- हाफिज सईद का भाई और बहनोई, भारत के मोस्ट वांछित आतंकियों में शामिल
- 26/11 मुंबई हमले की साजिश रचने वालों में था प्रमुख
नई दिल्ली:
आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा के कुख्यात सरगना अब्दुल रहमान मक्की की मौत की खबरें सामने आई हैं। बताया गया है कि 70 वर्षीय मक्की की मौत गुरुवार को हार्ट अटैक के चलते पाकिस्तान के लाहौर स्थित एक निजी अस्पताल में हुई। जमात-उद-दावा ने इस खबर की पुष्टि की है और बताया कि वह हाई-डायबिटीज से पीड़ित था और कुछ दिनों से इलाज करा रहा था।
26/11 हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में शामिल था मक्की
अब्दुल रहमान मक्की 2008 में मुंबई में हुए 26/11 हमले की साजिश रचने वालों में से एक था। इस आतंकी हमले में 175 लोगों की जान गई थी और 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। मक्की पर हमलों की योजना बनाने और आतंकी नेटवर्क को वित्तीय सहायता प्रदान करने का आरोप था।
वैश्विक आतंकी घोषित और संयुक्त राष्ट्र की कार्रवाई
संयुक्त राष्ट्र ने 2023 में अब्दुल रहमान मक्की को “वैश्विक आतंकी” घोषित किया था। इसके तहत उसकी संपत्तियां जब्त कर ली गईं, और उसकी यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके बावजूद पाकिस्तान में वह खुलेआम घूमता रहा और आतंकी संगठनों की गतिविधियों को जारी रखा।
हाफिज सईद का भाई और बहनोई
मक्की रिश्ते में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद का भाई और बहनोई था। उसे हाफिज के सबसे करीबी सहयोगियों में गिना जाता था। 2019 में जब हाफिज सईद को 36 साल की जेल की सजा सुनाई गई, तो मक्की ने लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा की कमान संभाल ली।
भारत में मोस्ट वांछित आतंकी
भारत ने मक्की को आतंकवाद-रोधी कानून (यूएपीए) के तहत मोस्ट वांछित आतंकी घोषित किया था। भारतीय एजेंसियां उसे लंबे समय से तलाश रही थीं, लेकिन पाकिस्तान में वह सरकारी संरक्षण में गतिविधियां संचालित करता रहा।
मक्की की मौत: आतंकी नेटवर्क पर प्रभाव
मक्की की मौत पाकिस्तान और उसके आतंकी नेटवर्क के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। उसकी मौत से लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा की गतिविधियों पर असर पड़ सकता है। हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि इन आतंकी संगठनों के पास नए चेहरों को तैयार करने की पूरी व्यवस्था है।
भारत की प्रतिक्रिया
अब्दुल रहमान मक्की की मौत पर भारत ने अभी तक आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन मक्की की मौत को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक छोटी, लेकिन महत्वपूर्ण जीत के रूप में देखा जा रहा है।
अब्दुल रहमान मक्की, जो हाफिज सईद का करीबी सहयोगी और 26/11 हमले का मास्टरमाइंड था, की मौत ने आतंकवाद विरोधी अभियान में एक नई कड़ी जोड़ी है। हालांकि, यह देखना होगा कि लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा जैसे संगठन मक्की की जगह भरने के लिए किसे आगे लाते हैं।