नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की बिगड़ी हुई स्वास्थ्य स्थिति पर गंभीर चिंता जताते हुए पंजाब सरकार पर नाराजगी व्यक्त की है। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने पंजाब सरकार से पूछा कि अदालत के आदेश के बावजूद किसान नेता डल्लेवाल को अस्पताल क्यों नहीं भेजा गया, और इसे अवमानना का मामला माना। अदालत ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द ही डल्लेवाल का इलाज सुनिश्चित नहीं किया, तो वह इस मामले में आगे के कड़े कदम उठाने पर विचार करेगी।
कोर्ट ने 31 दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई तय की
सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 31 दिसंबर को निर्धारित की है, और इस दौरान पंजाब सरकार से मामले की स्थिति पर विस्तार से रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने सरकार से यह भी स्पष्ट किया कि अदालत के आदेशों का पालन न करना गंभीर अवमानना का अपराध है, और राज्य सरकार को इसकी गंभीरता से लेना चाहिए।
पंजाब सरकार का बचाव: किसान डल्लेवाल को अस्पताल जाने से रोक रहे हैं किसान
सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने अदालत को बताया कि किसान नेता डल्लेवाल को अस्पताल भेजने से किसानों के एक गुट ने रोक रखा है। पंजाब सरकार ने यह तर्क भी दिया कि यदि डल्लेवाल को जबरन अस्पताल भेजा गया, तो इससे दोनों पक्षों—किसानों और पुलिस—के बीच संघर्ष की स्थिति पैदा हो सकती है, और जान-माल का नुकसान हो सकता है।
इस पर अदालत ने पंजाब सरकार को सख्त हिदायत दी और कहा कि यदि राज्य को किसी तरह की मदद की आवश्यकता हो तो केंद्र सरकार से सहायता लेने के लिए कोर्ट आदेश दे सकता है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “अगर पंजाब सरकार को केंद्र से सहायता चाहिए तो हम आदेश देने के लिए तैयार हैं, लेकिन राज्य सरकार को अदालत के आदेश का पालन करना ही होगा।”
कोर्ट की चिंताएं: इलाज से रोकना आत्महत्या के लिए उकसाने जैसा
सुनवाई के दौरान जस्टिस सुधांशु धूलिया ने भी अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि एक बीमार व्यक्ति को चिकित्सा सहायता से वंचित रखना आत्महत्या के लिए उकसाने के समान हो सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि चिकित्सा मदद से रोकना एक गंभीर अपराध है और इस पर त्वरित कार्रवाई की जरूरत है।
राज्य सरकार को सवाल: किसानों के नेता क्या चाहते हैं?
कोर्ट ने इस मुद्दे पर हैरानगी व्यक्त की कि आखिर क्यों कुछ किसान नेता डल्लेवाल को इलाज के लिए अस्पताल जाने से रोक रहे हैं। अदालत ने सवाल उठाया कि क्या ये नेता अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं या कुछ और चाहते हैं। कोर्ट ने पूछा कि क्या किसानों के हितों का ध्यान रखने वाले नेताओं को इस स्थिति में अपने साथी नेता की बीमारी को नजरअंदाज करना चाहिए।
अदालत का सख्त रुख: किसी भी स्थिति में आदेश का पालन जरूरी
अंत में, सर्वोच्च न्यायालय ने दोहराया कि अदालत का आदेश किसी भी हालत में लागू किया जाना चाहिए, और पंजाब सरकार को इसके पालन के लिए जल्द से जल्द कदम उठाने होंगे। अदालत ने चेतावनी दी कि यदि राज्य सरकार डल्लेवाल के इलाज में कोई और देरी करती है, तो वह इसके लिए जिम्मेदार होगी।