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February 15, 2025 6:35 PM

संस्कार भारती कार्यालय में योगेन्द्र उत्सव का आयोजन, पंडित वसंत रामभाऊ शेवलीकर को कला ऋषि सम्मान

संस्कार भारती कार्यालय में योगेन्द्र उत्सव का आयोजन, पंडित वसंत रामभाऊ शेवलीकर को कला ऋषि सम्मान

भोपाल, 7 जनवरी 2025 – पद्मश्री बाबा योगेन्द्र की 101वीं जयंती के अवसर पर मंगलवार को संस्कार भारती के तुलसी नगर स्थित एफ 85/45 कार्यालय में योगेन्द्र उत्सव का आयोजन किया गया। इस आयोजन का विषय “बाबा योगेन्द्र एक ध्येय पथिक” था। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व विधायक शैलेन्द्र प्रधान और अध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त आई.ए.एस. अधिकारी अजातशत्रु श्रीवास्तव उपस्थित थे। इस अवसर पर प्रसिद्ध वायलिन वादक पंडित वसंत रामभाऊ शेवलीकर को कला ऋषि सम्मान-2025 से सम्मानित किया गया। इस सम्मान को पाकर पंडित शेवलीकर को श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक माना गया।

कार्यक्रम की शुरुआत और उद्घाटन

कार्यक्रम की शुरुआत संस्कार भारती के ध्येय गीत से हुई, जिसके बाद कार्यक्रम के स्वागत सम्बोधन में अध्यक्ष अरुणा शर्मा ने कहा, “आज बाबा योगेन्द्र जी का जन्मदिवस है, और हम हर वर्ष इसे महोत्सव के रूप में मनाते हैं।” उन्होंने बताया कि बाबा योगेन्द्र जी वह महान संत थे जिन्होंने कला के संरक्षण और संवर्धन के लिए अनवरत कार्य किया और कला के क्षेत्र में एक नई दिशा दिखाई।

इस अवसर पर बाबा योगेन्द्र जी पर आधारित भू-अलंकरण का लोकार्पण भी किया गया। समारोह में संस्कार भारती के संरक्षक रमेश शर्मा, अध्यक्ष राजीव वर्मा, सह महामंत्री कृष्ण गोपाल पाठक, और जिला अध्यक्ष अरुणा शर्मा सहित अन्य कई कलाप्रेमी और कला साधक भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन दुर्गा मिश्रा ने किया।

बाबा योगेन्द्र जी का योगदान

मुख्य अतिथि शैलेन्द्र प्रधान ने कहा, “मैंने बाबा योगेन्द्र जी के साथ लगभग 35 वर्षों तक कार्य किया। बाबा जी का योगदान अविस्मरणीय था। वह एक जीवित इनसाइक्लोपीडिया थे।” उन्होंने यह भी कहा कि बाबा योगेन्द्र जी ने अपने जीवन में अनेक कलाकारों के जन्मदिन पर व्यक्तिगत रूप से चिट्ठियां भेजी, जिससे उनकी विशेष पहचान बनी। बाबा जी ने पूरे देश भर के विभिन्न कलाकारों की एक डायरी तैयार की थी, जो आज भी एक विलक्षण कार्य के रूप में याद की जाती है।

अजातशत्रु श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में कहा कि बाबा योगेन्द्र जी का जीवन भारतीय संस्कृति का आदर्श उदाहरण था। उन्होंने निस्वार्थ भाव से अपनी सारी शक्ति कला के संवर्धन और संरक्षण में समर्पित की। श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि बाबा योगेन्द्र जी के नेतृत्व में संस्कार भारती ने भारत की संस्कृति, परंपरा और सनातन संस्कृति को बचाए रखा।

कला के क्षेत्र में बाबा योगेन्द्र का सृजन

कार्यक्रम में सह महामंत्री कृष्ण गोपाल पाठक ने विषय प्रवेश करते हुए बताया कि भारतीय संतों और ऋषियों ने कला को समृद्ध करने के लिए समय-समय पर महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। उन्होंने कहा कि बाबा योगेन्द्र जी ने कला के क्षेत्र में कई बदलाव किए और संस्कार भारती का सृजन कर कला की एक नई दिशा दी।

कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख व्यक्तियों में संस्कार भारती के मध्य प्रांत के कोषाध्यक्ष चंद्रकांत बेहरे, सुहास प्रधान, और साहित्य प्रभाग की प्रमुख रंजना चितले भी शामिल थीं, जिन्होंने बाबा योगेन्द्र से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं और संस्मरणों को साझा किया।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ

कार्यक्रम के अगले भाग में दीपिका पुरोहित ने “गुरु वंदना” प्रस्तुत की, जिसमें शेखर कराडकर ने तबले पर संगत दी। इसके बाद प्रियंका जोशी के निर्देशन में एक नृत्य प्रस्तुति दी गई, जिसमें कलाकारों ने भगवान शिव के भाव-भंगिमाओं को प्रदर्शित किया।

अंत में कृष्ण गोपाल पाठक के निर्देशन में कलाकारों ने कला ऋषियों की परंपरा पर केंद्रित एक नृत्य प्रस्तुति दी, जिसमें “गोस्वामी तुलसीदास जी की रचना ‘भय प्रकट कृपाला दीन दयाला’ और ‘मेरो गिरधर’ गीत प्रस्तुत किया गया।”

समापन

कार्यक्रम के समापन पर उपस्थित सभी ने बाबा योगेन्द्र जी के योगदान को नमन करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। यह आयोजन कला प्रेमियों और संस्कृति के सच्चे साधकों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन गया।

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