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May 17, 2025 10:41 AM

भगवद गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को का वैश्विक सम्मान

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यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल, भारत की सांस्कृतिक धरोहर को मिली नई ऊंचाई

नई दिल्ली। भारत की ज्ञान और कला परंपरा को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान मिली है। यूनेस्को ने भगवद गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया है। यह ऐलान 17 अप्रैल को हुआ जब यूनेस्को ने दुनिया भर से 74 नई दस्तावेजी विरासतों को इस प्रतिष्ठित रजिस्टर में स्थान दिया।

इस उपलब्धि को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है। भगवद गीता और नाट्यशास्त्र का यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल होना हमारी शाश्वत बुद्धिमत्ता और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है। इन ग्रंथों ने सदियों से सभ्यता और चेतना का पोषण किया है, और उनकी अंतर्दृष्टि आज भी दुनिया को प्रेरणा देती है।”

प्रधानमंत्री ने केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के पोस्ट को साझा करते हुए इस ऐतिहासिक घोषणा पर खुशी जाहिर की। शेखावत ने भी अपने संदेश में इसे “भारत की सभ्यतागत विरासत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण” बताया और कहा कि, “यह सम्मान भारत के शाश्वत ज्ञान और कलात्मक प्रतिभा का वैश्विक जश्न है।”

क्यों है यह उपलब्धि विशेष?

यूनेस्को का मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर, विश्व की सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेजी धरोहरों की सूची है। इसमें किसी भी ग्रंथ या दस्तावेज को शामिल करने से पहले एक अंतरराष्ट्रीय सलाहकार समिति की समीक्षा और कार्यकारी बोर्ड की स्वीकृति ली जाती है। इसमें चयनित होना उस दस्तावेज की वैश्विक महत्ता और स्थायी सांस्कृतिक मूल्य को दर्शाता है।

इस रजिस्टर का उद्देश्य इन महत्वपूर्ण दस्तावेजों का संरक्षण, प्रचार और अध्ययन को बढ़ावा देना है ताकि वे आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित और सुलभ रहें।

गीता और नाट्यशास्त्र की वैश्विक विरासत

भगवद गीता, भारतीय दर्शन का सार है जिसे न केवल धार्मिक ग्रंथ बल्कि आध्यात्मिक, नैतिक और दार्शनिक मार्गदर्शन के रूप में देखा जाता है। यह जीवन की जटिलताओं के बीच कर्तव्य, विश्वास और ध्यान का संतुलन सिखाती है।

वहीं, नाट्यशास्त्र, जो कि प्राचीन भारत में भरत मुनि द्वारा रचित एक विस्तृत ग्रंथ है, प्रदर्शन कला—नाटक, नृत्य और संगीत—की शास्त्रीय परिभाषा और नियमों का सबसे पहला एवं प्रमुख दस्तावेज माना जाता है। यह ग्रंथ भारतीय सांस्कृतिक अभिव्यक्ति की रीढ़ है और विश्वभर में नाट्यशास्त्र पर आधारित अनुसंधान होते रहे हैं।

भारत के 14 दस्तावेज अब इस सूची में

इस घोषणा के साथ भारत के कुल 14 दस्तावेज अब तक यूनेस्को के इस अंतरराष्ट्रीय रजिस्टर में शामिल हो चुके हैं। वर्ष 1992 में शुरू हुए इस कार्यक्रम के तहत अब तक 570 दस्तावेज चुने जा चुके हैं, जिनमें विज्ञान, इतिहास, संस्कृति और राजनीति से जुड़े अभिलेख शामिल हैं।

इस वर्ष के रजिस्टर में वैज्ञानिक क्रांति, महिलाओं का ऐतिहासिक योगदान और बहुपक्षीय कूटनीति जैसी विविध श्रेणियों से दस्तावेजों को शामिल किया गया है। इसमें 72 देशों और चार अंतरराष्ट्रीय संगठनों के संग्रहों को मान्यता मिली है।

इस ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ भारत की सांस्कृतिक गाथा को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मान मिला है, जो भविष्य की पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़े रखने में मदद करेगा।



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