कहा— “दादा, आपका परिवार आज भी दरवाजे पर इंतजार कर रहा है”
जगदलपुर, 31 मई।दादा को घर लौटने की भावुक अपील: इनामी नक्सली देवजी को पौत्री ने लिखा पत्र, जारी किया वीडियो संदेश
छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में हालिया मुठभेड़ में नक्सली सरगना बसव राजू के मारे जाने के बाद जहां नक्सली संगठन में नए महासचिव को लेकर हलचल मची है, वहीं इसी बीच एक भावनात्मक घटनाक्रम सामने आया है। एक करोड़ के इनामी व वरिष्ठ नक्सली नेता थिप्परी तिरुपति उर्फ देवजी की पौत्री सुमा ने अपने दादा के नाम पत्र और वीडियो संदेश जारी कर उन्हें घर लौटने की मार्मिक अपील की है।
तेलंगाना के करीमनगर ज़िले के कोरूतुला निवासी देवजी की उम्र 61 वर्ष है और वह वर्तमान में सेंट्रल मिलिट्री कमेटी और सीआरबी का सदस्य है। सुरक्षा बलों की नजर में वह नक्सली संगठन के शीर्ष रणनीतिकारों में से एक है और उसे भारत सरकार द्वारा एक करोड़ रुपये के इनाम के साथ मोस्ट वांटेड की सूची में रखा गया है।
सुमा का संदेश— “मीडिया में पढ़ती हूं, गर्व भी होता है और दर्द भी”
पत्र में सुमा लिखती है—
“दादा जी, मुझे हमेशा आपसे मिलने का मन करता है, पर कभी वह दिन नहीं आया। जब भी मैं आपके बारे में मीडिया में पढ़ती हूं, तो गर्व के साथ-साथ दर्द भी होता है। मैं चाहती हूं कि आप अब घर लौट आएं। परिवार में कई सदस्य आज भी आपके लौटने का इंतजार कर रहे हैं।”
“हम दरवाज़े पर आपका इंतजार कर रहे हैं”
सुमा ने भावनात्मक अपील करते हुए वीडियो में कहा—
“इतने वर्षों से आपने किन परिस्थितियों में जीवन जिया होगा, इसका अनुमान भी हम नहीं लगा सकते। लेकिन अब आप लौट आइए, आपका परिवार दरवाज़े पर इंतज़ार कर रहा है।”
“मिठाई बांटते देखती हूं, तो दुख होता है”
अपने संदेश में सुमा ने सुरक्षा बलों की कार्रवाई पर सवाल भी उठाए। उन्होंने पूछा कि—
“पाकिस्तान और बांग्लादेश से घुसपैठ करने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती, जबकि माओवादी मारे जाते हैं और लोग मिठाई बांटते हैं? ये दृश्य देखना मुझे बेहद दुखी करता है।”
वीडियो संदेश से बदल सकती है रणनीतिक तस्वीर?
नक्सल मोर्चे पर इस वीडियो का सामने आना केवल एक पारिवारिक आग्रह नहीं माना जा रहा। सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के लिए यह संकेत है कि देवजी जैसे वरिष्ठ माओवादी नेताओं की भी निजी दुनिया कहीं न कहीं उन्हें लौटने का आग्रह कर रही है।
देवजी का अब तक का जीवन हथियारबंद क्रांति और माओवादी विचारधारा के प्रति पूर्ण समर्पित रहा है। लेकिन अपनी ही पौत्री के इस भावुक आग्रह के बाद यह देखना अहम होगा कि क्या उसकी रणनीति या मानसिकता में कोई परिवर्तन आता है।
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