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May 17, 2025 9:26 AM

वक्फ संशोधन कानून पर केंद्र का जवाब: ‘संपत्तियों का धर्मनिरपेक्ष प्रबंधन है मकसद’

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नई दिल्ली। वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जारी बहस के बीच केंद्र सरकार ने शुक्रवार को अपना जवाबी हलफनामा दाखिल किया। सरकार ने साफ किया है कि वक्फ अधिनियम में किया गया संशोधन किसी भी तरह से संविधान के अनुच्छेद 25 और 26, यानी धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक संस्थानों के संचालन के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है। सरकार ने कहा कि यह कानून संपत्तियों के धर्मनिरपेक्ष और पारदर्शी प्रबंधन के लिए लाया गया है और इसका मकसद किसी समुदाय या व्यक्ति के अधिकारों को प्रभावित करना नहीं है।

‘गलत नैरेटिव फैलाया जा रहा है’
हलफनामे में सरकार ने याचिकाकर्ताओं द्वारा पेश की गई आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि जो संपत्तियां पहले से वक्फ के रूप में रजिस्टर्ड हैं, वे “बाय यूज़र” के प्रावधान से प्रभावित नहीं होंगी। यह नैरेटिव कि सदियों पुरानी वक्फ संपत्तियों पर असर पड़ेगा, गलत और भ्रामक है। केंद्र ने यह भी कहा कि संशोधित कानून की कुछ धाराओं को देखकर पूरे अधिनियम पर रोक लगाना उचित नहीं है।

सरकार के अनुसार – कोई तात्कालिक खतरा नहीं
17 अप्रैल को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा था कि क्या विवादित प्रावधान फिलहाल लागू किए जाएंगे। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि जब तक मामला विचाराधीन है, विवादित प्रावधान लागू नहीं किए जाएंगे, यानी वर्तमान में कानून पर यथास्थिति बनी रहेगी

‘लाखों लोगों से राय लेकर बनाया गया कानून’
सुनवाई के दौरान मेहता ने कहा, “यह कानून संसद ने पारित किया है, और हम इसे लाखों लोगों से राय लेने के बाद लेकर आए हैं। यह कहना कि सरकार ने बिना विचार के कानून बनाया, सरासर गलत है।” उन्होंने यह भी कहा कि “कोर्ट के लिए ऐसा कानून रोक देना, जो संसद द्वारा पारित हो चुका है, बहुत सख्त कदम होगा।”

कोर्ट की टिप्पणी – वक्फ बोर्ड में फिलहाल कोई नई नियुक्ति नहीं
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि “हम कानून पर रोक नहीं लगा रहे हैं, लेकिन जब तक मामला विचाराधीन है, वक्फ बोर्ड और वक्फ काउंसिल में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाए।” कोर्ट ने सरकार से हलफनामा दाखिल करने के निर्देश भी दिए थे, जो अब दाखिल हो चुका है।

5 मई को अगली सुनवाई
इस मामले में अगली सुनवाई 5 मई को सुप्रीम कोर्ट में होगी, जहां यह तय किया जाएगा कि वक्फ संशोधन कानून के विभिन्न प्रावधानों पर कोर्ट की अंतरिम राय क्या होगी और क्या इनमें कोई बदलाव आवश्यक है।


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