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April 18, 2025 4:21 PM

वडनगर से समाधि मुद्रा में मिला कंकाल एक हजार साल पुराना

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  • डीएनए रिपोर्ट से खुलासा, अभी कई रहस्यों से उठना बाकी है पर्दा

मेहसाणा। गुजरात के ऐतिहासिक शहर वडनगर में वर्ष 2019 में खुदाई के दौरान प्राप्त समाधि मुद्रा में मिले कंकाल के संबंध में बड़ा खुलासा हुआ है। डीएनए जांच रिपोर्ट के अनुसार यह कंकाल एक हजार साल पुराना है। यह खोज वडनगर के समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को और अधिक प्रमाणित करती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस कंकाल से जुड़े और भी कई रहस्यमयी तथ्य सामने आ सकते हैं।

पुरातत्व विभाग की खोज और डीएनए रिपोर्ट

भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI) ने 2019 में वडनगर में उत्खनन के दौरान योग मुद्रा में एक कंकाल खोजा था। शुरू में यह अनुमान लगाया गया था कि यह 1000 साल पुराना हो सकता है। इसके बाद लखनऊ के बीरबल साहनी इंस्टिट्यूट ऑफ ऑर्कियोलॉजी में कंकाल की डीएनए जांच करवाई गई।

  • डॉ. नीरज राय गुप्ता और उनकी टीम ने दांत और कान की हड्डी के नमूने लेकर परीक्षण किया।
  • रिपोर्ट में इस कंकाल के 1000 साल पुराना होने की पुष्टि हुई।
  • अब अन्य वैज्ञानिक परीक्षण भी किए जा रहे हैं, जिससे वडनगर के प्राचीन इतिहास से जुड़ी कई नई जानकारियां सामने आने की उम्मीद है।

बौद्ध योग साधना केंद्र होने के संकेत

ASI के अनुसार, जहां यह कंकाल मिला है, वह स्थान प्राचीन काल में बौद्ध योग साधना केंद्र रहा होगा।

  • माना जा रहा है कि मध्य एशिया और भारत के अन्य हिस्सों से लोग यहां साधना करने आते थे।
  • कंकाल का योग मुद्रा में मिलना यह दर्शाता है कि यह व्यक्ति किसी ध्यान प्रक्रिया में था।
  • कार्बन डेटिंग समेत अन्य वैज्ञानिक परीक्षण जारी हैं, जिससे यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इस व्यक्ति ने अपनी इच्छा से समाधि ली थी या किसी अन्य कारण से उसकी मृत्यु हुई।
  • अब तक इस कंकाल को किसी म्यूजियम में स्थान नहीं मिला है।

2017 में भी मिले थे 11 कंकाल, एक था कजाकिस्तान का

यह पहली बार नहीं है जब वडनगर में प्राचीन कंकाल मिले हैं।

  • 2017 में वडनगर के शर्मिष्ठा तालाब के पास खुदाई में 11 कंकाल मिले थे।
  • इनमें से 7 कंकालों की डीएनए जांच कराई गई, जिसमें एक कंकाल का डीएनए भारत के डीएनए समूह से मेल नहीं खा रहा था।
  • यह कंकाल कजाकिस्तान के यू2ई डीएनए समूह से संबंधित पाया गया, जो यूरोप और मध्य एशिया के निवासियों से मेल खाता है।
  • इस खोज से यह निष्कर्ष निकला कि 16वीं और 17वीं शताब्दी में वडनगर एक अंतरराष्ट्रीय आबादी वाला नगर रहा होगा, जहां अलग-अलग संस्कृतियों और धर्मों के लोग रहते थे।

2700 साल पुराना है वडनगर का इतिहास

वडनगर का इतिहास लगभग 2700 साल पुराना माना जाता है।

  • 2014 से 2022 के बीच लगातार हुई खुदाई में यहां दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर आधुनिक काल तक सात अलग-अलग संस्कृतियों का पता चला है।
  • खुदाई में 25 फीट ऊंचा बुर्ज मिला, जो 1000 से 1200 साल पुराना बताया जा रहा है।
  • यह बुर्ज वडनगर की सुरक्षा के लिए बनाए गए परकोटे का हिस्सा था, जिससे सैनिक दुश्मनों पर नजर रखते थे।
  • वडनगर ऐतिहासिक रूप से एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र भी रहा है, जहां कई सभ्यताओं का प्रभाव देखा गया है।

अभी और खुल सकते हैं रहस्य

विशेषज्ञों का मानना है कि वडनगर में अब भी कई रहस्य छिपे हो सकते हैं, जो भविष्य में और बड़ी खोजों को जन्म देंगे।

  • इस कंकाल के वैज्ञानिक परीक्षण जारी हैं, जिससे और भी ऐतिहासिक प्रमाण सामने आ सकते हैं।
  • वडनगर की खुदाई भारत के प्राचीन इतिहास को और बेहतर तरीके से समझने का महत्वपूर्ण जरिया बन सकती है।

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