का कहना है कि सरकार को जल्द से जल्द समाधान निकालना चाहिए, ताकि मरीजों और स्वास्थ्य सेवाओं पर इसका नकारात्मक प्रभाव न पड़े। फिलहाल, तमिलनाडु में यह आंदोलन सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।

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