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April 25, 2025 7:34 AM

राजभवन में ‘कर्मयोगी बनें’ कार्यशाला आयोजित, मुख्यमंत्री बोले- हिंदी के अलावा तमिल-तेलुगु में भी होगी पढ़ाई

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भोपाल। मध्यप्रदेश में शिक्षा और कर्मयोग को लेकर शुक्रवार को राजभवन, भोपाल में ‘कर्मयोगी बनें’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बड़ा ऐलान किया कि आने वाले समय में राज्य में हिंदी के अलावा तमिल और तेलुगु भाषा में भी पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है, जहां नई शिक्षा नीति (NEP 2020) लागू होने के बाद अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी में भी उच्च शिक्षा की किताबें उपलब्ध कराई गई हैं। लेकिन इससे भी आगे बढ़ते हुए अब तमिल और तेलुगु भाषाओं में भी पढ़ाई कराने की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने कहा,
“हमारी मातृभाषा भारत की पहचान है, और हमें इस पर गर्व है।”

कर्मयोग की शिक्षा और गीता का महत्व

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने संबोधन में कर्मयोग की व्याख्या करते हुए भगवान श्रीकृष्ण और गीता के उपदेशों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा,
“भगवान श्रीकृष्ण ने मध्यप्रदेश की धरती पर कर्मवाद की शिक्षा ग्रहण की और दुनिया को गीता का ज्ञान दिया। गीता के 18 अध्यायों के एक-एक श्लोक को आज पूरा विश्व समझना चाहता है।”

उन्होंने आगे कहा कि कर्मयोग की चर्चा हो और श्रीकृष्ण का उल्लेख न हो, यह संभव नहीं। गीता में भगवान ने अर्जुन को कर्म का महत्व समझाते हुए कहा था,
“चंद्र-सूर्य से पहले भी मैं था और इसे उन्होंने साबित भी किया।”

मुख्यमंत्री ने बताया कि हमारी सनातन परंपरा में ऋषि-मुनियों का विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि ऋषि वह होते हैं जो समाज का मार्गदर्शन करते हैं, लेकिन स्वयं न्यूनतम आवश्यकताओं में जीवन व्यतीत करते हैं।

राज्यपाल मंगुभाई पटेल और उच्च शिक्षा मंत्री भी रहे मौजूद

इस कार्यशाला में मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल, उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार और कई विषयों के विशेषज्ञों ने भी भाग लिया। राज्यपाल ने कर्मयोग के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि जीवन में निष्काम भाव से काम करना ही सच्चा कर्मयोग है।

भारत की गौरवशाली परंपरा पर मुख्यमंत्री का वक्तव्य

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि भारत ही एकमात्र देश है, जिसने कभी भी बिना कारण किसी दूसरे राष्ट्र पर आक्रमण नहीं किया। उन्होंने कहा,
“हमारी परंपरा में हमेशा से मानवता और विश्वशांति की बात की गई है। आर्यभट्ट से लेकर आज तक हमने ज्ञान, विज्ञान और संस्कृति को आगे बढ़ाया है।”

उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का उदाहरण देते हुए कहा कि,
“जब मंगल मिशन असफल होता है, तो प्रधानमंत्री वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाते हैं और फिर सफलता मिलती है। यही सच्चा कर्मयोग है—निष्काम भाव से कार्य करना और देश के विकास में योगदान देना।”

मिशन कर्मयोगी के लिए सरकार बनाएगी कमेटी

मुख्यमंत्री ने कार्यशाला के अंत में घोषणा की कि ‘मिशन कर्मयोगी’ के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सरकार एक विशेष कमेटी का गठन करेगी। उन्होंने कहा,
“इस मिशन के तहत कर्मयोग को सही ढंग से समझने और अपनाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम किया जाएगा।”

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