नई दिल्ली।
भारत ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। अब वह संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ समिति (यूएन-सीईबीडी) का हिस्सा बन गया है, जो बिग डेटा और डेटा विज्ञान के क्षेत्र में काम करती है। इस समिति का गठन विशेष रूप से आधिकारिक सांख्यिकी के लिए बिग डेटा के उपयोग, उसके लाभ, चुनौतियों, और इसके सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) पर निगरानी और रिपोर्टिंग में योगदान को समझने के लिए किया गया है।
यह विकास ऐसे समय में हुआ है, जब भारत ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी परिषद की सदस्यता ग्रहण की है। सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, यह कदम भारत के सांख्यिकीय तंत्र को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाने में मदद करेगा।
भारत की भूमिका और योगदान
इस विशेषज्ञ समिति में शामिल होकर, भारत बिग डेटा और डेटा विज्ञान के वैश्विक मानकों और उपयोग को आकार देने में योगदान देगा। यह उपलब्धि इस बात को रेखांकित करती है कि भारत का सांख्यिकीय तंत्र अब सूचना आधारित नीति निर्माण में कितना सक्षम और प्रभावशाली बन चुका है।
भारत अब वैश्विक डेटा समुदाय के लिए अपने अनुभव और प्रयास साझा करेगा। इससे भारत के डेटा इनोवेशन लैब, नीति निर्माण के लिए सैटेलाइट इमेजरी, और मशीन लर्निंग जैसे वैकल्पिक डेटा स्रोतों पर किए गए काम को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रमुखता मिलेगी।
वैश्विक मंच पर भारत का प्रभाव
विशेषज्ञ समिति में भारत की सक्रिय भागीदारी से उसे बड़े डेटा और डेटा विज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में उभरने का अवसर मिलेगा। यह सदस्यता भारत के लिए घरेलू डेटा प्रगति को अंतरराष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ जोड़ने का अवसर है। इसके साथ ही, यह देश की क्षमता को प्रदर्शित करता है कि कैसे वह डेटा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में परिवर्तनकारी पहल कर सकता है।
सांख्यिकीय प्रक्रियाओं में बदलाव का लक्ष्य
भारत का लक्ष्य अपनी सांख्यिकीय प्रक्रियाओं को आधुनिकीकरण करना और गैर-पारंपरिक डेटा स्रोतों जैसे:
- IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स)
- सैटेलाइट इमेजरी
- निजी क्षेत्र की डेटा धाराएं
का उपयोग करना है। इन नई तकनीकों और डेटा स्रोतों को एकीकृत करके, भारत नीति निर्माण के लिए अधिक सटीक डेटा और समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करना चाहता है।
भारत के लिए क्या है भविष्य?
संयुक्त राष्ट्र समिति का हिस्सा बनकर, भारत को वैश्विक डेटा विज्ञान और बिग डेटा नीति-निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा। यह न केवल भारत के डिजिटल इंडिया के सपने को बल देगा, बल्कि इसे एक वैश्विक डेटा हब के रूप में भी स्थापित करेगा।
विशेषज्ञ समिति में सदस्यता के साथ, भारत वैश्विक लक्ष्यों और घरेलू आवश्यकताओं के बीच डेटा-संचालित समाधानों को संतुलित करने का प्रयास करेगा।
यह कदम इस बात का प्रमाण है कि भारत न केवल तकनीकी रूप से उन्नत हो रहा है, बल्कि अपने वैश्विक दायित्वों को भी पूरी निष्ठा और प्रतिबद्धता के साथ निभा रहा है।