यूक्रेन के विवादित क्षेत्रों पर मतभेद अब भी बरकरार

अमेरिका और रूस के बीच मॉस्को में हुई पाँच घंटे की अहम बैठक का परिणाम सामने आ गया है। लंबी बातचीत के बावजूद दोनों देशों के बीच किसी भी तरह का समझौता नहीं हो पाया। यह बैठक अमेरिका द्वारा पेश किए गए यूक्रेन शांति प्रस्ताव पर चर्चा के लिए आयोजित की गई थी, लेकिन मुख्य मुद्दों पर मतभेद कायम रहे।

रूस की ओर से राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके प्रमुख सलाहकार वार्ता में शामिल थे। वहीं, अमेरिका की ओर से स्टीव विटकॉफ़ और जेरेड कुशनर ने प्रतिनिधित्व किया। बातचीत के बाद रूस ने कहा कि बैठक “रचनात्मक” रही, लेकिन किसी निष्कर्ष पर पहुँचना संभव नहीं हुआ। रूस के शीर्ष सलाहकार यूरी उशाकोव ने भी माना कि चर्चा उपयोगी थी, लेकिन महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति नहीं बन सकी।

मुख्य मुद्दा: यूक्रेन के क्षेत्र

इस बातचीत का सबसे बड़ा विवाद यूक्रेन के वे क्षेत्र रहे, जिन पर रूस नियंत्रण चाहता है। अमेरिका और उसके सहयोगी इन क्षेत्रों को यूक्रेन का हिस्सा मानते हैं, जबकि रूस इन्हें अपनी “ज़रूरी शर्त” बताता है। रूस का कहना है कि अमेरिका का प्रस्ताव उसकी रणनीतिक ज़रूरतों को पूरा नहीं करता, इसलिए वह इसे मौजूदा रूप में स्वीकार नहीं कर सकता।

यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही यह क्षेत्रीय विवाद दोनों पक्षों के बीच सबसे बड़ी बाधा बना हुआ है। अमेरिका चाहता है कि रूस कब्जे वाले इलाकों से पीछे हटे, जबकि रूस इस मांग को मानने के लिए तैयार नहीं दिखता।

पारदर्शिता की कमी

इस बैठक का एक महत्वपूर्ण पहलू यह रहा कि किसी भी देश ने प्रस्ताव के बिंदुओं को सार्वजनिक नहीं किया। न तो बैठक की शर्तें बताई गईं और न ही किसी मसौदे के विवरण सामने आए। इससे वार्ता की पारदर्शिता पर सवाल उठे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक प्रस्ताव खुलकर सामने नहीं आते, किसी भी समझौते की असली स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकती।

यूरोप की चिंताएँ

यूरोपीय देशों की भी इस वार्ता पर नज़र थी। कई देशों का मानना है कि रूस की कठोर मांगें स्वीकार करना आसान नहीं है। वहीं यूक्रेन भी किसी ऐसे समझौते के पक्ष में नहीं है, जिससे उसकी क्षेत्रीय अखंडता को नुकसान पहुँचे। इसलिए वार्ता पहले से ही चुनौतीपूर्ण मानी जा रही थी।

रूस ने संकेत दिया है कि वह आगे भी प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए तैयार है, लेकिन अपनी मूल मांगों में बदलाव की संभावना कम है। अमेरिका ने भी कहा है कि शांति प्रक्रिया जारी रहेगी, लेकिन “गंभीर मतभेद” अभी भी बने हुए हैं।

कुल मिलाकर, हालात बताते हैं कि यूक्रेन युद्ध का अंत निकट नहीं है और रूस-अमेरिका के बीच किसी बड़े समझौते की संभावना अभी भी काफी कम है।

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