मध्यप्रदेश के विकास-यात्रा और विरासत संरक्षण पर हुआ सार्थक संवाद

भोपाल। मध्यप्रदेश के विकास पथ को वर्ष 2047 तक एक नए स्वरूप में स्थापित करने के उद्देश्य से शनिवार को कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आयोजित ‘स्वदेश ज्योति’ समूह के विमर्श सत्र में विकास और विरासत के संतुलन पर गहन चर्चा हुई। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में कहा कि प्रदेश ने बीते दो वर्षों में प्रगति के असाधारण आयाम गढ़े हैं। इस अवधि में 8 लाख करोड़ रुपये के निवेश के साथ लगभग 6 लाख युवाओं को रोजगार का अवसर मिला है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना के अनुरूप मध्यप्रदेश वर्ष 2047 तक विकसित राज्यों की श्रेणी में अग्रणी स्थान प्राप्त करेगा।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास का नया दौर केवल अधोसंरचना निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण भी समान रूप से शामिल है। उन्होंने बताया कि अयोध्या में भगवान राम विराजमान होने के बाद चित्रकूट धाम को अत्याधुनिक स्वरूप देने का कार्य जारी है। इसी प्रकार ओरछा और उज्जैन—जहां भगवान श्रीकृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की—को भी नए रूप में विकसित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश केवल विकास नहीं कर रहा, बल्कि अपनी विरासत को साथ लेकर आगे बढ़ रहा है।

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swadesh jyoti conclave Photograph: (swadesh jyoti)

‘स्वदेश ज्योति’ स्वदेशी चेतना का वाहक: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने ‘स्वदेश ज्योति’ पत्र समूह की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि यह पत्र स्वदेशी चेतना और मूल्यों का सशक्त संवाहक है। प्रधान संपादक राजेन्द्र शर्मा की लेखनी और चिंतन को उन्होंने अद्भुत बताया और कहा कि यह पत्र समाज के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभा रहा है।

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भौगोलिक और प्राकृतिक क्षमता से समृद्ध मध्यप्रदेश

मुख्यमंत्री ने विकास की संभावनाओं पर बल देते हुए कहा कि प्रदेश की भौगोलिक स्थिति अपने आप में विकास के लिए अनुकूल वातावरण प्रस्तुत करती है। प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता, सुरक्षित जलवायु और बिना किसी प्राकृतिक आपदा के भय के कारण यहाँ विकास निरंतर गति प्राप्त करता रहा है।

उन्होंने बताया कि 2003 के बाद से प्रदेश ने अद्भुत प्रगति की है। शिक्षा, स्वास्थ्य और सिंचाई के क्षेत्र में बड़े बदलाव हुए हैं। पहले जहाँ प्रदेश में केवल 5 से 6 मेडिकल कॉलेज थे, वहीं आज यह संख्या बढ़कर 39 हो चुकी है। सिंचाई का रकबा भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है—पिछले दो वर्षों में ही 9.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सिंचाई से जुड़ा है।


धरोहरों की भूमि: श्रीकृष्ण-सुदामा की शिक्षास्थली और विक्रमादित्य की कर्मभूमि

मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश केवल विकास का केंद्र नहीं बल्कि इतिहास और संस्कृति की धरोहर भी है। यहाँ वह धरती है जहाँ श्रीकृष्ण और सुदामा ने शिक्षा प्राप्त की, जहाँ उनकी मित्रता आज भी मिसाल के रूप में दी जाती है। यह वही प्रदेश है जहाँ सम्राट विक्रमादित्य ने न्यायप्रियता का मानदंड स्थापित किया।

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swadesh jyoti conclave Photograph: (swadesh jyoti)


सुरेश पचौरी ने कहा: ‘स्वदेश ज्योति’ ने निभाई सामाजिक जिम्मेदारी

कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने की। उन्होंने कहा कि ‘स्वदेश ज्योति’ समूह द्वारा आयोजित यह विमर्श प्रदेश और समाज के प्रति निभाई गई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का परिचायक है। वर्ष 2047 में जब देश स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा, तब धरोहरों को संजोकर आगे बढ़ने वाला मध्यप्रदेश निश्चित रूप से नए भारत के नेतृत्व में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।


भविष्य की जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए विकास की योजना

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने कहा कि सरकार भविष्य की जरूरतों को देखते हुए योजनाएँ बना रही है। वर्ष 2047 तक भोपाल की लगभग 37 लाख की अनुमानित जनसंख्या को पानी उपलब्ध कराने के लिए 56 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। सरकार इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कार्य कर रही है।


पुतिन को रशियन भाषा में ‘गीता’ भेंट कर दिया महत्वपूर्ण संदेश

विरासत और संस्कृति की वैश्विक स्वीकृति का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि रूस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रपति पुतिन को रशियन भाषा में अनूदित ‘गीता’ भेंट करना विश्व मंच पर भारत की सांस्कृतिक पहचान की उद्घोषणा है। यह संदेश स्पष्ट करता है कि विकास की राह विरासत से होकर ही जाती है।


विमर्श के सत्र: प्रशासन, शिक्षा, सेना और पर्यावरण जगत के विशेषज्ञों ने दिए विचार

कार्यक्रम के आरंभ में ‘स्वदेश ज्योति’ समूह के अध्यक्ष एवं प्रधान संपादक राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि यह आयोजन समूह की रचनात्मक भूमिका का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि 2047 तक मध्यप्रदेश किस दिशा में आगे बढ़ेगा, इसकी स्पष्ट रूपरेखा चर्चा के दौरान सामने आई है। दो सत्रों में पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों, शिक्षाविदों, सैन्य अधिकारियों और पर्यावरण विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए।

कार्यक्रम में ‘विकसित मध्यप्रदेश -2047, विकास भी विरासत भी’ विषय पर प्रकाशित विशेषांक का विमोचन भी किया गया। अंत में आभार प्रदर्शन प्रबंध संपादक अक्षत शर्मा ने किया।

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अगला सिंहस्थ होगा अभूतपूर्व: राजेन्द्र शर्मा

समापन वक्तव्य में प्रधान संपादक राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव की दृष्टि में विकास और विरासत का संतुलन अद्भुत है। उज्जैन के प्रति उनका भावनात्मक जुड़ाव सिंहस्थ को ऐतिहासिक और अभूतपूर्व स्वरूप देने जा रहा है। आगामी सिंहस्थ ‘न भूतो, न भविष्यति’ का स्वरूप धारण करेगा।


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