April 19, 2025 8:52 PM

हिंदी साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार, छत्तीसगढ़ के पहले साहित्यकार बने

https://chatgpt.com/c/67dec5c3-8980-8003-acc7-62823b7beb34#:~:text=hindi%2Dwriter%2Dvinod%2Dkumar%2Dshukla%2Dgets%2Dgyanpeeth%2Daward%2D2024

नई दिल्ली। हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक, कवि और उपन्यासकार विनोद कुमार शुक्ल को वर्ष 2024 का ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। यह पुरस्कार भारतीय साहित्य का सर्वोच्च सम्मान माना जाता है, जो भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट साहित्य रचने वाले रचनाकारों को दिया जाता है। इस वर्ष यह प्रतिष्ठित सम्मान छत्तीसगढ़ के पहले साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को प्रदान किया जा रहा है।

भारतीय ज्ञानपीठ के महाप्रबंधक आर. एन. तिवारी ने शनिवार को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 59वें ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए प्रवर परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया। इस बैठक की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध कथाकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता प्रतिभा राय ने की। चयन समिति के अन्य सदस्य माधव कौशिक, दामोदर मावजी, प्रभा वर्मा, डॉ. अनामिका, डॉ. ए. कृष्णा राव, प्रफ्फुल शिलेदार, डॉ. जानकी प्रसाद शर्मा और ज्ञानपीठ के निदेशक मधुसूदन आनंद भी बैठक में शामिल थे।

सम्मान के तहत क्या मिलेगा?

ज्ञानपीठ पुरस्कार के अंतर्गत साहित्यकार को
11 लाख रुपये की पुरस्कार राशि
वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा
प्रशस्ति पत्र
प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार अब तक हिंदी के 12 साहित्यकारों को मिल चुका है, और अब विनोद कुमार शुक्ल इस सूची में शामिल हो गए हैं।

विनोद कुमार शुक्ल: प्रयोगधर्मी साहित्यकार

विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य के एक महत्वपूर्ण लेखक हैं, जिनका लेखन अपनी सरल भाषा, गहरी संवेदनशीलता और अनूठी शैली के लिए जाना जाता है। वह 1 जनवरी 1937 को छत्तीसगढ़ में जन्मे और उनकी लेखनी आम जीवन के छोटे-छोटे अनुभवों, संवेदनाओं और मानवीय रिश्तों को खूबसूरत अंदाज में प्रस्तुत करती है।

विनोद कुमार शुक्ल को हिंदी साहित्य में प्रयोगधर्मी लेखन के लिए जाना जाता है। उन्होंने साहित्य में नए प्रयोग किए और अपनी लेखनी के जरिए हिंदी साहित्य को समृद्ध किया। उनकी पहली कविता संग्रह ‘लगभग जयहिंद’ वर्ष 1971 में प्रकाशित हुई थी, जिसने उन्हें साहित्य जगत में पहचान दिलाई।

प्रसिद्ध रचनाएं

विनोद कुमार शुक्ल ने कई उल्लेखनीय उपन्यास और कविता संग्रह लिखे हैं, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
📖 ‘नौकर की कमीज’
📖 ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’
📖 ‘खिलेगा तो देखेंगे’

उनका लेखन आम आदमी के जीवन से जुड़ा होता है और उसमें गहरी सामाजिक संवेदनशीलता झलकती है।

आम जीवन पर आधारित कविताएं और कहानियां

विनोद कुमार शुक्ल की कविताएं और कहानियां आम आदमी की जिंदगी के छोटे-छोटे पहलुओं को बहुत ही सहज और प्रभावशाली भाषा में प्रस्तुत करती हैं। उनकी लेखनी में मानवीय संवेदनाएं, समाज की जटिलताएं और रोजमर्रा के जीवन की गहरी समझ देखने को मिलती है।

साहित्य जगत में खुशी की लहर

हिंदी साहित्य प्रेमियों और पूरे साहित्य जगत के लिए यह एक गौरवपूर्ण क्षण है कि विनोद कुमार शुक्ल को यह प्रतिष्ठित सम्मान मिल रहा है। उनके अद्वितीय साहित्यिक योगदान और सृजनात्मकता ने हिंदी साहित्य को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

इस सम्मान के मिलने के बाद साहित्य जगत में खुशी की लहर है और उनके प्रशंसकों व लेखकों ने इस निर्णय का स्वागत किया है। यह पुरस्कार विनोद कुमार शुक्ल की साहित्यिक साधना और समर्पण का सम्मान है, जिससे हिंदी साहित्य को एक नई दिशा मिली है।

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram