- भारत ने अतीत में पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने की कई कोशिशें कीं, लेकिन हर बार उसे दुश्मनी और विश्वासघात का ही सामना करना पड़ा।
सिंगापुर। भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि भारत ने अतीत में पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने की कई कोशिशें कीं, लेकिन हर बार उसे दुश्मनी और विश्वासघात का ही सामना करना पड़ा। सिंगापुर में शंगरी-ला डायलॉग के मंच से बोलते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि मौजूदा हालात को देखते हुए पाकिस्तान से अलगाव ही भारत के लिए सबसे उपयुक्त रणनीति नजर आती है।
“अब बिना रणनीति के कुछ नहीं”
जनरल चौहान ने कहा, “भारत और पाकिस्तान के संबंध अब भावना नहीं बल्कि रणनीति से तय होते हैं।” उन्होंने बताया कि आजादी के समय पाकिस्तान भारत से कई मामलों में आगे था, लेकिन आज भारत सभी मोर्चों पर आगे निकल चुका है—चाहे वह अर्थव्यवस्था हो, सामाजिक विकास हो या मानव संसाधन। यह बदलाव कोई संयोग नहीं, बल्कि दीर्घकालिक रणनीतिक सोच का नतीजा है।
मोदी सरकार की पहल और पाकिस्तान की जवाबदेही
उन्होंने 2014 का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को शपथग्रहण समारोह में आमंत्रित किया था। लेकिन जवाब में पाकिस्तान ने भारत की सद्भावनाओं को दरकिनार करते हुए सीमा पर घुसपैठ और आतंकवाद को बढ़ावा दिया। जनरल चौहान ने कहा, “ताली एक हाथ से नहीं बजती, इसलिए अब दूरी ही बेहतर है।”
हिंद महासागर क्षेत्र: भारत की नई सामरिक प्राथमिकता
सीडीएस ने जोर देकर कहा कि भारत की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए हिंद महासागर क्षेत्र में सामरिक सक्रियता आवश्यक है। उन्होंने कहा कि उत्तर की तरफ चीन के साथ सीमा तनाव और पूर्व में म्यांमार की अस्थिरता के कारण, भारत के लिए दक्षिण दिशा यानी समुद्री विस्तार ही भविष्य की रणनीति है। उन्होंने उत्तरी बंगाल की खाड़ी और द्वीपीय क्षेत्रों का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि वहां की स्थिति भारत को रणनीतिक गहराई देती है, जिसे हमें अत्यधिक चतुराई से उपयोग करना चाहिए। अब भारत की दृष्टि सिर्फ उत्तर पर नहीं, बल्कि दक्षिणी हिंद महासागर की तरफ भी है, जहां व्यापारिक और मेरीटाइम हितों की व्यापक संभावनाएं हैं।
हालिया संघर्ष और स्वदेशी हथियारों की भूमिका
सीडीएस चौहान ने भारत-पाक संघर्ष के संदर्भ में बताया कि भारत ने आकाश मिसाइल सिस्टम सहित कई स्वदेशी हथियारों का इस्तेमाल कर यह साबित कर दिया कि वह रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कदम उठा रहा है। उन्होंने बताया कि भारत ने विभिन्न स्रोतों से रडार सिस्टम्स को एकीकृत कर एयर डिफेंस को सशक्त बनाया है। यह तकनीकी एकीकरण हालिया संघर्षों में निर्णायक साबित हुआ। उन्होंने कहा, “अब हमें विदेशी विक्रेताओं पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।”
रक्षा क्षेत्र में स्टार्टअप्स और निवेश का नया युग
जनरल चौहान ने इस बात पर खुशी जताई कि भारत में रक्षा उत्पादन को लेकर स्टार्टअप्स, MSMEs और बड़े उद्योगों में निवेश लगातार बढ़ रहा है। यह न केवल स्वदेशी क्षमता को बढ़ावा देगा बल्कि भारत को एक रक्षा निर्यातक देश के रूप में भी स्थापित करेगा।