नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के घर से 15 करोड़ रुपये नकद बरामद होने के मामले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग पर सुनवाई करने का फैसला किया है। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष इस मामले को मेंशन करते हुए याचिकाकर्ता और वकील मैथ्यू नेदुंपरा ने जल्द सुनवाई की अपील की थी। इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि याचिका लिस्ट हो गई है और जल्द ही इस पर सुनवाई होगी। साथ ही उन्होंने याचिकाकर्ता से कहा कि वह इस मामले में कोई सार्वजनिक बयान न दें।
याचिका में क्या कहा गया है?
याचिका में इस मामले को न्याय की बिक्री और काले धन को छिपाने का गंभीर मामला बताया गया है। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि अगर न्यायमूर्ति वर्मा के बयान पर भी विश्वास कर लिया जाए, तो भी सवाल यह उठता है कि उन्होंने इतने बड़े पैमाने पर नकदी मिलने के बाद एफआईआर क्यों नहीं कराई।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश एक महिला सह-याचिकाकर्ता ने कहा,
“अगर ऐसा मामला किसी आम नागरिक के खिलाफ होता तो केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसी कई एजेंसियां उसकी जांच में जुट जातीं। मैं भी एक व्यवसायी हूं और समझ सकती हूं कि इस तरह की परिस्थितियों में आम आदमी पर क्या प्रभाव पड़ता है।”
इस पर प्रधान न्यायाधीश ने टिप्पणी करते हुए कहा,
“यह काफी है, याचिका पर सुनवाई होगी।”
कैसे सामने आया यह मामला?
दरअसल, 14 मार्च को दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के घर में अचानक आग लग गई थी। आग बुझाने के लिए अग्निशमन विभाग को बुलाया गया। जब फायर ब्रिगेड की टीम आग पर काबू पाने के लिए अंदर दाखिल हुई, तो उन्हें वहां स्टोर रूम में भारी मात्रा में नकदी मिली, जिसकी गिनती के बाद कुल रकम 15 करोड़ रुपये पाई गई।
इस घटना के सामने आने के बाद न्यायमूर्ति वर्मा ने सफाई देते हुए कहा कि यह नकदी उनकी नहीं है और उन्हें नहीं पता कि यह वहां कैसे आई। हालांकि, सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी मात्रा में नकदी उनके घर में कैसे पहुंची और उन्होंने इस संबंध में पुलिस में शिकायत क्यों नहीं की?
दिल्ली पुलिस ने जांच शुरू की
इस मामले के तूल पकड़ने के बाद दिल्ली पुलिस की टीम बुधवार को न्यायमूर्ति वर्मा के घर पहुंची। जानकारी के अनुसार, पुलिस ने उनके स्टोर रूम और घर के आस-पास के क्षेत्र को सील कर दिया है।
डीसीपी नई दिल्ली देवेश कुमार महला अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और आग लगने वाली जगह को सील कर दिया गया। इस कार्रवाई को जांच कमेटी के कहने पर अंजाम दिया गया। इस दौरान तुगलक रोड थाना प्रभारी (SHO) और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौके पर मौजूद थे।
क्या हो सकती है आगे की कार्रवाई?
इस मामले में अब सर्वोच्च न्यायालय की सुनवाई महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि न्यायपालिका के एक वरिष्ठ पद पर बैठे व्यक्ति के घर इतनी बड़ी मात्रा में नकदी मिलने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। यदि अदालत इस पर गंभीर टिप्पणी करती है और निष्पक्ष जांच के निर्देश देती है, तो इस मामले में CBI या ED जैसी एजेंसियां भी जांच में शामिल हो सकती हैं।
वहीं, इस घटना से न्यायपालिका की स्वतंत्रता और विश्वसनीयता पर भी सवाल उठे हैं, जिससे यह मामला और भी संवेदनशील हो गया है। अब यह देखना होगा कि सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में क्या रुख अपनाता है और आगे की कानूनी प्रक्रिया क्या रहती है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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