देश की सबसे बड़ी पंचायत ‘संसद’ में वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर चर्चा प्रारंभ हो गई है। जैसा कि अनुमान था कि जब भी वक्फ संशोधन विधेयक को संसद में लाया जाएगा, कांग्रेस सहित ज्यादातर विपक्षी दल उसका विरोध करेंगे, हुआ भी यही। कांग्रेस से लेकर समाजवादी पार्टी तक विपक्षी दलों ने विधेयक का विरोध किया। मुसलमानों के तुष्टीकरण के लिए विपक्षी दलों ने एक से बढ़कर एक तर्क रखे। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने तो यहाँ तक कह दिया कि यह विधेयक मुसलमानों की घर-दुकान छीनने की साजिश है। यह ठीक वैसा ही कुतर्क है, जिस प्रकार नागरिकता संशोधन विधेयक के समय दिया गया था कि इस विधेयक से मुसलमानों की नागरिका छीन ली जाएगी। आज तक एक भी प्रकरण ध्यान में नहीं आता है, जिसमें मुसलमानों की नागरिकता छीनी गई हो। इसी प्रकार जब विभाजनकारी एवं शोषणकारी अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी किया गया, तब भी कहा गया कि देश में आग लग जाएगी। लेकिन, आज उस विवादित अनुच्छेद को हटाए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में विकास की नयी गंगा बह रही है। इसी तरह वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर दुष्प्रचार करने का प्रयास किया जा रहा है। या कहें कि जानबूझकर मुस्लिम समुदाय को भड़काने का प्रयास किया जा रहा है। याद रखें कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विधेयक के संसद में पास होने पर देशव्यापी आंदोलन करने की चेतावनी दी है। देश में ऐसा कोई विधान नहीं है, जिसमें संसोधन नहीं हो सकता। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था की ताकत है कि कानूनों में समयानुकूल बदलाव किए जा सकते हैं। जिस वक्फ को मुसलमानों की अस्मिता से जोड़कर प्रस्तुत करने का प्रयास विपक्षी दल कर रहे हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि उसी वक्फ के खिलाफ मुसलमानों का बड़ा वर्ग खड़ा हुआ है। जिस वक्त संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा हो रही थी, उसी समय देश के विभिन्न हिस्सों में मुस्लिम समुदाय की ओर से विधेयक के समर्थन में प्रदर्शन किए गए। दरअसल, वर्तमान वक्फ कानून केवल अन्य समुदायों की निजी सम्पत्तियों पर दावा नहीं करता है अपितु मुस्लिम भी उसके असीमित अधिकारों से पीड़ित हैं। यह तो जगजाहिर तथ्य है कि कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में वक्फ में संशोधन करके उसे असीमित अधिकार दे दिए। उसकी ओर संकेत करते हुए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि अगर हमने आज यह संशोधन बिल पेश नहीं किया होता, तो जिस इमारत में हम बैठे हैं, उस पर भी वक्फ संपत्ति होने का दावा किया जा सकता था। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 5 मार्च 2014 को 123 प्रमुख संपत्तियों को दिल्ली वक्फ बोर्ड को स्थानांतरण कर दिया था। ऐसा लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अल्पसंख्यक वोटों के लिए किया गया, पर चुनाव हार गए। मुस्लिम तुष्टीकरण के सिद्ध करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने मुस्लिम समुदाय को पक्ष में जोरदार तर्क रखे। अच्छा हुआ कि उनसे पलटकर किसी ने नहीं पूछा कि देश का बंटवारा किस कौम ने कराया? जम्मू-कश्मीर से हिन्दुओं को किस कौम ने भगाया? पूरी दुनिया में आतंकवादी संगठन कौन सी कौम चलाती है? किसने खिलाफत आंदोलन की विफलता का बदला मोपला के दंगों में हिन्दुओं से लिया? गौरव गोगोई ने जो कहा, वह अपनी जगह सही है लेकिन अगर उस तरह से बात कही जाएगी तब यह प्रश्न भी खड़े हो जाएंगे। बहरहाल, वक्फ संशोधन कानून अधिक व्यापक है और सबकी भागीदारी को सुनिश्चित करता है। इसलिए वक्फ संशोधन कानून का स्वागत किया जाना चाहिए।