विवेकानंद जयंती की पूर्व संध्या पर ‘स्वदेश ज्योति’ जनसंवाद में वक्ताओं के विचार
भोपाल. स्वामी विवेकानंद की जयंती की पूर्व संध्या पर ‘स्वदेश ज्योति’ कार्यालय में जनसंवाद आयोजित किया गया। इसमें वक्ताओं ने स्वामी जी के विचारों की प्रासंगिकता पर चर्चा करते हुए कहा कि समाज को दिशा देने और युवकोचित ऊर्जा को रचनात्मकता से जोड़ने के लिए उनके दिखाए मार्ग को अपनाने की आवश्यकता है। उनका दर्शन भारतीय गौरव और गरिमा की दृढ़ता से प्रस्थापना करता है। वक्ताओं में विभिन्न क्षेत्रों के चिंतक, विचारक व सक्रिय कार्यकर्ता उपस्थित थे। स्वदेश ज्योति के प्रधान संपादक राजेन्द्र शर्मा की विशिष्ट उपस्थिति में संवाद का संचालन संपादक अक्षत शर्मा ने किया।
युवा के सामने संकट देश के सामने क्या परिदृश्य होना चाहिए
राजेन्द्र शर्मा
प्रधान संपादक, स्वदेश ज्योति
हमारे यहां युवा ने सदैव चुनौतियों को स्वीकार किया है। चाहे गुलामी की स्थिति हो, स्वतंत्रता की हो या आज की स्थितियां। यह युवा शक्ति गैर जिम्मेदार अथवा दिशाहीन नहीं है। उसे जब भी अवसर मिला, उसने अपने अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया। हम सौभाग्यशाली हैं कि स्वामी विवेकानंद का चिंतन हमारे पास है। उनका चिंतन किसी प्रसंग या अवसर का नहीं अपितु वह शाश्वत विचार है। समस्त जगत को परिवर्तित करने का यह विचार भारत भूमि से प्रकट हुआ।
राष्ट्र के लिए समर्पण और देशभक्ति भारत का मूल भाव है। जब चुनौतियां आती हैं तब लोग राष्ट्र के लिए उन्हें स्वीकार भी करते हैं। इस भाव के चलते भगतसिंह जैसा नौजवान फांसी के फंदे पर झूल गया और पन्ना धाय ने पुत्र का बलिदान कर दिया । आपने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की चर्चा करते हुए कहा कि संघ का विचार व्यक्ति का नहीं, पूरे समाज के सामूहिक व सनातन चिंतन का प्रकटीकरण है। आपने परिवारों में संस्कारों की चर्चा करते हुए कहा कि यह क्रम टूट गया। इसे पुनः स्थापित करने की चिंता की जानी चाहिए।
विनोद नागर
समीक्षक व वरिष्ठ पत्रकार
युवा पीढ़ी पर उम्मीद टिकी है। आने वाले समय के लिए युवाओं की ओर देखा जाता है। युवाओं को आदर्श भारतीय नागरिक बनाने के लिए देश में एक बड़ा आंदोलन चलाने की जरूरत है। आखिर देश की पहचान किससे बनेगी। युवाओं के सामने आज आदर्श क्या हैं, कौन आईकान हैं। युवाओं का वर्तमान स्वरूप गैरजिम्मेदार, उच्छृंखल,फैशन परस्त, धन व आजीविका के पीछे दौड़ती पीढी़ के रूप में दिखता है। सामाजिक सरोकार की बात ही नहीं होती। विश्व गुरु बनने के लिए आदर्श सामने रखने होंगे। युवाओं में नैतिकता और अनुशासन का गुण विकसित करना होगा।
अरविंद श्रीधर
निदेशक, माधवराव सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय
संकट में युवाओं को कहने की जरूरत नहीं पड़ती है। वह स्वयं संगठित हो जाते हैं। युवा जागृत हो जाते हैं। लेकिन जब चुनाव आते हैं तो आसानी से कोई वोट नहीं डालता यह बड़ी चुनौती है। हमारे देश में जातिगत मतभेद व समस्याएं हैं।इसका भी निवारण होना आवश्यक है।
मनोज द्विवेदी,
वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी
अब संचार का युग है। इसमें ज्ञान, कौशल और तकनीक का समावेश हो चुका है। हम ज्ञानवान हैं और कौशल या तकनीक का ज्ञान नहीं है तो आगे नहीं बढ़ सकेंगे। नए भारत के निर्माण के लिए गैर परंपरागत ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
जीके छिब्बर
वरिष्ठ अधिवक्ता
युवा आज अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं। उनमें आज दृष्टि है जबकि हमारी पीढ़ी में इतनी भविष्यदृष्टि नहीं थी। आज ज्ञान का स्तर भी बढ़ गया है। कई युवाओं ने अपने हुनर से ऐसे काम शुरु किए हैं जिनमें कई लोगों को रोजगार मिल रहा है। नौकरी के पीछे भागने की बजाय स्वरोजगार का लाभ उठा रहे हैं। युवाओं में जोश ज्यादा हो गया है, होश में काम करें।
डॉ निष्ठा त्यागी पचौरी
कॉरपोरेट प्रबंधक
देश में 48 प्रतिशत युवा रोजगार के लायक नहीं है। इसलिए शिक्षा के साथ स्किल इंडिया कैंपेन और ज्यादा बढ़ावा देना चाहिए। इनमें से कुछ और भी युवा है जो आप साथ और निराशा के कारण आत्महत्या कर देते हैं।
सुमित
युवा को अपने लक्ष्य निर्धारित करने होंगे। पांच साल के लक्ष्य बनाना चाहिए। हमें युवाओं को सिखाना होगा कि धन या अर्थ एक पक्ष है। हमें आगे सोचना होगा। अगर कैरियर पाथ को सुनिश्चित नहीं किया तो अवसाद की स्थिति पैदा होगी। आज समय बदल गया है।
ए के मल्होत्रा,
पूर्व डीजीएम, बीएचईएल
संस्कारो की दृष्टि से स्कूलों में असेम्बली होना चाहिए। यह असेम्बली ऊंचे-नीचे का भेद खत्म करती थी। शिक्षा प्रणाली का स्तर गिरा दिया गया है। इसमें बच्चों के व्यक्तित्व पर व्यक्तिगत ध्यान नहीं है। एनसीसी से देश के प्रति प्रेम पैदा होता है। उसे अनिवार्य बनाना चाहिए।
शिखा छिब्बर
विधि प्रशिक्षक
हमें युवाओं के बारे में बात करते हुए सभी प्रकार के युवा के बारे में सोचना होगा। समावेशी सोच के आधार पर ही विकास होगा। आत्मनिर्भर भारत बनने के लिए समानता होना जरूरी है। राष्ट्र निर्माण के लक्ष्यों में असमानता बाधक है। इसको दैनंदिन व्यवहार में लाना होगा। इसी से अवसरों का लाभ युवा उठा सकेंगे।
संजू मिश्रा,
अधिवक्ता
किसी भी बात को रखने के लिए प्रजेंटेशन मजबूत होना चाहिए । जितना ज्यादा अध्ययन करेंगे, जानकारियां रखेंगे, उतना ही कौशल विकसित होगा। निर्णय करने की क्षमता विकसित होगी। स्वामी विवेकानंद भी पढ़ने और योग करने पर जोर देते थे जो बुद्धि के विकास में सहायक होते हैं।
शैलेन्द्र ओझा
सामाजिक कार्यकर्ता
युवाओं के लिए संदेश यह है कि जीवन में कुछ भी बनना है सपने देखे (ड्रीम), हिम्मत जुटाएं (डेअर) और परिणाम दें (डिलीवर)।
देवयानी मिश्रा,
स्कूल संचालिका
बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाना हम सबका कर्तव्य है। उसके लिए शुरू से ही बच्चे का मानसिक विकास मजबूत करना होगा जैसे कि विवेकानंद जी भीं मेडिटेशन ध्यान को महत्व देते थे हम भी अपने बच्चों को मेडिटेशन करवाते हैं।
राजा पाठक,
सामाजिक कार्यकर्ता
युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कार व देश व समाज के प्रति जिम्मेदारी से कैसे अवगत कराएं, यह प्रश्न है। सोशल मीडिया पर नकारात्मक वातावरण मिलता है। वहीं कुछ विदेशी शक्तियां उन्हें अपनी जड़ों से काट रही हैं। इस पीढ़ी में सकारात्मक सोच लाना होगा। संतोष की बात है कि कुछ युवा सकारात्मक काम कर रहे हैं।
भारती,
सामाजिक कार्यकर्ता
सोशल मीडिया दिशा भ्रमित करने का काम करता है किंतु उस पर अच्छी जानकारियां भी होती हैं। हम उसकी सूचनाओं को फिल्टर करने की जानकारी युवा के लिए उपयोगी बना सकते हैं। युवाओं की समस्याओं को संबोधित करके अवसाद से बचाना होगा। परंपरा के साथ आधुनिकता को कैसे अपनाएं, यह बताना होगा।
अभिलाष ठाकुर
उद्यमी
सोशल मीडिया पर सक्रिय पीढ़ी के सामने सबसे बड़ी चुनौती भी सोशल मीडिया ही है। हम विवेकवान पीढ़ी का निर्माण करना चाहते है तो विवेक करना सिखाना होगा। सोशल मीडिया पर काम की जानकारी का चयन करना व सही समय पर उसे सही व्यक्ति तक पहुंचाना सीखना होगा। इसके अभाव में व्यक्ति,समाज व परिवार प्रभावित होता है। अधिकतर युवाओं का रोजगार के लिए अपात्र होने की समस्या का कारण कैरियर मार्गदर्शन की कमी है। युवाओं को यह जानकारी देने के अलावा कौशल का विकास करना होगा।
सुनील साहू
युवा नेता
युवाओं को अपने दायित्व का अहसास होना चाहिए। खुद को ही जामवंत बनना होगा व हनुमान भी खुद बनना होगा। प्रधानमंत्री ने युवाओं की शक्ति को बखूबी परिभाषित किया है। युवाओं के लिए यह मंत्र है कि जीवन में कुछ करना है तो मन को हारे मत बैठो। मन को मारे मत बैठो