न्यू यॉर्क। अमेरिकी शेयर बाजार में सोमवार को बड़ी गिरावट देखने को मिली, जिससे वैश्विक निवेशकों में घबराहट फैल गई है। यह गिरावट केवल स्थानीय कारकों की वजह से नहीं, बल्कि एशियाई और यूरोपीय बाजारों में पहले से जारी मंदी के असर और अमेरिकी टेक कंपनियों में अचानक आई कमजोरी के चलते और गहरा गई।
डाउ जोन्स में तीसरे दिन भी बड़ी गिरावट
डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज करीब 850 अंक या 2.35% गिरकर 37,412 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि बाजार की शुरुआत ही 1,400 अंकों की बड़ी गिरावट के साथ हुई थी। बीते तीन कारोबारी दिनों में डाउ जोन्स में 12% से अधिक की गिरावट आ चुकी है, जो संकेत देता है कि निवेशकों का भरोसा तेजी से टूट रहा है।
S&P 500 और नैस्डेक की हालत भी नाजुक
अमेरिका का दूसरा प्रमुख इंडेक्स S&P 500 भी 3.59% लुढ़क गया और अब 4,889 के स्तर पर है। नैस्डेक कंपोजिट, जिसमें तकनीकी कंपनियों का वर्चस्व है, वह 609 अंक या 3.91% गिरकर 14,978 तक पहुंच गया। यह गिरावट दर्शाती है कि बाजार का सबसे मजबूत माना जाने वाला सेक्टर – टेक्नोलॉजी – इस बार सबसे ज्यादा चोटिल हुआ है।
टेक कंपनियों में बिकवाली की होड़
Nvidia, Apple, Nike, Home Depot और Intel जैसी बड़ी कंपनियों के शेयरों में 7% तक की गिरावट देखी गई। विशेषज्ञों का मानना है कि इनमें से कई कंपनियों की वैल्यूएशन पहले से ही काफी ऊंची हो चुकी थी, और जैसे ही वैश्विक अनिश्चितता ने दस्तक दी, निवेशकों ने मुनाफावसूली शुरू कर दी।
गिरावट की प्रमुख वजहें: क्या है इस ‘क्रैश’ के पीछे?
- ट्रम्प टैरिफ की आशंका: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प के संभावित दोबारा राष्ट्रपति बनने की अटकलों के बीच आयात पर नए टैरिफ लगाए जाने की चर्चाएं फिर से तेज हो गई हैं। इससे वैश्विक व्यापार पर असर पड़ सकता है और कंपनियों की लागत बढ़ सकती है।
- ब्याज दरों को लेकर अनिश्चितता: फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें धूमिल होती जा रही हैं, जिससे इक्विटी बाजार पर दबाव बना हुआ है।
- चीन और यूरोप से मंदी के संकेत: चीन के आर्थिक आंकड़ों में कमजोरी और यूरोपीय बाजारों की सुस्ती ने ग्लोबल इन्वेस्टमेंट सेंटिमेंट पर असर डाला है।
- टेक स्टॉक्स में ओवरवैल्यूएशन का डर: निवेशक अब उन कंपनियों से दूर हट रहे हैं जिनके शेयरों की कीमत वास्तविक कमाई से काफी ज्यादा थी।
क्या ये गिरावट आगे और बढ़ेगी?
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि अभी बाजार में स्थिरता आने में समय लगेगा। अगर फेड की मौद्रिक नीति में कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिलता या वैश्विक राजनीति में तनाव बढ़ता है, तो यह गिरावट और गहराई ले सकती है।
निवेशकों को फिलहाल सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पिछले एक साल में असामान्य तेजी देखने को मिली थी।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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