पिछले कई वर्षों में सबसे निचला स्तर, सितंबर की तुलना में 119 आधार अंक की गिरावट दर्ज
नई दिल्ली, 12 नवंबर। देश में बढ़ती कीमतों से जूझ रहे आम नागरिकों के लिए राहत की खबर आई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2025 में खुदरा महंगाई दर घटकर केवल 0.25 प्रतिशत रह गई है। यह वर्तमान उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) श्रृंखला की अब तक की सबसे कम दर है, जिसने कई वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
एनएसओ की रिपोर्ट में बताया गया है कि यह गिरावट जीएसटी दरों में कमी, खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी, और तेल, फल-सब्ज़ियों, अंडे, अनाज एवं परिवहन सेवाओं की सस्ती लागत के कारण संभव हुई है।
सितंबर से अक्टूबर के बीच महंगाई में 119 आधार अंकों की कमी
सितंबर 2025 में खुदरा महंगाई दर 1.44 प्रतिशत थी, जबकि अक्टूबर 2024 में यह 6.21 प्रतिशत दर्ज की गई थी। यानी एक वर्ष में महंगाई में लगभग 6 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। सितंबर से अक्टूबर के बीच मुख्य मुद्रास्फीति में 119 आधार अंकों (basis points) की कमी आई, जो पिछले कई वर्षों में सबसे बड़ी मासिक गिरावट मानी जा रही है।
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, जीएसटी (GST)में हाल ही में की गई कटौती, विशेष रूप से दैनिक उपयोग की वस्तुओं और आवश्यक उपभोक्ता उत्पादों पर, इस राहत का प्रमुख कारण रही है।
खाद्य वस्तुओं की कीमतों में सबसे बड़ी गिरावट
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य महंगाई (Food Inflation) अक्टूबर 2025 में घटकर -5.02 प्रतिशत (शून्य से नीचे) पर पहुंच गई है। इसका अर्थ यह है कि औसतन खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है।
सबसे अधिक राहत निम्न वस्तुओं में मिली है —
सब्ज़ियाँ और फल — थोक बाजारों में आपूर्ति बढ़ने और मानसून के अच्छे प्रभाव से दाम घटे।
खाद्य तेल और वसा — आयात शुल्क में छूट और घरेलू उत्पादन बढ़ने से कीमतों में कमी आई।
अंडे, अनाज और दूध उत्पादों में स्थिरता बनी रही, जिससे कुल खाद्य सूचकांक पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा।
परिवहन और संचार सेवाओं में भी किराये और शुल्कों में कमी से राहत देखने को मिली।
जीएसटी दरों में कटौती का असर दिखा
सरकार द्वारा सितंबर 2025 में की गई जीएसटी दरों में कमी का असर अब खुदरा बाजार (Retail Inflation) तक पहुंचता दिखाई दे रहा है। कई उपभोक्ता वस्तुओं — जैसे पैक्ड खाद्य पदार्थ, रसोई गैस, कपड़े, जूते, घरेलू उपकरण और दवाइयों — पर कर में कटौती से न केवल उत्पादन लागत में कमी आई, बल्कि उपभोक्ताओं तक भी राहत पहुंची।
वित्त विशेषज्ञों का कहना है कि कम जीएसटी दर और स्थिर ईंधन मूल्य नीति के चलते बाजार में स्थिरता बनी है। इससे नवंबर-दिसंबर में महंगाई नियंत्रण में रहने की उम्मीद और मजबूत हुई है।
आर्थिक विश्लेषकों की राय
आर्थिक विशेषज्ञों ने इसे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत बताया है।
आर्थिक विश्लेषक प्रो. नलिनी अवस्थी का कहना है —
“महंगाई में इतनी बड़ी गिरावट यह दर्शाती है कि उपभोक्ता वस्तुओं की आपूर्ति में सुधार हुआ है। यदि यही प्रवृत्ति जारी रही, तो अगले वित्त वर्ष में रिज़र्व बैंक ब्याज दरों को स्थिर रख सकता है।”
वहीं उद्योग जगत का मानना है कि यह स्थिति घरेलू मांग और निवेश को प्रोत्साहित करेगी, जिससे बाजार में खपत बढ़ेगी।
सरकार ने दी प्रतिक्रिया, कहा—नागरिकों के हित में नीतियां असर दिखा रही हैं
वित्त मंत्रालय ने महंगाई में इस गिरावट को “जन-केंद्रित नीतियों का परिणाम” बताया। मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि सरकार ने पिछले कुछ महीनों में जिन निर्णयों पर कार्य किया — जैसे जीएसटी दरों में कटौती, कृषि आपूर्ति शृंखला का सुधार, और खाद्य भंडारों की निगरानी — उनका असर अब स्पष्ट रूप से दिख रहा है।
मंत्रालय ने आशा जताई कि आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति स्थिर रहकर 2% से नीचे बनी रहेगी, जिससे आर्थिक वृद्धि दर को और बल मिलेगा।
जनता को मिली राहत, उत्साह बाजार में भी दिखाई दिया
खुदरा महंगाई घटने से न केवल आम नागरिकों को राहत मिली है, बल्कि बाजारों में भी खपत बढ़ने के संकेत मिलने लगे हैं। थोक व्यापारियों और खुदरा विक्रेताओं का कहना है कि पिछले महीने की तुलना में उपभोक्ताओं की खरीदारी 8-10% तक बढ़ी है।
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह रुझान जारी रहा तो आने वाले त्योहारी सीजन में बाजार में रिकवरी और वृद्धि दोनों देखने को मिलेंगी।
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